नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि इसका विकास वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की बेंगलुरु स्थित राष्ट्रीय वांतरिक्ष प्रयोगशाला (एनएएल) में हो रहा है। सीएसआईआर-एनएएल की ओर से विकसित ई-हंसा ट्रेनर विमान की अनुमानित कीमत करीब दो करोड़ रुपये होगी। यह आयातित विमानों की तुलना में आधा रहेगी। ई-हंसा, बड़े हंसा-3 (एनजी) प्रशिक्षण विमान कार्यक्रम का हिस्सा है।
इसे भारत में पायलट प्रशिक्षण के लिए सस्ते और स्वदेशी विकल्प के रूप में डिजाइन किया गया है। इसका विकास हमारे विमानों की उड़ान में हरित या स्वच्छ ऊर्जा ईंधन के उपयोग की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। केंद्रीय मंत्री मंगलवार विज्ञान केंद्र में प्रमुख विज्ञान विभागों के सचिवों के साथ उच्च स्तरीय मासिक समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए बोल रहे थे। डॉ. सिंह ने कहा कि इसमें निजी क्षेत्र के उद्यमों को न केवल ज्ञान साझा करना चाहिए, बल्कि निवेश में भी भागीदार होना चाहिए।
स्पैडेक्स मिशन गगनयान के लिए अहम
डॉ. जितेंद्र सिंह ने सफल स्पैडेक्स मिशन के लिए इसरो की तारीफ की। इस मिशन से डॉकिंग और अनडॉकिंग क्षमता का परीक्षण हुआ। यह भारत के गगनयान मानव अंतरिक्ष यान के लिए महत्वपूर्ण हैं। बता दें कि डॉकिंग और अनडॉकिंग अंतरिक्ष यानों के साथ की जाने वाली जटिल प्रक्रिया है। डॉकिंग के दौरान अंतरिक्ष में दो यानों को एक-दूसरे से जोड़ा जाता है। इससे अंतरिक्ष यात्री एक यान से दूसरे यान में जा सकते हैं। जबकि अनडॉकिंग में दो यान अलग किए जाते हैं। भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश है।
एक्सिओम अंतरिक्ष मिशन में ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला
डॉ. सिंह ने एक्सिओम अंतरिक्ष मिशन में शामिल ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) की यात्रा में अत्यंत अल्प गुरुत्व से संबंधित सात प्रयोग शामिल होंगे। इससे अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारत की पहुंच और विशेषज्ञता को और बढ़ावा मिलेगा। दूसरी तरफ अमेरिकी निजी अंतरिक्ष कंपनी ने बीते रविवार बताया था कि शुभांशु शुक्ला समेत एक्सिओम-4 के चारों यात्रियों को क्वरंटीन कर दिया गया है। यह आठ जून को उड़ान भरेगा। यह मिशन एक्सिओम स्पेस, नासा, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी और इसरो का एक संयुक्त प्रयास है।