नई दिल्ली: टीम इंडिया के नए हेड कोच बने गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) की अगुवाई में भारतीय टेस्ट टीम का प्रदर्शन लगातार गिरावट की ओर है। हाल ही में लीड्स में इंग्लैंड के खिलाफ खेले गए पहले टेस्ट में भारत को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा, जिससे न केवल फैंस बल्कि पूर्व क्रिकेटरों और विशेषज्ञों के बीच भी नाराजगी की लहर फैल गई है।
गौतम गंभीर ने टी20 वर्ल्ड कप 2024 के बाद राहुल द्रविड़ की जगह टीम के मुख्य कोच का पदभार संभाला था। हालांकि, उनकी कोचिंग में भारत की सीमित ओवरों की टीम ने कुछ अच्छे नतीजे जरूर दिए, लेकिन टेस्ट फॉर्मेट में स्थिति बिल्कुल उलट रही।
लगातार हार से बिगड़ी टीम की साख
गंभीर के कार्यकाल में टीम को अब तक 10 टेस्ट में 7 बार हार का सामना करना पड़ा है, जबकि सिर्फ दो मैचों में जीत मिली और एक मुकाबला ड्रॉ रहा। लीड्स टेस्ट में भी शुभमन गिल की कप्तानी वाली टीम अनुशासनहीन गेंदबाजी और लचर फील्डिंग की वजह से जीत से चूक गई।
घरेलू मैदान पर टूटे ऐतिहासिक रिकॉर्ड
पिछले साल न्यूजीलैंड के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज में 3-0 से मिली हार ने 12 साल से चली आ रही भारत की घरेलू अपराजेयता की लय तोड़ दी। इस सीरीज में कई शर्मनाक आंकड़े भी सामने आए, जैसे बेंगलुरु में भारत का 46 रन पर ऑलआउट होना-जो घरेलू सरजमीं पर अब तक का सबसे कम स्कोर रहा।
चिन्नास्वामी और वानखेडे में करारी शिकस्त
बेंगलुरु के एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम में 19 साल बाद भारत को हार का मुंह देखना पड़ा, जबकि वानखेडे स्टेडियम में भी उसे 12 साल बाद टेस्ट हार झेलनी पड़ी।
मेलबर्न और सिडनी में भी हारे
बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 2024-25 में भारत को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 3-1 से हार मिली। मेलबर्न और सिडनी में हार के साथ 10 साल बाद यह पहला मौका था जब भारत इस प्रतिष्ठित ट्रॉफी को गंवा बैठा।
WTC फाइनल की दौड़ से बाहर
इस निराशाजनक प्रदर्शन का सबसे बड़ा असर भारत की वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) की संभावनाओं पर पड़ा, जहां टीम इस बार फाइनल में भी जगह नहीं बना सकी — जो टूर्नामेंट के इतिहास में पहली बार हुआ है।
पांच शतक के बावजूद मिली हार
लीड्स में खेले गए एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी के पहले टेस्ट में भारत की बल्लेबाजी चमकी — यशस्वी जायसवाल, शुभमन गिल, केएल राहुल और ऋषभ पंत (दो शतक) ने शानदार प्रदर्शन किया, फिर भी टीम मैच नहीं जीत पाई, जिससे कप्तानी और रणनीति पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
कोच पर बर्खास्तगी की मांग
लगातार खराब प्रदर्शन के चलते सोशल मीडिया पर गंभीर को पद से हटाने की मांग जोर पकड़ने लगी है। फैंस का कहना है कि गंभीर की आक्रामकता सीमित ओवरों के लिए तो फायदेमंद रही, लेकिन टेस्ट जैसे रणनीतिक खेल में उनका दृष्टिकोण काम नहीं कर रहा।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि बीसीसीआई आने वाले महीनों में क्या फैसला लेती है-क्या टीम गंभीर के नेतृत्व में उभरकर सामने आएगी या कोचिंग स्टाफ में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।