पटना । महान भारतीय गणितज्ञ और खगोल शास्त्री आर्यभट्ट की कर्मस्थली मानी जाने वाली मसौढ़ी विधानसभा बिहार की राजधानी पटना की सियासत का मुख्य केंद्र है। पटना जिले के पाटलिपुत्र लोक सभा क्षेत्र में आने वाली इस आरक्षित विधान सभा में कभी एक साथ दो विधानसभा चुने जाते थे। आजादी के बाद कांग्रेस का गढ़ रही इस विधानसभा पर बीते 30 सालों में जदयू और राजद ने कब्जा कर रखा है। आइये जानते है मसौढ़ी विधानसभा का राजनीतिक समीकरण।
1951 से अस्तित्व में है मसौढ़ी विधानसभा
मसौढ़ी पाटलिपुत्र लोकसभा के 6 विधानसभा पटना जिले के 14 विधान सभाओं में से एक है। आजादी के बाद जब पहली बार 1952 के आम चुनाव हुए तो उस समय के नियमावली के अनुसार एक विधायक सामान्य श्रेणी से और दूसरा विधायक अतिपिछड़ा या अनुसूचित जाती से चुने जाते थे। यह चुनावी प्रकिया 1952 और 1957 के चुनाव में थी। 1952 में सामान्य श्रेणी से नवल किशोर सिंह ने जीत दर्ज की थी तो आरक्षित श्रेणी से सरस्वती चौधरी ने चुनाव जीता था.
1962 के विधानसभा चुनाव में यह नियमावली को रद्द कर दिया गया और तबसे इस सीट पर एक ही विधायक चुना जाने लगे। फ़िलहाल यह सीट अनुसूचित जाति ( SC ) के लिए रिजर्व है।
जदयू और राजद ने ढहाया कांग्रेस का किला
इस सीट पर अब तक 17 बार चुनाव हुए हैं। इसमें सबसे ज्यादा जीत दर्ज कांग्रेस पार्टी के नाम है। दूसरे नंबर पर जदयू और राजद है। इनको यहां से तीन-तीन बार प्रतिनिधित्व का मौका मिला है। तीसरे नंबर पर भाकपा ने सीट पर दो बार जीत दर्ज की है।
आजादी के बाद कांग्रेस का गढ़ रही इस सीट पर पिछले 30 वर्षो में जदयू और राजद के उम्मीदवार ही जीतते आ रहे हैं। पिछले दो चुनावों में यहां से राजद ने लगातार जीत दर्ज की है। 2015 के विधानसभा चुनाव में राजद की प्रत्याशी रही रेखा देवी ने जदयू प्रत्याशी नूतन पासवान 39 हजार मतों से हराया था। 2020 विधानसभा चुनाव में दुबारा मुकाबला इन्हीं दोनों प्रत्याशियों के बीच था। इस बार भी राजद प्रत्याशी रेखा देवी ने जदयू प्रत्याशी नूतन पासवान को करारी शिकस्त दी। लगातार दूसरी बार रेखा ने इस सीट पर कब्जा जमा रखा है।
संभावित उम्मीदवार
2025 बिहार विधानसभा चुनाव मसौढ़ी विधानसभा से संभावित उम्मीदवार की बात करें तो महागठबंधन से एक बार फिर वर्तमान विधायक रेखा देवी फिर से मैदान में उतर सकती हैं। चुनावी साल क्षेत्र में गतिविधियां उनकी तेज हो गयी हैं। कहा जा रहा है लगातार दो बार से राजद के झोली में यह सीट रेखा देवी के कार्य के कारण ही जा रहा है। वहीं, दूसरी तरफ जदयू से नूतन पासवान अलावा फिलहाल किसी नाम की चर्चा क्षेत्र में नहीं है। अगर जदयू एक बार फिर इनको टिकट देती है तों दोनों के बीच मुकाबला दिलचस्प होगा।
जातीय समीकरण
मसौढ़ी विधानसभा की जातीय समीकरण की बात करें तों यहां मुख्य रूप से यादव और दलित समुदाय के वोटरों का दबदबा है. दलित समुदाय में अनुसूचित जाति के वोटरों की संख्या 11.38% है। यह सीट सुरक्षित होने के कारण दलित वोटरों का मत बंट जाता है। वहीं, पिछड़ी जातियों में सबसे ऊपर यादव जाती के वोटर है, जिनका एक मुश्त वोटर निर्णायक भूमिका में रहता है।
अतीत के पन्नों में मसौढ़ी
मसौढ़ी को तारेगना नाम से भी जाना जाता है। इसके पीछे की कहानी है। मान्यता है कि 6वीं शताब्दी में महान खगोलशास्त्री आर्यभट्ट ने यहां सूर्य मंदिर में एक खगोलीय वेधशाला बनाई थी। आर्यभट ने यही से हेलियोसेंट्रिक मॉडल का प्रस्ताव भी रखा था। यहीं रहकर आर्यभट्ट ने आकाश में ग्रह-नक्षत्र और तारों की स्थिति का अध्ययन किया था और इसलिए इसका नाम तारेगना रखा गया। जिस जगह से आर्यभट्ट तारों की गिनती किया करते थे, उसकी आधारशिला आज भी मौजूद है।
हेलियोसेंट्रिक मॉडल: इसे सूर्य केंद्रीय सिद्धांत भी कहा जाता है। यह एक खगोलीय मॉडल है, जिसमें सूर्य को सौर मंडल के केंद्र में माना जाता है। जबकि पृथ्वी और अन्य ग्रह इसके चारों ओर घूमते हैं।
छठ पर दिखती सूर्य मंदिर तालाब की अनूठी छठा
मसौढ़ी रेलवे स्टेशन से 1.3 किमी की दूरी पर स्थित मणीचक सूर्य मंदिर तालाब कई मायनों में पौराणिक है। संतान सुख की कामना लेकर छठ व्रती यहां पहुंचते हैं। यहां का चैती छठ और कार्तिक छठ बहुत भव्य होता है। इस दौरान यहां विहंगम दृश्य नजर आता है। पूरे बिहार से श्रद्धालु भगवान भास्कर को अर्घ्य देते हैं। छठ व्रतियों के ठहरने के लिए तालाब के आसपास कई धर्मशालाएं हैं। इससे दूर-दराज से आये छठ व्रतियों को रहने का कमरा आराम से मिल जाता है।

इनके सिर पर बंधा है सेहरा
- 2005 विधानसभा चुनाव – पूनम देवी (जदयू ) कुल मत ( 41414 )
- 2010 विधानसभा चुनाव – अरुण मांझी (जदयू ) कुल मत (56977 )
- 2015 विधानसभा चुनाव – रेखा देवी (राजद ) कुल मत (89657)
- 2020 विधानसभा चुनाव – रेखा देवी (राजद) कुल मत (98, 696)