नई दिल्ली: गर्मियां आते ही ठंडक की तलाश में लोग कूलर या एयर कंडीशनर की ओर दौड़ पड़ते हैं। हालांकि, एसी हर किसी के बजट में नहीं होता, ऐसे में कूलर एक किफायती और प्रभावी विकल्प बनकर उभरता है। लेकिन कूलर खरीदने से पहले एक बड़ा सवाल उठता है कि प्लास्टिक बॉडी वाला कूलर लें या लोहे का? दोनों के अपने फायदे और खामियां हैं। आइए, इनके अंतर और आपकी जरूरत के हिसाब से बेहतर विकल्प को समझते हैं।
प्लास्टिक बॉडी कूलर
आजकल प्लास्टिक के कूलर शहरों में खासे लोकप्रिय हैं। ये आधुनिक डिजाइन और हल्के वजन के कारण आकर्षक हैं। इन्हें एक जगह से दूसरी जगह ले जाना आसान होता है, जिससे ये छोटे घरों या किराए के मकानों में रहने वालों के लिए सुविधाजनक हैं। इनमें जंग लगने की समस्या नहीं होती, जिससे रखरखाव आसान रहता है। साथ ही, ये कम आवाज करते हैं और बिजली की खपत भी अपेक्षाकृत कम होती है। अगर आप शहरी इलाके में रहते हैं, जहां नमी कम है और बिजली की आपूर्ति नियमित है, तो प्लास्टिक कूलर आपके लिए उपयुक्त हो सकता है। इनके स्टाइलिश लुक और रंग-बिरंगे डिजाइन घर की सजावट को भी बढ़ाते हैं।
लोहे का कूलर
लोहे के कूलर, जिन्हें मेटल कूलर भी कहते हैं, ग्रामीण और कस्बाई इलाकों में ज्यादा पसंद किए जाते हैं। इनकी बॉडी मजबूत होती है और ये लंबे समय तक टिकते हैं। ये कूलर तेज व ठंडी हवा देता हैं। हालांकि, इनमें जंग लगने का खतरा रहता है, खासकर नम इलाकों में। साथ ही, ये ज्यादा बिजली खपत करते हैं और आवाज भी अपेक्षाकृत ज्यादा करते हैं। अगर आप ठंडक को प्राथमिकता देते हैं और मेंटेनेंस से परहेज नहीं है, तो लोहे का कूलर आपके लिए बेहतर हो सकता है।
आपके लिए कौन सा सही?
अगर आप शहर में रहते हैं, बार-बार जगह बदलते हैं और कम रखरखाव चाहते हैं, तो प्लास्टिक कूलर आपके लिए आदर्श है। वहीं, अगर आप अधिक ठंडक और मजबूती चाहते हैं, और थोड़ी आवाज या मेंटेनेंस से परेशानी नहीं है, तो लोहे का कूलर चुनें। अपनी जरूरत, बजट और वातावरण के हिसाब से सही कूलर का चयन करें।