पूर्णिया: बिहार के पूर्णिया जिले के एक गांव में दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। काले जादू के शक में एक ही परिवार के पांच लोगों को जिंदा जला दिया गया। पुलिस के मुताबिक, 250 से ज्यादा ग्रामीणों की भीड़ ने पहले इन सभी को पीटा, फिर उन पर ज्वलनशील पदार्थ डालकर आग लगा दी। पुलिस ने जिस नकुल उरांव को गिरफ्तार किया है, उसने 40 हजार किराया देकर पांचों शव को ठिकाना लगाने के लिए ट्रैक्टर ट्राली किराये पर मंगाया था।
घटना के पीछे एक तांत्रिक ने जहर का काम किया है। तांत्रिक के कहने पर ग्रामीणों ने 70 वर्षीय कातो देवी को डायन मान लिया था और इसी आक्रोश में उसके परिवार के पांच सदस्यों को जिंदा जलाकर मार डाला था। आधा दर्जन थानों की पुलिस व दो डीएसपी की अगुवाई में श्वान दस्ते की मदद से शवों को बरामद किया था।
विपक्ष का सरकार पर हमला
इस भयावह वाकये ने बिहार की सियासत में तूफान पैदा किया है। विपक्षी नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने इस हत्याकांड को लेकर नीतीश कुमार सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर कहा पूर्णिया में एक ही परिवार के 5 लोगों को जिंदा जलाकर मार दिया। बिहार में अराजकता चरम पर, पुलिस बेबस, कानून व्यवस्था ध्वस्त। तेजस्वी ने हाल की अन्य हत्याओं, जैसे सिवान, बक्सर और भोजपुर में हुए नरसंहारों का जिक्र करते हुए नीतीश सरकार को अचेत और पुलिस को पस्त करार दिया।
स्थानीय सांसद पप्पू यादव ने भी इस घटना को पूर्णिया के माथे पर कलंक बताते हुए गहरी शर्मिंदगी जताई। उन्होंने एक्स पर कहा दुनिया मंगल पर पहुंच गई, और हमारे लोग डायन के नाम पर नरसंहार कर रहे हैं। पप्पू यादव ने पीडि़त परिवार को न्याय दिलाने का वादा करते हुए कहा कि वे जल्द ही पूर्णिया पहुंच रहे हैं।
वहीं, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने भी इस घटना को लेकर जेडीयू-बीजेपी की गठबंधन सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। एक्स पर कांग्रेस ने लिखा, बहार में अपराधी बेखौफ हैं और जनता डरी हुई है। लॉ एंड ऑर्डर ध्वस्त है, और जेडीयू-बीजेबी सरकार सोई पड़ी है।
यह है वाकया
जानकारी के अनुसार, पूर्णिया जिले के टेटगामा गांव में रविवार देर रात एक दिल दहला देने वाली घटना ने मानवता को शर्मसार कर दिया। अंधविश्वास के चलते एक ही परिवार के पांच सदस्यों बाबूलाल उरांव, उनकी पत्नी सीता देवी, मां कातो मसोमात, बेटा मनजीत उरांव और बहू रानी देवी को डायन होने के आरोप में पहले बेरहमी से पीटा गया और फिर जिंदा जला दिया गया। इस जघन्य हत्याकांड ने न केवल पूर्णिया, बल्कि पूरे बिहार में सनसनी फैला दी है। इस घटना ने बिहार की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाने के साथ-साथ सियासी घमासान को भी हवा दे दी है।
अंधविश्वास की भेंट चढ़ा परिवार
घटना मुफस्सिल थाना क्षेत्र के रजीगंज पंचायत के टेटगामा गांव की है, जहां गांव में भीड़ ने इस परिवार को घेरकर मौत के घाट उतार दिया। बताया जा रहा है कि गांव के रामदेव उरांव के बेटे की हाल ही में झाड़-फूंक के दौरान मौत हो गई थी, और उनके दूसरे बेटे की तबीयत बिगड़ रही थी। ग्रामीणों ने इसकी वजह परिवार की एक महिला को डायन करार दिया और इस अंधविश्वास के चलते पूरे परिवार को निशाना बनाया। हत्या के बाद शवों को नदी में फेंक दिया गया, जिसे बाद में पुलिस ने बरामद किया। पुलिस ने तांत्रिक नकुल उरांव समेत दो लोगों को हिरासत में लिया है, और मामले की जांच के लिए फॉरेंसिक और डॉग स्क्वायड की टीमें तैनात हैं।
सरकार और पुलिस पर दबाव
इस घटना ने बिहार पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए हैं। सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने पुलिस की निष्क्रियता पर निशाना साधा, जिसमें एक पोस्ट में कहा गया कि पुलिस को घटना की भनक तक नहीं थी, और शवों को खोजने में 12 घंटे से ज्यादा लग गए। पूर्णिया की पुलिस अधीक्षक स्वीटी सहरावत ने बताया कि मामला रविवार रात का है, और एकमात्र जीवित बचे परिवार के सदस्य, 12 वर्षीय सोनू कुमार, ने पुलिस को सूचना दी। सोनू ने अपनी जान बचाने के लिए चार किलोमीटर भागकर अपने ननिहाल पहुंचने की दिल दहलाने वाली कहानी सुनाई। पूर्णिया के कमिश्नर ने इस मामले में कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया है, और पुलिस ने मुख्य आरोपी नकुल उरांव और ट्रैक्टर मालिक सन्नाउल्लाह को गिरफ्तार किया है। हालांकि, गांव के ज्यादातर लोग घटना के बाद फरार हो गए हैं, जिससे जांच में मुश्किलें आ रही हैं।
सामाजिक और राजनीतिक निहितार्थ
यह घटना केवल एक आपराधिक वारदात नहीं, बल्कि बिहार में गहरे बैठे अंधविश्वास और शिक्षा की कमी को भी उजागर करती है। टेटगामा जैसे छोटे गांवों में, जहां आदिवासी समुदाय की बहुलता है, अशिक्षा और तांत्रिकों पर विश्वास ने इस त्रासदी को जन्म दिया। विपक्ष इसे कानून-व्यवस्था की विफलता के साथ-साथ सामाजिक पिछड़ेपन का मुद्दा बनाकर सरकार पर दबाव बना रहा है।
वहीं, सत्तारूढ़ जेडीयू-बीजेपी गठबंधन पर यह दबाव बढ़ रहा है कि वे इस घटना के दोषियों को सजा दिलाने के साथ-साथ ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाएं। पूर्णिया हत्याकांड ने बिहार की सियासत को एक बार फिर से अपराध और सुशासन के मुद्दे पर आमने-सामने ला खड़ा किया है।