नई दिल्ली । देश की आधी आबादी के विकास के बिना देश को विकसित बनाना मुश्किल है। यही वजह है कि केंद्र सरकार ने महिला सशक्तीकरण को अपनी प्राथमिकता में सबसे ऊपर रखा है। इसके लिए नीतियों में बदलाव किया गया है। वहीं, पहले से बंद पड़े कई रास्ते महिलाओं के लिए खोले हैं।यह नीतिगत दखल का ही असर है कि आधी आबादी कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना करते हुए आत्मनिर्भरता, शिक्षा, रक्षा, पुलिस, इनोवेशन समेत हर क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रही है। सरकार की ओर से एक दशक में उठाए गए महत्वपूर्ण फैसलों ने महिलाओं को दिखाई है नई राह।
प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना
. प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत गर्भावस्था और प्रसव के दौरान मजदूरी न करने की वजह से होने वाले नुकसान से बचाती है और वित्तीय सहायता देती है। यह योजना पहले बच्चे तक सीमित थी लेकिन अब यदि दूसरी बच्ची है तो उस समय भी योजना का लाभ मिलेगा। यह लैंगिक समानता को बढ़ावा देने की दिशा में एक कदम है।
. प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत पहले बच्चे के लिए 5,000 रुपये का मातृत्व लाभ सीधे लाभार्थी के खाते में दिया जा रहा है।
. पात्र लाभार्थियों के दूसरे बच्चे को भी पीएमएमवीवाई के तहत 6,000 रुपये का नकद प्रोत्साहन प्रदान किया जाता है, बशर्ते कि दूसरा बच्चा लड़की हो।
. वित्तीय सहायता: दिसंबर 2024 तक 3.69 करोड़ लाभार्थियों को 16,418.12 करोड़ रुपये दिए गए।
बेटियों के जन्म से ही रखा जा रहा विशेष ख्याल
. संस्थागत प्रसव 2024-15 में 61 फसीदी, जो वर्ष 2023-24 में बढ़ कर 97.3 फीसदी से अधिक हो गया।
. 2014 में मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) प्रति लाख पर 130 थी, 2020 में घटकर प्रति लाख पर 97 हो गई।
. शिशु मृत्यु दर (आईएमआर), 2014 में प्रति 1000 जीवित जन्मों पर 39 थी, 2022 में 28 हो गई।
. नवजात मृत्यु दर (एनएमआर), जो 2014 में प्रति 1000 जीवित जन्मों पर 26 थी, 2020 में घटकर 20 हो गई।
. 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर 2014 में 45 से घटकर 2020 में 32 हो गई।
. जन्म के समय लिंग अनुपात 2014-15 के 918 से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 930 हुआ।
मातृत्व लाभ अधिनियम
. अधिनियम के अनुसार 50 या अधिक कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठानों में क्रेच की सुविधा शुरू की गई।
. सवैतनिक मातृत्व अवकाश 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह किया गया।
. महिला कर्मी को सौंपे गए काम की प्रकृति के आधार पर नियोक्ता और महिला की सहमति के साथ घर से भी काम करने का प्रावधान किया गया।

बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ
सुकन्या समृद्धि योजना (एसएसवाई) भारत भर में लाखों बालिकाओं के लिए आशा और सशक्तिकरण की किरण है। यह योजना बालिकाओं के सपनों और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
. प्रधानमंत्री ने बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ अभियान की शुरुआत 22 जनवरी 2015 को हरियाणा के पानीपत से की थी। वर्ष 2025 में सुकन्या समृद्धि योजना के 10 वर्ष पूरे हो गए।
. नवंबर 2024 तक 4.1 करोड़ से अधिक सुकन्या समृद्धि खाते खोले जा चुके हैं।
. योजना के तहत एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 250 रुपये जमा किए जा सकते हैं जबकि कुल वार्षिक जमा सीमा 1,50,000 रुपये तक सीमित है।
. खाता खोलने की तारीख से पंद्रह साल तक की अवधि के लिए धनराशि जमा की जा सकती है।
उच्च शिक्षा में बेटियां
. उच्च शिक्षा में महिलाओं का दाखिला वर्ष 2015 के 1.57 करोड़ था जो 31.6 फीसदी बढ़कर वर्ष 2022 में 2.07 करोड़ हो गया।
. पिछले 10 वर्ष में उच्च शिक्षा के नामांकन में 28 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है।
. STEM (साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथेमैटिक्स) पाठ्यक्रमों में 43 फीसदी नामांकन बालिकाओं और महिलाओं का हुआ है। यह संख्या विश्व में सबसे अधिक है।
. माध्यमिक शिक्षा में लड़कियों के नामांकन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। सकल नामांकन अनुपात (GER) 2014-15 में 75.51 फीसदी से बढ़कर 2023-24 में 78 फीसदी हो गया है।
. एक जनवरी, 2024 को उत्तर प्रदेश के मथुरा स्थित वृंदावन में बालिकाओं के लिए पहले पूर्ण सैनिक स्कूल संविद गुरुकुलम सैनिक स्कूल का उद्घाटन किया गया। इस विद्यालय में 870 बालिका विद्यार्थियों को शिक्षा एवं प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है।
. रक्षा मंत्रालय ने 2019 में सैनिक विद्यालयों में लड़कियों के प्रवेश को शैक्षणिक सत्र 2021-22 के लिए चरणबद्ध तरीके से मंजूरी दे दी थी।
पिछले 10 वर्षों में उच्च शिक्षा के लिए महिलाओं का नामांकन 28 प्रतिशत तक बढ़ चुका है। STEM पाठ्यक्रमों में 43 प्रतिशत नामांकन बालिकाओं और महिलाओं का हुआ है, यह संख्या विश्व में सबसे अधिक है। इस तरह के सभी उपाय कार्यक्षेत्र में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी के रूप में प्रतिबिंबित हो रहे हैं।
तीन तलाक के खिलाफ कानून: केंद्र सरकार ने एक अगस्त 2019 को तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाया। तीन तलाक को एक दंडनीय अपराध बना दिया गया।
सैनिटरी नैपकिन के माध्यम से महिलाओं का स्वास्थ्य सुधार
प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) के तहत, केंद्र सरकार ने महिलाओं के लिए 1 रुपये प्रति पैड की दर से जन औषधि सुविधा सैनिटरी नैपकिन की शुरुआत की है, ताकि किफायती दरों पर मासिक धर्म स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके।
. देश भर में खोले गए 10 हजार से ज्यादा जन औषधि केंद्रों के माध्यम से सेनेटरी नैपकिन बेचे जा रहे हैं।
. सरकार ने सैनिटरी नैपकिन को किफायती और आसानी से सुलभ बनाने के लिए 100 फीसदी कर मुक्त कर दिया है।
स्वच्छ भारत मिशन से बढ़ा महिलाओं का सम्मान
. 12.21 करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण।
. नवंबर 2024 तक 3.21 करोड़ मकान को मंजूरी दी गई है और 2.67 करोड़ से अधिक मकान का निर्माण पूरा हो चुका है। योजना के तहत महिला सशक्ती करण पर विशेष ध्यान दिया गया है।
. 74 फीसदी स्वीकृत मकान का स्वामित्व पूरी तरह या संयुक्त रूप से महिलाओं के पास है।
. प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण का लक्ष्य लक्ष्य मार्च 2029 तक 4.95 करोड़ घर का निर्माण करना है।
लखपति दीदी योजना
महिला आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में एक और कदम : लखपति दीदी कार्यक्रम की शुरुआत से लेकर अब तक एक करोड़ से अधिक स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को लखपति दीदी बनाया जा चुका है। सरकार ने 3 करोड़ लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य रखा है।
राजनीतिक ताकत
. महिलाओं को राजनीतिक नेतृत्व की मुख्यधारा में लाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने संविधान में महत्वपूर्ण संशोधन किए। महिला सशक्तिकरण की दृष्टि से पंचायत से लेकर विधान सभा और लोक सभा तक महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण देने का निर्णय लिया है।
. 28 सितंबर, 2023 को नारी शक्ति वंदन अधिनियम, 2023 (संविधान 106 वां संशोधन), इसके अनुसार लोक सभा और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की विधानसभा सहित राज्य विधान सभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का प्रावधान है।
. 73वें संशोधन में महिलाओं के लिए पंचायती राज संस्थाओं में कम से कम 33 फीसदी स्थान आरक्षित किए हैं।
. पंचायती राज संस्थान में अभी 14.50 लाख से अधिक निर्वाचित महिला प्रतिनिधि (ईडब्ल्यूआर) हैं, जो कुल निर्वाचित प्रतिनिधियों का लगभग 46 फीसदी है।
महिला प्रतिनिधियों की संख्या में विश्व में अव्वल
. भारत वर्तमान में विश्व के उन 15 देशों में से एक है जहां महिला राष्ट्राध्यक्ष हैं। विश्व स्तर पर, भारत में स्थानीय सरकारों में निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों की संख्या सबसे अधिक है।
महिला पायलट: 15 फीसदी से अधिक है भारत में विश्व की तुलना में महिला पायलट की संख्या। इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ वीमेन एयरलाइन पायलट्स के अनुसार विश्व में यह संख्या महज पांच फीसदी है।