सोपोरी बाज की संगीतमय खुश्बू से महकेगा यमुनोत्सव

मशहूर संतूर वादक एवं संगीतकार पंडित अभय रुस्तुम सोपोरी भारत के विशिष्ट संगीतज्ञों में से एक हैं। वह कश्मीर के 300 साल पुराने ‘सोपोरी-सूफियाना घराने’ के संरक्षक हैं। यमुना संसद और दिल्ली सरकार की तरफ से आयोजित यमुनोत्सव में पंडित अभय सोपोरी भारतीय शास्त्रीय संगीत में यमुना जी की संगीतमय खुशबू के साथ अपने सोपोरी बाज को प्रस्तुत करेंगे। इनके साथ तबले पर उस्ताद अकरम खान, घटम पर वरुण राजशेखरन, मृदंगम पर मनोहर बालाचंडीराणे संगत देंगे।

Share This Article:

नई दिल्ली: संतूर पूरे विश्व को सोपोरी परंपरा की ही देन है। उनकी प्राचीन शैव-सूफी संगीत परंपरा है। पंडित अभय सोपोरी ने संगीत की शिक्षा अपने दादा, महान संगीत आचार्य पंडित शंभू नाथ सोपोरी जी से प्राप्त की। इनको जम्मू-कश्मीर में ‘शास्त्रीय संगीत के जनक’ के रूप में जाना जाता है। इसके साथ ‘संतूर का संत’ एवं ‘किंग ऑफ स्ट्रिंग्स’ की उपाधि से नवाजे गए अपने पिता व महान संत-संगीतज्ञ, मशहूर संतूर वादक एवं संगीतकार पंडित भजन सोपोरी जी से इस कला में महारत हासिल की। पंडित भजन सोपोरी ने ‘सोपोरी बाज’ शैली का निर्माण किया। यह संतूर वादन की एक अनूठी और औपचारिक प्रणाली है।

अपने संगीत सफर में पंडित अभय सोपोरी ने संयुक्त राष्ट्र महात्मा गांधी ग्लोबल पीस अवार्ड, भारत सरकार द्वारा टॉप ग्रेड संतूर कलाकार एवं टॉप ग्रेड संगीतकार पुरस्कार, भारत संसद में प्रदान किया गया राष्ट्रीय अटल शिखर सम्मान, डॉ. एस. राधाकृष्णन राष्ट्रीय पुरस्कार, भारत के निर्वाचन आयोग द्वारा जम्मू कश्मीर के राज्य आइकन का खिताब, जम्मू-कश्मीर सरकार पुरस्कार (जम्मू – कश्मीर का सर्वोच्च नागरिक सम्मान), भारत सरकार के संगीत नाटक अकादमी का प्रथम युवा पुरस्कार, ध्रुपद सम्मान, भारत शिरोमणि पुरस्कार सहित अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त किए हैं।

संगीत में नवाचार और सृजनशीलता के प्रतीक, पंडित अभय सोपोरी संतूर की संभावनाओं को लगातार नया आयाम देते रहे हैं। अपनी पारंपरिक विरासत को आगे बढ़ाते हुए, उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत में ‘गायन वादन बाज’ और ‘बीन अंग’ की अवधारणा को सशक्त किया तथा ‘ओपन स्ट्रिंग कॉन्सेप्ट’ एवं ‘एन्हांस्ड सस्टेन तकनीक’ को संतूर पर प्रस्तुत किया। उनके योगदान केवल प्रस्तुतियों और रचनाओं तक ही सीमित नहीं हैं; उन्होंने जम्मू-कश्मीर में संस्कृति नीति लागू करने, संगीत को औपचारिक शिक्षा प्रणाली का हिस्सा बनाने और हजारों युवा संगीतकारों को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी कोशिशों से कश्मीर में हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में एम.ए. प्रोग्राम शुरू किया गया।

राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय फिल्मों में दिया संगीत

पंडित अभय सोपोरी की 60 से अधिक प्रतिष्ठित एल्बम रिलीज हो चुकी हैं। इन्होंने कई राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्मों के लिए संगीत रचा है। इसमें भारत सरकार की फिल्म ‘महात्मा’ भी शामिल है। इसे संयुक्त राष्ट्र में पहले अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस (2007) पर प्रस्तुत किया गया था। वह पंडित भजन सोपोरी जी के अलावा भारत के एकमात्र संगीतकार हैं, जिन्होंने लोक संगीत ऑर्केस्ट्रा की रचनाएं एवं संचालन किया है।

दुनिया में सराही गई रचनाएं

पंडित अभय सोपोरी की संगीत रचनाएं विश्व स्तर पर सराही गई हैं। विशेष रूप से जब महान म्यूजिक कंडक्टर जुबिन मेहता के साथ जर्मन वेबेरियन स्टेट आर्केस्ट्रा के 100 कलाकारों ने उनकी रचनाओं का प्रदर्शन किया। यह कश्मीरी संगीत के इतिहास में एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी। उन्हें जुबिन मेहता के साथ मिलकर कंडक्ट करने का विशेष सम्मान प्राप्त है। उन्होंने अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ मैसाचुसेट्स और चीन के सेंट्रल कन्सेर्वटोरी ऑफ म्यूजिक में गेस्ट प्रोफेसर के रूप में भी सेवाएं दी हैं।

सोपोरी बाज को पंडित अभय सोपोरी ने आगे बढ़ाया

अपने पिता और गुरु पंडित भजन सोपोरी जी के ‘सोपोरी बाज’ को आगे बढ़ाते हुए, वे अपने गायकी एवं तंत्रकारी अंगों के लिए प्रसिद्ध हैं, जैसे कि मींड, गमक, ग्लाइड्स, तान, बोल, छंद एवं लय की जटिलता, जो भारतीय शास्त्रीय संगीत में राग-संगीत की शुद्ध प्रस्तुति के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। वे अपने ध्रुपद संतूर वादन के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं। उनके वादन की एक अन्य विशिष्टता यह है कि वे अपने वाद्य प्रस्तुति के साथ-साथ गायन करते हैं, जो उनकी पारंपरिक शैव-सूफी परंपरा है। उन्होंने कई नए रागों की रचना की है जैसे राग निर्मल कौंस, राग महाकाली, राग शारदा, राग भगवती एवं राग भजनेश्वरी, जिन्हें संगीत प्रेमियों और समीक्षकों द्वारा अत्यधिक सराहा गया है। राग भजनेश्वरी को उन्होंने अपने पूज्य पिता पंडित भजन सोपोरी जी को श्रद्धांजलि के रूप में रचा है।

संगीत के अलावा भी कई काम

संगीत के अलावा पंडित अभय सोपोरी का योगदान समाज सेवा और परोपकार में भी अतुलनीय है। वे विभिन्न सामाजिक एवं आपदा राहत कार्यों के लिए करोड़ों रुपये जुटा चुके हैं। इनमें कश्मीर भूकंप एवं जम्मू-कश्मीर बाढ़ राहत कार्य शामिल हैं। वे नई पीढ़ी के संगीत प्रेमियों एवं कलाकारों को प्रेरित करने और प्रशिक्षित करने के लिए भी प्रसिद्ध हैं। उनकी संगीत, संस्कृति संरक्षण एवं परोपकार के प्रति निःस्वार्थ समर्पण उन्हें केवल एक महान संगीतज्ञ ही नहीं, बल्कि एक संस्कृति दूत बनाता है। जो भारतीय शास्त्रीय संगीत के भविष्य को संवारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

newg india

यमुनोत्सव की शाम होगी निराली

यमुनोत्सव के दौरान पंडित अभय सोपोरी के साथ तबले पर उस्ताद अकरम खान, घटम पर वरुण राजशेखरन, मृदंगम पर मनोहर बालाचंडीराणे संगत देंगे। पंडित अभय सोपोरी संतूर पर भारतीय शास्त्रीय संगीत में यमुना जी की संगीतमय खुशबू के साथ अपने सोपोरी बाज को प्रस्तुत करेंगे। एक दिल्ली वासी और यमुना जी के सेवक होने के नाते अपने संगीत से यमुना के प्रति लोगों को जोड़ने का प्रयास होगा।

Suman

santshukla1976@gmail.com http://www.newgindia.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

न्यूज़लेटर के लिए सब्सक्राइब करें

कैटेगरीज़

हम वह खबरची हैं, जो खबरों के साथ खबरों की भी खबर रखते हैं। हम NewG हैं, जहां खबर बिना शोरगुल के है। यहां news, without noise लिखी-कही जाती है। विचार हममें भरपूर है, लेकिन विचारधारा से कोई खास इत्तेफाक नहीं। बात हम वही करते हैं, जो सही है। जो सत्य से परामुख है, वह हमें स्वीकार नहीं। यही हमारा अनुशासन है, साधन और साध्य भी। अंगद पांव इसी पर जमा रखे हैं। डिगना एकदम भी गवारा नहीं। ब्रीफ में यही हमारा about us है।

©2025 NewG India. All rights reserved.

Contact Us  |  Privacy Policy  |  Terms of Use