शहरों में बढ़ता Artificial Light, पेड़-पौधों की दुनिया पर डाल रहा असर

एक नए अंतरराष्ट्रीय शोध के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में कृत्रिम प्रकाश (Artificial Light) के बढ़ने से पेड़ों की हरियाली का मौसम ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में औसतन तीन सप्ताह तक लंबा हो गया है। इसका मतलब है कि शहरों में पेड़ों की पत्तियां पहले उगती हैं और देर से झड़ती हैं।

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नई दिल्ली: शहरों की चमकती रातें न केवल इंसानों के जीवन को प्रभावित कर रही हैं, बल्कि पेड़-पौधों की प्राकृतिक प्रक्रियाओं को भी बदल रही हैं। एक नए अंतरराष्ट्रीय शोध के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में कृत्रिम प्रकाश (Artificial Light) के बढ़ने से पेड़ों की हरियाली का मौसम ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में औसतन तीन सप्ताह तक लंबा हो गया है। इसका मतलब है कि शहरों में पेड़ों की पत्तियां पहले उगती हैं और देर से झड़ती हैं। इस बदलाव का मुख्य कारण रात के समय शहरों में फैलने वाली कृत्रिम रोशनी है, जो पौधों की जैविक घड़ी को प्रभावित कर रही है।  

कृत्रिम प्रकाश का गहरा प्रभाव
शोधकर्ताओं ने उत्तरी गोलार्ध के 428 शहरों, जैसे न्यूयॉर्क, पेरिस, टोक्यो और बीजिंग, के 2014 से 2020 तक के सैटेलाइट डेटा का विश्लेषण किया। नतीजों से पता चला कि शहरी क्षेत्रों में पेड़ों का बढ़ने का मौसम ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में 12-13 दिन पहले शुरू होता है और 10-11 दिन बाद खत्म होता है। यानी, शहरों में पेड़ों की हरियाली लगभग 23 दिन ज्यादा रहती है। पहले माना जाता था कि शहरी गर्मी (अर्बन हीट आइलैंड) इस बदलाव की मुख्य वजह है, जहां कंक्रीट और इमारतें दिन की गर्मी को रात में छोड़ती हैं। लेकिन यह शोध बताता है कि कृत्रिम प्रकाश का प्रभाव गर्मी से कहीं ज्यादा है।  

रात की रोशनी और पौधों की गलतफहमी
पिछले एक दशक में शहरों में रात के समय कृत्रिम प्रकाश की मात्रा हर साल लगभग 10% बढ़ी है, जिससे रातें पहले से कहीं ज्यादा चमकदार हो गई हैं। खासकर शरद ऋतु में, जब प्राकृतिक रोशनी कम होती है, कृत्रिम प्रकाश पौधों को यह ‘भ्रम’ देता है कि दिन अभी लंबे हैं। नतीजतन, पत्तियां देर से झड़ती हैं। पौधों की मौसमी गतिविधियां, जैसे पत्तियों का उगना और झड़ना, प्रकाश और तापमान जैसे बाहरी संकेतों पर निर्भर करती हैं। शहरों की बढ़ती रोशनी और गर्मी इस प्राकृतिक चक्र को बाधित कर रही है, जिससे वसंत जल्दी शुरू होता है और शरद देर से खत्म होता है।  

क्षेत्रीय अंतर और प्रभाव
शोध में पाया गया कि यूरोप में पेड़ों पर वसंत का प्रभाव सबसे पहले दिखता है, इसके बाद एशिया और फिर उत्तरी अमेरिका में। हैरानी की बात है कि उत्तरी अमेरिका में, जहां कृत्रिम प्रकाश की मात्रा सबसे ज्यादा है, वहां पेड़ों के मौसम में बदलाव अपेक्षाकृत कम देखा गया। जिन क्षेत्रों में गर्मियां सूखी और सर्दियां नम होती हैं, वहां कृत्रिम प्रकाश का असर मौसम की शुरुआत पर ज्यादा पड़ता है। लेकिन पत्तियों के देर से झड़ने का प्रभाव लगभग सभी शहरों में एकसमान है। उत्तरी क्षेत्रों में, जहां दिन और रात की अवधि में बड़ा अंतर होता है, पेड़ कृत्रिम प्रकाश के प्रति अधिक संवेदनशील हैं। यह रोशनी उनकी जैविक घड़ी को भटका देती है।  

एलईडी लाइट्स और बढ़ता खतरा
आधुनिक शहरों में पारंपरिक सोडियम लैंप की जगह चमकदार एलईडी लाइट्स का उपयोग बढ़ रहा है, जो नीली रोशनी का उत्सर्जन करती हैं। पौधे इस नीली रोशनी को विशेष रिसेप्टर्स के जरिए ग्रहण करते हैं, जिससे उनके मौसमी चक्र में और बदलाव आता है। वर्तमान सैटेलाइट तकनीक इस नीली रोशनी को पूरी तरह माप नहीं पाती, जिससे इसके प्रभाव को समझना और भी जटिल हो जाता है।  

लाभ और जोखिम
लंबे समय तक हरियाली से कुछ फायदे हो सकते हैं, जैसे कार्बन अवशोषण में वृद्धि और बेहतर छांव। लेकिन इसके नुकसान भी हैं। देर तक पत्तियों के रहने से ठंड से नुकसान का खतरा बढ़ता है, परागण और कीटों के जीवन चक्र में असंतुलन आ सकता है, और एलर्जी का मौसम लंबा हो सकता है। यह जरूरी है कि शहरी योजनाकार कृत्रिम प्रकाश को इस तरह नियंत्रित करें कि यह पर्यावरण और सुरक्षा दोनों का ध्यान रखे।

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