गया: बिहार में रहते हैं तो बचकर रहिएगा! पुलिस अब लूटपाट भी करने लगी है। बिहार के बोधगया में घर के भीतर हुई लूटपाट के मामले में एक उत्पाद दारोगा के पकड़े जाने से न केवल खाकी फिर शर्मसार हुई है, बल्कि आमजनों के लिए संदेश भी साफ है।
चिंता की बात तो यह है कि जिन पुलिसकर्मियों पर नागरिकों के जान माल की सुरक्षा का जिम्मा है, उन्हीं के द्वारा लूटपाट जैसी घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है। भला हो सीसीटीवी कैमरे का, जिससे उत्पाद दारोगा की करतूत आइने की तरह साफ दिख गई। दूध का दूध और पानी का पानी हो गया। वर्ना सबूत ढीले होते तो कुतर्क गढ़कर आरोपों के फंदे से दारोगा निकल भागता।
लूटपाट की ताजा घटना में शामिल एक उत्पाद दारोगा के गया में बेनकाब होने के साथ ही बिहार में पुलिसकर्मियों द्वारा नागरिकों से धनलूट, बलात्कार और हत्या तक की कई घटनाओं की यादें फिर ताजा हो गई हैं।
चाहे धन लूट की खातिर गया के बाराचट्टी में मशहूर कपड़ा कारोबारी राजेश धवन की हत्या का मामला हो या संयुक्त बिहार के पड़रिया का बलात्कार कांड। या फिर सारण में थानेदार द्वारा कारोबारी से नकदी लूट का मामला हो या पूर्णिया में युवक से खाकी वर्दीधारियों द्वारा पैसे की छीना झपटी का आरोप।
कैसे बेपर्दा हुई दारोगा की करतूत
नवीनतम मामला गया जिले के बोधगया के टीका बीघा गांव में एक कारोबारी के घर हुई लूटपाट से जुड़ा है। बोधगया के थाना अध्यक्ष मनोज कुमार सिंह के अनुसार 26 जून को जूता-चप्पल के कारोबारी के घर में घुसे चार बदमाशों की जब निकट के सीसीटीवी कैमरे से पहचान की गई तो 3 जुलाई को उनमें से एक की पहचान उत्पाद थाने के एएसआई अंजनी कुमार के रूप में हुई, जबकि तीन अन्य उत्पाद थाने के प्राइवेट ड्राइवर क्रमश: अजीत, दिलीप और दीपक के रूप में पहचाने गए।
पुलिस ने उत्पाद दारोगा को पकड़कर पूछताछ शुरु की है। कारोबारी के घर से चोरी हुई 2 लाख रुपये की नकद रकम और जेवरात की बरामदगी के लिए छापेमारी की जा रही है। इस घटना का निरीक्षण गया के सिटी एसपी रामानंद कुमार कौशल ने भी किया है। बताया जाता है कि यह घटना तब घटी जब कारोबारी चंदन अपनी पत्नी के साथ गया गए हुए थे। घर में सिर्फ बच्चे थे।
पूर्णिया में कैसे खाकी हुई शर्मसार
इस वर्ष सूबे में पुलिस द्वारा लूटपाट की यह तीसरी घटना है। रिकार्ड के मुताबिक डेढ़ महीने पूर्व ही 15 मई की आधी रात को पूर्णिया जिले के केहाट थाना क्षेत्र में जनता चौक (बीबीगंज पुल) के पास रात के समय गश्ती में रहे पुलिसकर्मियों ने वाहन चेकिंग के बहाने 18 वर्षीय अभिनंदन यादव नामक एक युवक की गाड़ी रोककर उसके पास मौजूद 1 लाख 10 हजार रुपये लूट लिया था। सुबह में जब पुलिसकर्मियों की करतूत उजागर हुई तो तत्कालीन एसपी कार्तिकेय शर्मा के आदेश पर एएसआइअरूण कुमार झा और दो सिपाहियों तथा जीप चालक को गिरफ्तार कर लूटी गई रकम बरामद की गई।
सारण का थानेदार निकला लुटेरा
इससे पहले 10 जनवरी 25 को सारण जिले के मकेर थाने के एसएचओ रविरंजन कुमार और पुलिस चालक अनिल कुमार सिंह को एक कारोबारी से 35 लाख रुपये की नकद रकम लूट लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। हुआ यह था कि 64 लाख रुपये की बड़ी नकद रकम लेकर मकेर थानाक्षेत्र से रात के समय आभूषण कारोबारी रोहन कुमार गुजर रहे थे। वाहन चेकिंग के बहाने कारोबारी की कार रोकी गई।
जांच के दौरान गाड़ी में बड़ी नकद रकम के मौजूद होने का पता चला। लालच के मारे पुलिस वालों ने व्यापारी को धनशोधन या गांजा-दारू की तस्करी के मामले में फंसा देने का भय दिखाकर मौजूद रकम के आधे हिस्से पर हाथ मार दिया। सुबह जब बात एसपी कुमार आशीष के कानों तक पहुंची तो लूटे गए धन की बरामदगी के साथ पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी भी हुई।
मुजफ्फरपुर में पुलिस के खिलाफ दर्ज हुआ डकैती केस
मुजफ्फरपुर के रसूलपुर इलाके में करजा थाने के प्रभारी बृजकिशोर बिंद समेत 18 पुलिसकर्मियों की काली करतूतें तब उजागर हुई थीं जब 18 जून 2021 को मुजफ्फरपुर के एक न्यायाधीश नयन कुमार ने एक रिटायर्ड फौजी के घर में हुई डकैती के मामले में पुलिसकर्मियों के खिलाफ आइपीसी की धारा 395 के तहत नामजद मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया था। तब पुलिसकर्मियों के खिलाफ जांच शुरु होने के साथ गिरफ्तारियां भी हुई थीं।
दरअसल, न्यायाधीश का यह कड़ा और सबक-आमोज़ निर्णय हरिद्वार प्रसाद ठाकुर नामक रिटायर्ड फौजी की उस शिकायत पर सामने आया था, जिसमें कहा गया था कि पुलिसवाले बगैर किसी सर्च वारंट के रात में उसके घर में घुस गए और महिलाओं व पुरुषों के साथ मारपीट कर 49 लाख की नकद रकम और तीन लाख रुपये मूल्य के जेवर लूट ले गए।
धनलूट के दौरान व्यापारी को पुलिस ने मार दी थी गोली
हद तो तब हो गई थी जब एक कारोबारी से धन लूटने के चक्कर में गया जिले के बाराचट्टी थानाक्षेत्र में जीटी रोड पर 71 माइल पोस्ट के समीप गश्ती दल के पुलिसकर्मियों ने मारुति वैन पर सवार रांची के कपड़ा कारोबारी राजेश धवन एंव उनके दो अन्य सहयोगियों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। यह मामला 5 दिसम्बर 1993 का है।
इस मामले में चली अदालती कार्यवाही के बाद बाराचट्टी के तत्कालीन थानेदार दूधनाथ राम और उनके सहयोगियों को जेल की सजा हुई थी। उस समय गया के एसपी रहे सुनील कुमार अब राज्य सरकार में शिक्षा मंत्री हैं। तब शुरुआती जांच के बाद एसपी ने मृतकों को अपराधी बताकर दारोगा को वीरता पुरस्कार देने तक की घोषणा कर दी थी। बाद में जब हकीकत से पर्दा उठा तो समूचे महकमे को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा।
पड़रिया बलात्कार कांड से वर्दी हुई थी दागदार
इससे चंद वर्ष पूर्व वर्ष 1988 में संयुक्त बिहार के पड़रिया गांव में छापेमारी के नाम पर पहुंची पुलिस पर कम से कम 14 महिलाओं के साथ बलात्कार करने के अलावा गहने-जेवर की लूट के आरोप लगे थे। पुलिस इस गांव में 40 की संख्या में पहुंची थी। राज्य के बंटवारे के बाद अब घटनास्थल झारखंड के देवघर जिले में आता है। इस बलात्कार कांड ने तब सूबे के मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी दूबे की सरकार हिला दी थी।