नई दिल्ली: 7 जुलाई – भारतीय क्रिकेट इतिहास की किताबों में यह तारीख खास दर्ज है, क्योंकि इसी दिन जन्म हुआ उस खिलाड़ी का, जिसने न सिर्फ ट्रॉफियां जीतीं, बल्कि करोड़ों दिल भी। हम बात कर रहे हैं महेंद्र सिंह धोनी (Mahendra Singh Dhoni) की – वही खिलाड़ी, जो मैदान पर शांत रहकर भी तूफान ला देता है।
आज जब माही 44 साल के हो चुके हैं, उनके जन्मदिन (MS Dhoni Birthday) के मौके पर आइए जानते हैं उनके जीवन से जुड़े 10 ऐसे अनसुने किस्से, जो उनके संघर्ष और सफलता की कहानी खुद बयां करते हैं।
1. फुटबॉल के गोलपोस्ट से क्रिकेट की पिच तक
धोनी की पहली पसंद क्रिकेट नहीं, बल्कि फुटबॉल थी। वे स्कूल में गोलकीपर थे। लेकिन एक दिन खेल शिक्षक ने क्रिकेट टीम में विकेटकीपर की जरूरत बताई और माही ने मौका लपक लिया – और यही बदलाव भारतीय क्रिकेट को एक नया कप्तान देने वाला था।
2. सचिन से मिली प्रेरणा
बचपन में सचिन तेंदुलकर ही धोनी के आदर्श थे। वह सचिन के पोस्टर दीवार पर चिपकाते, और जब सचिन आउट हो जाते, तो टीवी बंद करके सो जाते थे। धोनी का सपना था – सचिन जैसे छक्के लगाना।
3. टिकट चेकर से चैंपियन बनने का सफर
क्रिकेट से पहले धोनी रेलवे में टिकट कलेक्टर की नौकरी करते थे। लेकिन सपनों की कीमत पर उन्होंने नौकरी छोड़ी और मैदान पर ऐसा नाम कमाया, जो इतिहास में दर्ज हो गया।
4. लंबे बालों से छा गए थे धोनी
पाकिस्तान के खिलाफ डेब्यू में धोनी पहली ही गेंद पर रन आउट हो गए, लेकिन उनके लंबे बाल और आक्रामक अंदाज ने सभी को आकर्षित किया। पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ भी उनके फैन बन गए थे।
5. बाइक के दीवाने हैं माही
पहली कमाई से धोनी ने एक पुरानी बाइक खरीदी थी। आज उनके पास 50 से ज्यादा बाइक्स हैं और रांची में उन्होंने एक बाइक म्यूजियम भी बनवाया है।
6. मैदान का सबसे शांत कप्तान
चाहे कितना भी दबाव हो, धोनी कभी घबराते नहीं दिखे। शांत स्वभाव और मैदान पर संतुलित निर्णयों ने उन्हें ‘कैप्टन कूल’ का खिताब दिलाया।
7. खुद नहीं, टीम पहले
2011 वर्ल्ड कप जीत के बाद पूरी टीम ट्रॉफी के साथ फोटो खिंचवा रही थी, लेकिन धोनी पीछे खड़े थे उनके लिए टीम की खुशी पहले थी, अपनी बाद में।
8. जब साइकिल से पहुंचे थे नेट प्रैक्टिस
एक बार रांची में ट्रैफिक जाम की वजह से धोनी स्टेडियम नहीं पहुंच पाए। ऐसे में उन्होंने पास से एक साइकिल ली और पैडल मारते हुए प्रैक्टिस के लिए पहुंच गए।
9. मां नहीं देखती थीं बेटे का मैच
धोनी की मां उनके सबसे बड़ी फैन थीं, लेकिन वह मैच नहीं देखती थीं। उन्हें डर था कि बेटा आउट हो जाएगा और उसका मन टूट जाएगा।
10. कप्तानी छोड़ी, जिम्मेदारी नहीं
जब धोनी ने वनडे और टी20 की **कप्तानी छोड़ी**, तो फैंस हैरान रह गए। लेकिन वे हमेशा टीम के साथ खड़े रहे, युवाओं को सलाह देते और जरूरत पर मार्गदर्शन करते रहे।
धोनी सिर्फ एक नाम नहीं, एक भावना हैं। उनके फैसले, मैदान पर शांत नेतृत्व और निजी जीवन की सादगी उन्हें लाखों लोगों के लिए प्रेरणा बनाती है।