पशु चिकित्सा में सुधार, पिछले साल 45 लाख का हुआ इलाज

बिहार सरकार अब गांव-गांव में पशुओं का इलाज करवा रही है। 2005 तक राज्य में केवल 814 पशु चिकित्सालय थे, जबकि इस वक्त इनकी संख्या करीब 1,135 हो गई है। जिला मुख्यालयों में स्थित पशु चिकित्सालयों में 24X7 चिकित्सा सुविधा मिल रही है। पशु चिकित्सा के लिए 58 एम्बुलेट्री वैन और 534 मोबाइल पशु चिकित्सा यूनिट कार्यरत है।

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पटना: राज्य ने पशु चिकित्सा सेवाओं में वित्तीय वर्ष 2024-25 में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। जनवरी 2025 तक के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल सरकारी स्तर पर 45.70 लाख पशुओं को चिकित्सा सुविधा मुहैया करवाई गई है। वहीं, इसी अवधि में 1.54 लाख पशुओं का बधियाकरण, 27,262 नमूनों की पैथोलॉजिकल जांच और 36.90 लाख पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान किया गया है।

अ​धिकारियों का कहना है कि राज्य सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की तरफ से चलने वाली एम्बुलेट्री वैन से 3,167 पशु चिकित्सा शिविर आयोजित किए गए। इनमें 4.18 लाख पशुओं की चिकित्सा और 5,712 नमूनों की पैथोलॉजिकल जांच की गई।

करीब 7 करोड़ पशुओं का टीकाकरण

बीते 20 वर्षों में बिहार ने पशु चिकित्सा सुविधाओं में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की है। वित्तीय वर्ष 2006-07 में जहां 24.96 लाख पशुओं को ही चिकित्सा सुविधा मिली थी। अब यह बढ़कर 45 लाख से अधिक हो गई है। इसी में पशुओं के कृत्रिम गर्भाधान की संख्या 2.38 लाख से बढ़कर 44 लाख से अधिक हो गई है। पशुओं के टीकाकरण की व्यवस्था 2006-07 में शुरु हुई थी। वित्तीय वर्ष 2024-25 में करीब 7 करोड़ पशुओं का टीकाकरण हुआ है।

पशुपालकों के द्वार पहुंची पशु चिकित्सा

राज्य में इस वक्त 1,135 पशु चिकित्सालय हैं। 2005 में इनकी संख्या 814 थी। सभी जिला मुख्यालयों में स्थित पशु चिकित्सालयों में 24X7 चिकित्सा सुविधा मिलती है। 58 एम्बुलेट्री वैन और 534 मोबाइल पशु चिकित्सा यूनिट शुरू होने के बाद अब गांव-गांव में पशुपालकों के द्वार तक पशु चिकित्सा सुविधा मिलने लगी है।

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