Diabetes सबसे तेजी से फैलने वाली बीमारी के रूप में सामने आई है। बदली लाइफस्टाइल से इसने अपना दायरा बढ़ाया है। इससे तेजी से किडनी, आंखों, स्किन, रक्त समेत दूसरे अंगों में बड़ी समस्याएं पैदा होती हैं।
Pancreas और Insulin का डिस्टर्बेन्स Sugar को अनियंत्रित कर डाइबिटीज को जन्म देता है। यदि किसी को डायबिटीज है, तो इसे मैनेज कर सकते हैं। यदि आप चाहते हैं कि आप और आपका परिवार डायबिटीज से बचा रहे तो उसके लिए यौगिक लाइफ स्टाइल अपनाना जरूरी है। इसमें योग को खास प्राथामिकता दें।
डायबिटीज या मधुमेह की समस्या आमतौर पर कमजोर मेटाबॉलिज्म की वजह से ही होती है।समय का साथ अगर इस पर काम ना किया जाए तो यह ब्लड शुगर लेवल को अधिक बढ़ाने का कार्य करता है। मधुमेह तीन तरह का होता है। जिसमें टाइप 1 मधुमेह में पैंक्रियाज में इंसुलिन का उत्पादन कम या बंद हो जाता है। टाइप 2 डायबिटीज इंसुलिन प्रतिरोध के कारण होता है। वहीं तीसरा होता है, गर्भकालीन मधुमेह, यह गर्भावस्था के दौरान होता है।
ऐसे में डायबिटीज की समस्या होने पर दवा के साथ साथ एक सही जीवन शैली और व्यायाम या योग करना बेहद जरूरी हो जाता है। ऐसे बहुत से योगासन हैं जो डायबिटीज में बढ़ रहे शुगर लेवल को आसानी से कम कर सकते हैं।
मंडूकासन

- मंडूकासन को करने के लिए सबसे पहले घुटनो के बल या वज्रासन में बैठ जाएं।
- अब अपने हाथों की मुठ्ठियों को जोर से बंद करें और अंगूठे को अंदर की तरफ ही रखें।
- अब दोनों हाथ बंद मुठ्ठियों को नाभि के ऊपर रखें।
- इसके बाद सांस ले और सांस छोड़ते हुए शरीर को आगे की ओर लेकर जाएं।
- शरीर का पूरा वजन जांघों पर होगा और आपकी गर्दन सामने की ओर सीधी होगी।
- कुछ देर इस पोजीशन में रहें और सांस लेते हुए वज्रासन में वापस आए।
- इसके 3 से 5 रैप दोहराएं।
सावधानी – अगर आपको कमर दर्द और घुटनों से जुड़ी समस्या है तो आप यह आसन किसी एक्सपर्ट के सामने ही करें। पेप्टिक अल्सर, एंकल इंजरी, हाई बीपी, अनिद्रा, और माइग्रेन के मरीज इस आसन को बिल्कुल भी ना करें। साथ ही आसन करते समय इस बात का ध्यान रखें कि आप पेट पर लंबे समय तक किसी तरह का प्रेशर डालकर ना रखें।
पश्चिमोत्तानासन

- इस आसन को करने के लिए सबसे पहले अपने पैरों को सामने की तरफ फैलाएं।
- इसके बाद धीरे-धीरे आगे की ओर झुकते हुए सांस ले और अपने हाथों से पैर के अंगूठे को पकड़ने का प्रयास करें या फिर जितना हो सके उतना आगे की ओर जाएं।
- अब अपने सिर को घुटनों पर रखने की कोशिश करें और कुछ देर इसी पोजीशन में रहें।
सावधानी – अगर आपको अस्थमा, बैक इंजरी, डायरिया जैसी समस्या हैं, या फिर हाल ही में आपने किसी तरह की सर्जरी कराई है, तो इस आसन को बिल्कुल ना करें। इसके अलावा भोजन के तुरंत बाद यह आसन ना करें। अगर आप आसन कर रहे हों तो घुटनों और कमर को आराम – आराम से स्ट्रेच करते हुए आगे जाएं। ध्यान रहे किसी तरह का जबरदस्ती दबाव आपको परेशानी में डाल सकता है।
सेतुबंध आसन

- इस आसन को करने के लिए सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएं।
- अब अपने घुटनों को ऊपर की ओर मोड़े और तलवों को जमीन पर रखें। ध्यान रहे कि आपके एंकल और घुटने एक दूसरे के सीधे नीचे होंगे।
- अब अपने दोनों हाथों से पैरों एंकल को पकड़े।
- इसके बाद सांस ले और अपनी बॉडी को ऊपर की ओर उठाएं।
- इसमें आपके कंधे, पैर गर्दन और सिर जमीन पर टिके रहेंगे।
- अब सांस लें और छोड़ें।
- इस मुद्रा में एक या दो मिनट तक रहें।
- इसके बाद सांस छोड़ते हुए आराम की मुद्रा में आ जाएं।
सावधानी – अगर हाल ही में आपकी किसी तरह सर्जरी हुई है तो इस आसन को बिल्कुल ना करें। साथ ही कमर दर्द और स्पाइनल प्रॉब्लम में भी यह आसन करने से बचें।
पवनमुक्तासन

- इस आसन को करने के लिए सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएं।
- अब अपने दोनों पैरों को हाथों की मदद से शरीर की ओर मोड़ कर रखें।
- सांस ले और फिर अपने दाहिने घुटने को अपनी चेस्ट की तरफ लाते हुए सांस छोड़ें और अपने हाथों से जांघ को अपने पेट पर दबाएं।
- इसके बाद अपने सिर और छाती को ऊपरी की तरफ उठाते हुए अपनी ठुड्डी को दाहिने घुटने पर टच करें।
- कुछ क्षणों के लिए रूके एवं सांस लें और छोड़ें।
- इसके बाद पूरी तरह सांस छोड़ते हुए आराम की मुद्रा में नीचे आ जाएं।
- इसके बाद अपने दूसरे पैर से भी इस आसन को दोहराएं। यह आसन आप 3 से 5 बार तक कर सकते हैं
सावधानी – आसन को करते हुए अपनी गर्दन पर अधिक प्रेशर बिल्कुल ना डालें। साथ ही ना तो बॉडी को ज्यादा स्ट्रेच करें और ना ही थाईज को अधिक खीचें।
सर्वांगासन

- इस आसन को करते हुए सबसे पहले जमीन पर पीठ के बल लेट जाएं।
- इसके बाद अपने पैर, कमर, हिप्स को कंधों की मदद से ऊपर की तरफ उठाएं।
- अपनी कमर को हाथों से सपोर्ट करें ताकि बैलेंस बना रहें।
- अपना ध्यान कंधों पर केंद्रित करें और महसूस करें कि सारा भार कंधों और हाथ के ऊपरी भार पर ही है।
- इस दौरान अपने सिर और गर्दन पर किसी तरह का प्रेशर ना बनाएं। इन्हें फ्री रहने दें।
- अपने पैरों को जितना हो सके उतना ऊपर की तरफ जाने दें।
- इसके बाद आराम की मुद्रा में आए और रिलैक्स करें।
- अब इस आसन को अपनी क्षमता के मुताबिक जितना हो सके दोहराएं
सावधानी – अगर आपको स्लिप डिस्क, हाई बीपी, गर्दन दर्द, हृदय रोग, और थायराइड की समस्या है तो इस आसन को बिल्कुल भी न करें। साथ ही गर्भवती महिलाएं और मासिक धर्म के समय या आसन ना करें।
हलासन

- हलासन के लिए जमीन पर पीठ के बल लेट जाएं।
- सांस ले और अपने दोनों पैरों को 90 डिग्री तक सीधा ऊपर की ओर लेकर जाएं।
- इसके बाद अपनी कमर और हिप्स को हाथों के जरिए सहारा दें।
- इसके बाद अपने पैरों को सिर के ऊपर से सीधा पीछे की ओर ही ले जाने का प्रयास करें। अपने पैरों से जमीन को छुए और पैर सीधे ही रखें।
- कुछ देर इस मुद्रा में बने रहें और फिर वापस आराम की मुद्रा में जाएं।
- इस आसन को 3 से 5 बार दोहरा सकते हैं।
सावधानी – ऐसी महिलाएं जो गर्भवती है या वह लोग डायरिया, और हाई बीपी या कमर दर्द का शिकार हैं वह इस आसन को बिल्कुल ना करें। इसके अलावा आसन करते समय अपनी गर्दन पर दबाव बिल्कुल ना बनाएं।