चकाचक होगा जमालपुर रेल कारखाना, 2026 से IRIMEE  में इंजीनियरिंग करेंगे बच्चे

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव शुक्रवार, 23 मई बिहार के दौरे पर थे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात के साथ रेल मंत्री ने बिहार के रेलवे प्रोजेक्ट पर चर्चा की। इस मौके पर कई प्रोजेक्ट का मुआयना भी किया। सुनील कुमार की रिपोर्ट...

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पटना: एशिया के पहले रेल कारखाना जमालपुर पहुंचे केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव कहा कि सेंटर आफ एक्सीलेंस टीम की सर्वे रिपोर्ट के बाद 350 करोड़ रुपये से पहले फेज में कारखाने का विकास होगा। वहीं, इंडियन रेलवे इंस्टीट्यूट आफ मैकेनिकल एंड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग (IRIMEE) में भी 2026 से इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू हो जाएगी।

इससे पहले रेल मंत्री स्पेशल सैलून से जमालपुर जंक्शन की सवारी की। अमृत भारत योजना से चल रहे पुनर्विकसित हो रहे जमालपुर स्टेशन निरीक्षण किया। इसके बाद वह रेल कारखाना पहुंचे और जमालपुर के मशहूर 140 टन का क्रेन भारतीय रेल को सौपा। रेल मंत्री ने कहा कहा कि एशिया का पहला रेल कारखाना होने का गौरव जमालपुर को हासिल है। अब इस कारखाने का कायाकल्प होगा।

रेल मंत्री के मुताबिक, रेल मंत्रालय ने पिछले दिनों सेंटर आफ एक्सीलेंस की टीम से सर्वे कराया है। इसकी रिपोर्ट के आधार पर पहले फेज में 350 करोड़ रुपये की राशि से कारखाने का विकास होगा। जबकि IRIMEE में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए 2026 से नामांकन प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

रेल मंत्री के साथ भारत सरकार के मंत्री सह मुंगेर के सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, बिहार सरकार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, विजय सिंहा, जमालपुर के स्थानीय विधायक अजय कुमार सिंह, तारापुर के विधायक राजीव कुमार सिंह मुंगेर के भाजपा विधायक प्रणव कुमार, भाजपा कोटे से विधान पार्षद लालमोहन गुप्ता सहित रेल के बड़े अधिकारी साथ मौजूद थे।

बिहार का रेल नेटवर्क मलेशियाई रेलवे के बराबर

रेल प्रशासन के मुताबिक, 2009 से 2014 के मध्य बिहार में रेलवे के विकास के लिए प्रतिवर्ष औसतन 1,132 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। मौजूदा सरकार में इसे बढ़ाकर इस साल करीब दस हजार करोड़ रुपये कर दिया गया है। यह पिछली सरकार की तुलना में नौ गुना ज्यादा है। बिहार में 2009-14 के मध्य औसतन हर साल 64 किमी नई लाइन का निर्माण होता था। वहीं, 2014-2024 के मध्य औसतन हर साल 167 किमी नई लाइन का निर्माण हुआ है। यह करीब 2.5 गुणा ज्यादा है।

दूसरी तरफ 2009-14 के मध्य तक हर साल औसतन तीस किमी रेलवे ट्रैक का विद्युतीकरण होता था। 2014-2024 के बीच यह आंकड़ा 275 किमी पहुंच गया है। यह करीब नौ गुणा ज्यादा है। बिहार में 2014 से 1832 किमी नई लाइन का निर्माण हुआ है। यह मलेशिया के रेल नेटवर्क के बराबर है। इसके साथ ही बिहार में 2014 से 3020 किमी रेलवे ट्रैक का विद्युतीकरण किया जा चुका है। बिहार में रेलवे का 100 प्रतिशत विद्युतीकरण हो गया है।

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Suman

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