
विकास के केंद्र में इंसान, लेकिन वह इंसान है कौन
यह सामान्य समझ है कि 'विकास' कैसा भी हो, समृद्धि, सुकून व खुशहाली का लाना इसकी न्यूनतम व अनिवार्य शर्त है। और यह जो एक बार आ जाएं, इनमें स्थायित्व भी रहे। ऐसा न हो कि आज खुशहाली आई, कल गायब हो गई। किसी भी वैकासिक गतिविधि में ऐसा नहीं होता।
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