नई दिल्ली: माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई करने के लिए देश भर से एनसीसी कैडेट्स में चयन किया गया था। यह सभी नए पर्वतारोही थे। इनको चयन और प्रशिक्षण की कठिन प्रक्रिया से गुजरना पड़ा। अभियान की अपनी तैयारी के एक हिस्से के रूप में इनने उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित हिमालय पर्वत की एक श्रृंखला माउंट अबी गामिन पूर्व अभ्यास किया। इसके बाद 15 कैडेट्स का अंतिम टीम का चयन हुआ। इसके बाद इनको सियाचिन बेस कैंप स्थित आर्मी माउंटेनियरिंग इंस्टीट्यूट में शीतकालीन एवं तकनीकी प्रशिक्षण दिया गया। इस तरह से महीनों के प्रशिक्षण के बाद दस कैडेटों का चयन माउंट एवरेस्ट अभियान के लिए किया गया।
यह सबसे युवा पर्वतारोहियों की टीम थी। चढ़ाई के अलग-अलग चरणों में प्रशिक्षण के दौरान अपनी फिटनेस तथा अनुशासन को परखा गया। नेपाल के शेरपाओं ने भी एनसीसी टीम की शारीरिक मजबूती और मनोबल की तारीफ की। इस टीम में 19 वर्ष की औसत आयु वाले युवा शामिल थे।
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस अभियान को 03 अप्रैल को नई दिल्ली से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था। इन कैडेटों ने चुनौतीपूर्ण मौसम और भौगोलिक परिस्थितियों का सामना करने के बावजूद विश्व की सबसे ऊंची चोटी पर सफलतापूर्वक तिरंगा झंडा और एनसीसी ध्वज फहराया। एनसीसी की तरफ से यह माउंट एवरेस्ट पर तीसरी चढ़ाई है। इससे पहले एनसीसी कैडेट्स 2013 और 2016 में भी पर्वत श्रृंखला को फतह की है।