नई दिल्ली: दिल्ली के तीन सरकारी अस्तालों और एक मेडिकल कॉलेज में चिकित्सकों व छात्रों की सुरक्षा संदिग्ध है। आवासीय परिसर की कमी के साथ पुराने आवासों की हालत भी ठीक नहीं है। जर्जर होकर उससे प्लास्टर गिरना आम है। मुक्त यह अतिक्रमण से भी नहीं हैं। परिसर में आपराधिक तत्वों का जमावड़ा आम है। बिक्री यहां शराब व ड्रग की भी होती है। इसकी तस्दीक कोई और नहीं, अस्पताल व मेडिकल कॉलेज प्रशासन और दिल्ली पुलिस कर रही है। वह भी उपराज्यपाल वीके सक्सेना, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और स्वास्थ्य मंत्री पंकज गुप्ता के सामने।
दरअसल, तीन अस्पताल व एक कॉलेज के डायरेक्टर व डीन की गुजारिश पर बृहस्पतिवार उपराज्यपाल ने आपात बैठक बुलाई। इसमें मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री समेत वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। वहीं, मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज, लोक नायक अस्पताल, जीबी पंत अस्पताल और गुरु नानक नेत्र केंद्र परिसर डायरेक्टर व डीन मौजूद थे। बैठक डायरेक्टर व डीन की गुजारिश से बुलाई थी।
इसमें मेडिकल कालेज अस्तालों के डीन और निदेशकों से पता चला कि बीते कुछ सालों से मेडिकल कालेज में छात्रों के लिए आवास की कमी है। जो हैं, वह भी जर्जर हालत में हैं। बुनियादी ढांचा बेहद खराब और अतिक्रमण की चपेट में है। इस बीच अस्पताल भी अनदेखी के शिकार हुए हैं। यहां असामाजिक व आपराधिक तत्वों का जमावड़ा रहता है।
हालात जानने के बाद उपराज्यपाल ने देश की राजधानी के सबसे बड़े मेडिकल परिसर की इस दयनीय स्थिति पर निराशा जाहिर की। वहीं, मुख्यमंत्री ने पूर्ववर्ती सरकार की तरफ से स्पष्ट राजनीतिक संरक्षण की ओर इशारा किया, जिसके कारण वर्तमान में यह दयनीय स्थिति उत्पन्न हुई है।
मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज, 3200 छात्रों पर 200 कमरे
मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के डीन ने बताया कि 1958 में बने इस मेडिकल कॉलेज के परिसर में केवल 200 छात्रों के लिए आवास की व्यवस्था है। जबकि इस वक्त छात्रों की संख्या 3200 से अधिक है। इससे ऐसी स्थिति बन गई है कि दो लोगों के लिए बने कमरे में 6-7 छात्र रहने को मजबूर हैं। इससे पढ़ाई के लिए टेबल तक की जगह नहीं बचती। जगह की कमी से रेजिडेंट डॉक्टरों को गलियारों और नर्सिंग स्टेशनों के बाहर सोना पड़ता है।

डीन का आरोप था कि लोक निर्माण विभाग भी इसके विस्तार पर कुछ नहीं कर पा रहा है। वह इसलिए कि विस्तार के लिए तय जमीन पर भूमाफिया का कब्जा है। इसके अलावा, परिसर के पास कुछ ASI संरक्षित स्मारकों की मौजूदगी ने निर्माण और मरम्मत के लिए अनुमति की अनुपलब्धता के कारण स्थिति को और जटिल बना दिया है।
डीन ने बताया कि 2023-24 में ASI ने मौजूदा संरचनाओं में आवश्यक मरम्मत और रखरखाव के लिए तीन महीने की अवधि प्रदान की थी। तत्कालीन सरकार से धन स्वीकृत न होने से काम भी नहीं हो सका। नतीजतन मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज को मामूली मरम्मत के लिए क्राउड फंडिंग का सहारा लेना पड़ा। दूसरी तरफ अभी का जो सेटअप है, उसमें भी इमारतें जर्जर हैं। यहां अमूमन प्लास्टर और कंक्रीट के टुकड़े गिरते रहते हैं। इससे छात्रों और डॉक्टरों की सुरक्षा और जीवन को खतरा है। यदि तत्काल मरम्मत नहीं की गई, तो कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है।
अतिक्रमण का फैला जाल
डीन ने तस्वीरों, चित्रों और भौगोलिक निर्देशांकों के साथ दिखाया गया कि इन संस्थानों को L&DO, भारत सरकार की तरफ से आवंटित जमीन पर अवैध फ्लैट, मंदिर, मस्जिद, दुकानें, पैथ लैब, अखाड़े, आश्रम और यहां तक कि स्कूल भी बन गए हैं। परिसर के भीतर चार अवैध झुग्गी बस्तियां हैं, जो 25 एकड़ से अधिक जमीन पर अतिक्रमण कर रही हैं। कई सरकारी आवासों पर सेवानिवृत्त कर्मचारियों का अवैध कब्जा किया गया है। इससे आपराधिक गतिविधियां भी बढ़ी हैं। परिसर में बड़ी संख्या में असामाजिक तत्वों की मौजूदगी रहती है।
उधर, पुलिस ने बताया कि अतिक्रमण वाले क्षेत्रों से अवैध शराब की बिक्री और ड्रग कार्टेल भी संचालित हो रहे हैं। इससे छात्रों और डॉक्टरों, विशेष रूप से महिलाओं, के लिए सुरक्षा का गंभीर खतरा है। परिसर, जिसे स्पष्ट कारणों से गेटेड होना चाहिए था, भारी अतिक्रमण के कारण सार्वजनिक रास्ता बन गया है। गेट के बाहर अतिक्रमण के कारण गेट या तो स्थायी रूप से खुले रहते हैं या बंद रहते हैं।
अस्पतालों में भी अतिक्रमण और अवैध पार्किंग
तीनों अस्पतालों के अधिकारियों ने बताया कि भारी अतिक्रमण और अवैध पार्किंग के कारण अस्पतालों तक पहुंच अवरुद्ध हो गई है। इससे एम्बुलेंस और आपातकालीन मरीज भी अस्पताल में प्रवेश नहीं कर पा रहे हैं। इसके अलावा, अस्पतालों के विभिन्न ब्लॉकों के बाहर अतिक्रमण ने न केवल इन सुविधाओं तक पहुंच को मुश्किल बना दिया है, बल्कि गंभीर स्वच्छता और स्वच्छता समस्याएं भी पैदा कर दी हैं।
डीन और निदेशकों ने उपराज्यपाल, मुख्यमंत्री और मंत्री को बताया कि छात्रों व डॉक्टरों के एक प्रतिनिधिमंडल ने उनसे मिलने की गुजारिश की है। हालात जानने के बाद उपराज्यपाल ने शहर के सबसे बड़े मेडिकल परिसर की इस दयनीय स्थिति पर निराशा जाहिर की। वहीं, मुख्यमंत्री ने पूर्ववर्ती सरकार की तरफ से स्पष्ट राजनीतिक संरक्षण की ओर शारा किया, जिसके कारण वर्तमान में यह दयनीय स्थिति उत्पन्न हुई है।
बैठक में जारी किए गए कई निर्देश
- PWD को तत्काल कम से कम 4000 छात्रों और डॉक्टरों के लिए आवास और संबंधित बुनियादी ढांचे की व्यापक योजना और अनुमान तैयार करना है।
- दिल्ली पुलिस परिसर में तुरंत पर्याप्त संख्या में पुलिस बल तैनात करेगी। इस दौरान आपराधिक तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी है। खासकर वह, जिनके बारे में छात्रों ने बताया है कि कि वह उन्हें धमकी दे रहे हैं।
- पुलिस को परिसर के अंदर अवैध शराब विक्रेताओं और ड्रग कार्टेल के खिलाफ तत्काल और सख्त कार्रवाई करेगी।
- सभी भूमि स्वामित्व एजेंसियों और अस्पताल अधिकारियों को इन मेडिकल संस्थानों को आवंटित जमीन का तत्काल सर्वेक्षण करने और उस पर अतिक्रमण की पहचान करने का निर्देश दिया गया।
- धार्मिक संरचनाओं के संबंध में निर्देश दिया गया कि उन्हें तत्काल धार्मिक समिति को आगे की आवश्यक कार्रवाई के लिए भेजा जाए।
- MCD और दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग को परिसर में अवैध रूप से संचालित स्कूलों को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया गया।
- ASI को संबंधित अधिनियम के प्रावधानों के तहत इसके संरक्षित स्मारकों पर अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ तत्काल और सख्त कार्रवाई करने के लिए कहा गया।
- कार्रवाई की रिपोर्ट के साथ तस्वीरें समय-समय पर उपराज्यपाल सचिवालय, मुख्यमंत्री कार्यालय और स्वास्थ्य मंत्री के कार्यालय में जमा करानी होंगी।
- जमीनी हकीकत जानने के लिए उपराज्यपाल, मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री परिसर का दौरा करेंगे। वहीं, छात्रों और डॉक्टरों के प्रतिनिधिमंडल से जल्द मुख्यमंत्री से मिलेगा।