गीता समोटा ने रचा इतिहास

गीता समोटा केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) में महिला उप-निरीक्षक हैं। मानवीय सहन शक्ति, अदम्य साहस और अटूट संकल्प की मिसाल पेश इन्होंने कमाल कर दिखाया है। माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराकर समोटा ने इतिहास रच दिया।

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नई दिल्ली: मानवीय सहनशक्ति, अदम्य साहस और अटूट संकल्प की गीता समोटा ने मिसाल पेश की है। केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) की महिला उप-निरीक्षक समोटा ने 8,849 मीटर ऊंचे माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई कर इतिहास रच दिया। यह पहली बार नहीं है, समोटा के नाम ढेरों उपलब्धियां है।

19 मई 2025 की सुबह गीता जब दुनिया की छत पर खड़ी थीं, तो वह क्षण केवल एक व्यक्तिगत विजय नहीं था, बल्कि अर्ध सैनिक शक्ति और भारतीय राष्ट्र की साहस का प्रतीक रहा। राजस्थान के सीकर जिले के छोटे से चक गांव से शुरू हुई उनकी यात्रा अदम्य साहस का परिणाम है, जिसने हर बाधा को पार कराया।

साधारण परिवार में जन्मी गीता समोटा का पालन-पोषण हुआ। उन्होंने अपनी स्कूली और कॉलेज की शिक्षा स्थानीय संस्थानों से ही पूरी की। लड़कों की उपलब्धियों के किस्से तो खूब सुने, लेकिन जब बात लड़कियों की सफलताओं की आती तो उन्हें एक खालीपन सा महसूस होता था। इसी खालीपन ने उनके भीतर अपनी अलग पहचान बनाने की ललक को जन्म देता गया।

शुरुआत से ही खेलों में विशेष रुचि रखने वाली समोटा कॉलेज के दिनों में हॉकी खिलाड़ी के रूप में मशहूर हुईं। लेकिन चोट ने उनको इस करियर को छोड़ने को मजबूर कर दिया। यह ऐसा झटका था, जिसने उन्हें अनजाने में ही एक नई दिशा की तरफ मोड़ा। एक ऐसी राह, जहां उन्होंने न केवल खुद को फिर से खोजा, बल्कि देश और अर्धसैनिक बल का मान भी बढ़ाया।

सीआईएसएफ में हुईं शामिल

गीता समोटा 2011 में सीआईएसएफ में शामिल हुईं। सेवा की शुरुआती सालों में ही उन्होंने देखा कि पर्वतारोहण एक ऐसा क्षेत्र है, जिसे बहुत कम लोग जानते थे। उस वक्त सीआईएसएफ में कोई समर्पित पर्वतारोही दल भी नहीं था। गीता ने इस स्थिति को एक चुनौती नहीं, बल्कि एक अवसर के रूप में देखा।

समोटा की यह दूरदर्शिता उन्हें वर्ष 2015 में एक निर्णायक मोड़ पर ले आई, जब उन्हें औली स्थित भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) प्रशिक्षण संस्थान में छह सप्ताह के बुनियादी पर्वतारोहण पाठ्यक्रम के लिए चयनित किया गया। वह अपने बैच की एकमात्र महिला प्रतिभागी थीं। ट्रेनिंग के दौरान उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन ने उनके भीतर न केवल आत्मविश्वास और दृढ़ता को और मजबूत किया, बल्कि पर्वतारोहण के प्रति जुनून और कौशल को भी नई ऊंचाई दी।

2017 में पूरी हुई पर्वतारोही की ट्रेनिंग

वर्ष 2017 में उन्नत पर्वतारोहण ट्रेनिंग सफलतापूर्वक पूरा किया। ऐसा करने वाली पहली तथा एकमात्र सीआईएसएफ कर्मी बनीं। वर्ष 2019 में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि का रूप लिया, जब वे उत्तराखंड की माउंट सतोपंथ (7,075 मीटर) और नेपाल की माउंट लिंबाचे (6,119 मीटर) पर सफलतापूर्वक चढ़ाई करने वाली पहली महिला बन गईं।

दुनिया के चार शिखर किए फतह

वैश्विक कोविड -19 महामारी जैसी अभूतपूर्व चुनौतियों के बावजूद, गीता समोटा ने अपने “Seven Summits” अभियान के सपने को डगमगाने नहीं दिया। 2021-2022 की शुरुआत में चुनौती के तहत दुनिया भर की चार दुर्गम चोटियों पर सफलतापूर्वक चढ़ाई की।

इसमें शामिल है; ऑस्ट्रेलिया में माउंट कोसियस्जको (2,228 मीटर), रूस में माउंट एल्ब्रस (5,642 मीटर), तंजानिया में माउंट किलिमंजारो (5,895 मीटर), अर्जेंटीना में माउंट एकॉनकागुआ (6,961 मीटर)।

इन चार शिखरों को मात्र छह महीने और 27 दिनों में फतह किया। इतनी तेजी से प्रगति करने वाली सबसे तेज भारतीय महिला बन गईं। लद्दाख के रूपशु क्षेत्र में उन्होंने महज तीन दिनों के भीतर पांच चोटियों पर सफल चढ़ाई की। जिसमें 6,000 मीटर से अधिक और 5,000 मीटर से अधिक ऊंची चोटियां थीं। इस तरह वह पहली सबसे तेज महिला पर्वतारोही बन गईं।

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Suman

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