नई दिल्ली: ड्रोन का इस्तेमाल बढ़ने के क्रम में देश की खेती-किसानी को भी इससे मदद मिल रही है। इसमें आधुनिक तरीके से खेती मुमकिन है। ड्रोन खाद और कीटनाशक का छिड़काव कर सकता है। जानवरों की हलचल पर नजर रखना संभव है। इससे फसलों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। ड्रोन असल में चालक रहित हेलिकॉप्टर या हवाई जहाज ही हैं। यह अब सैन्य प्रयोग की सीमा से बाहर निकल आए हैं। इनसे जीवन के कई क्षेत्रों में कामकाज का तरीका बदला है। अभी फिल्में शूट करने से लेकर खेलों की रिपोर्टिंग और लुप्तप्राय प्रजातियां बचाने, जंगल की आग बुझाने, पाइपलाइनों पर निगरानी रखने में इनका इस्तेमाल हो रहा है। केंद्र सरकार अब ज्यादा प्रभावशाली ढंग से खेती करने के काम से इनको जोड़ेगी। मसलन, प्रिसीजन कृषि (हर पौधे की जरूरत के अनुरूप कृषि) में ड्रोन ऊपर उड़ते हुए पत्ते की हालत से जानकारी देता है कि खेत में कोई विशेष पौधा स्वस्थ है या नहीं। ज्यादा भीगा है या सूखा या फिर उसमें खाद डालने की जरूरत है।
मानव रहित प्रणालियां मतलब ड्रोन की तकनीक बहुत अलग नहीं होतीं। फिर भी, इस पर कंट्रोल करने में लोगों की जरूरत पड़ती है। ड्रोन मानवयुक्त उड़ानों की जगह नहीं ले रहे, बल्कि उनके साथ ही मनुष्य की जरूरतें पूरी करने में मददगार साबित हो रहे हैं। इनका इस्तेमाल अलग-अलग देशों में सेनाएं कर रही हैं। जापान तो 1980 के दशक से प्रिसीजन कृषि में ड्रोन का इस्तेमाल कर रहा है। आज ऐसे ड्रोन मौजूद हैं, जो स्मार्टफोन से भी चलाए जा सकते हैं। लेकिन एक पेशेवर क्वालिटी का ड्रोन कम से कम 1000 डॉलर (करीब 68,000 रुपए) का मिलता है। यूरोपीय कमीशन इंपैक्ट असेसमेंट के अनुसार, विश्व बाजार के 25 फीसदी ड्रोन यूरोप में होंगे और इनके इस्तेमाल से 2050 तक डेढ़ लाख नौकरियां मिलेंगी।
भारत सरकार ड्रोन का बड़े पैमाने पर कृषि कार्य में इस्तेमाल करने जा रही है। इसका पहला चरण तकनीक से तकरीबन अनजान किसानों को प्रशिक्षित करने का होगा। इसकी योजना सरकार ने तैयार कर ली है। इस काम में खेती से संबंधित कीटनाशक व खाद बनाने वाली कंपनियों का लगाया जाएगा। इसके लिए कई कंपनियां ने अपने प्रस्ताव तैयार कर लिए हैं। इसमें किसानों को जरूरी उपकरणों के बारे में जानकारी दी जाएगी। खासतौर से किसानों को बताया जाएगा कि रिमोट कंट्रोल से कैसे व किस तरह से कितनी दूरी तक ड्रोन को पहुंचाया जा सकता है। आगे किसानों को इसकी उपयोगिता बताई जाएगी।
कृषि मंत्रालय के मुताबिक, ड्रोन का खेती-किसानी में बहुआयामी इस्तेमाल होगा। देश की बड़ी आबादी तक ड्रोन तकनीक के पहुंच जाने से भारत ड्रोन हब में तब्दील हो सकता है। इसकी मकसद से कृषि मंत्रालय के साथ नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने भी ड्रोन विनिर्माण के क्षेत्र में पांच हजार करोड़ रुपये का निवेश का लक्ष्य रखा है। इसकी समय-सीमा तीन साल की है। वहीं, सरकार को उम्मीद है कि इसी बची ड्रोन सेवाओं से जुड़ा कारोबार लगभग 30 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच पहुंच सकता है। ड्रोन निर्माण के साथ इसका बाजार बनाने की योजना पर भी सरकार काम कर रही है। इसके विस्तृत दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं।

केंद्र सरकार का कहना है कि वह सुविधा बढ़ाकर किसानों की आय बढ़ाने व लागत घटाने के लिए ड्रोन के इस्तेमाल को बढ़ावा दे रही है। इसी मकसद से ड्रोन खरीदने में विभिन्न वर्गों को छूट दी जा रही है। व्यक्तिगत तौर पर ड्रोन खरीद के लिए भी वित्तीय सहायता प्रदान करने हेतु दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं। सरकार अनुसूचित जाति व जनजाति की महिलाओं, छोटे और मध्यम किसानों, पूर्वोत्तर के किसानों को ड्रोन खरीदने के लिए ड्रोन की लागत का 50 फीसदी या अधिकतम पांच लाख रुपये तक सब्सिडी देगी। अन्य किसानों को 40 फीसदी या अधिकतम 4 लाख रुपये की सरकारी मदद मिलेगी।
पहले कभी कौन सोच सकता था कि ड्रोन से पेस्टीसाइड का स्प्रे संभव हो सकेगा, लेकिन सरकार का मकसद अब गांव-गांव इस टेक्नोलॉजी का उपयोग करने की है। देश में 6,865 करोड़ रु. खर्च कर 10 हजार एफपीओ (Farmers Producer Organisation) बनाने की योजना प्रारंभ की गई है, ताकि छोटे किसान जुड़े व उन्हें आदान, तकनीक व लाभ मिल सकें, जिससे देश-विदेश में उन्हें उचित दाम मिलें।
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ड्रोन और भारतीय खेती
टिड्डियों से बचाव में यह ड्रोन तकनीकी काफी प्रभावी है। कोरोना की दूसरी लहर के समय टिड्डियों के आतंक ने किसानों को परेशान कर रखा था। हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश में फसलों को टिड्डियों के दल ने नुकसान पहुंचाया था। ऐसे समय में ड्रोन तकनीक टिड्डियों के आक्रमण के दौरान काफी सहायक हुई थी। वहीं, छुट्टा पशुओं पर भी निगरानी रखने में यह मददगार साबित होगा।
फसलों का मूल्यांकन, भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण, कीटनाशकों व पोषक तत्वों के छिड़काव के काम में किसान ड्रोन इस्तेमाल करेंगे। इससे कृषि सेवाएं देने के लिए किसान सहकारी समिति व ग्रामीण उद्यमियों के तहत मौजूदा व नए कस्टम हायरिंग केंद्रों (सीएचसी) द्वारा ड्रोन खरीद के लिए ड्रोन व इसके संबंधित पुर्जों की मूल लागत में छूट मिलेगी। उत्पादकता बढ़ाने, बीजों, उर्वरकों व सिंचाई जल जैसे आदानों की उपयोग दक्षता में सुधार के लिए किसानों को आधुनिक प्रौद्योगिकी तक पहुंचने में मदद कर रहा है।
किसान रेल और किसान उड़ान के बाद सरकार की किसान ड्रोन योजना अनूठी पहल के रूप में देखा जा रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित ड्रोन तकनीक से किसान अपनी फसल के उन्हीं हिस्सों पर कीटनाशक का छिड़काव वहीं पर कर सकेंगे, जहां इसकी जरूरत होगी। फसल में कहां रोग लगा है, कहां कीट-पतंगे लगे हैं और फसल में किस पोषक तत्व की कमी है इसकी जानकारी भी ड्रोन से ली जा सकेगी। और तदनुसार जरूरी पोषक तत्वों या कीटनाशकों का इस्तेमाल किया जा सकेगा। ड्रोन से एक घंटे में 10 एकड़ क्षेत्र में कीटनाशकों का छिड़काव संभव होगा। वहीं, इतनी ही मात्रा में खाद का छिड़काव भी किया जा सकेगा। इससे न केवल समय की बचत होती है, बल्कि खेती की लागत में भी कमी आएगी है। कृषि श्रमिकों पर निर्भरता कम करेगा। इस्तेमाल से सूचना प्रौद्योगिकी आधारित कृषि प्रबंधन का लक्ष्य हासिल होगा। आने वाले समय में किसान फलों-सब्जियों-फूलों को कम समय में बाजारों में लाने के लिए उच्च क्षमता वाले ड्रोन का प्रयोग कर सकेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि क्षेत्र में ड्रोन को बढ़ावा देने के लिए 100 किसान ड्रोन का उद्घाटन किया.इससे पहले बीते 19 फरवरी 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि क्षेत्र में ड्रोन को बढ़ावा देने के लिए 100 किसान ड्रोन का उद्घाटन किया। उस वक्त प्रधानमंत्री ने कहा कि ये 21वी सदी की आधुनिक कृषि व्यवस्था की दिशा में एक नया अध्याय है। उन्होंने विश्वास जाहिर किया कि यह शुरूआत न केवल ड्रोन सेक्टर के विकास में मील का पत्थर साबित होगी बल्कि इसमें संभावनाओं का एक अनंत आकाश भी खुलेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर नीतियां सही हों तो देश कितनी ऊंची उड़ान भर सकता है। इस दौरान देश भर के 100 स्थानों पर ड्रोन का प्रदर्शन किया गया।
ड्रोन एक नजर में:
- दवा अथवा बैटरी खत्म होने की स्थिति में ड्रोन वापस अपनी जगह पर लौट आता है।
- खुद संभालेगा ड्रोन मोर्चा, गूगल मैप के सहारे पहले खेत का नक्शा चुनेगा और बाद में चिन्हित खेत में भी स्प्रे करने में मददगार होगा।
- किसानों को खेत में नहीं जाना होगाए ड्रोन से दवा का छिडक़ाव संभव होगा। जिससे फसलों को नुकसान नहीं होगा और किसान भी दवाओं से होने वाले दुष्प्रभाव से बच जाएंगे।
- ड्रोन से छिड़काव में कीटाणुनाशक दवा का भी कम इस्तेमाल संभव होगा। इससे फसल को भी नुकसान नहीं पहुंचेगा और स्वस्थ्य फसल आएगा।
- ड्रोन की सहायता से कम समय में पूरे खेत में एक समान छिड़काव होगा। ऐसा नहीं होगा कि कहीं दवा का छिड़काव ज्यादा हो गया और कहीं कम।
- पानी भरे खेत में ड्रोन से दवा का छिड़काव उपयोगी होगा। अमूमन गन्ना, मक्का व अरहर जैसी फसलों एवं धान के खेत पानी भरा होता है। ऐसे में ड्रोन लाभकारी होगा।
- किसानों को सहूलियत इस प्रकार मिलेगा कि समय पर फसल की बीमारियों का पता चलेगा और किसानों की इनपुट लागत कम होगी और उत्पादन बढ़ सकेगा।
- कीटनाशकों और पोषक तत्वों को छिड़काव में भी किसानों की काफी मदद मिलेगा।
- इससे खेती के एक बड़े क्षेत्रफल में महज कुछ घंटों में दवा व कीटनाशक का छिड़काव किया जा सकता है।
- टिड्डियों के हमलों को रोकने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल संभव होगा। इससे फसल खराब होने का डर नहीं रहेगा।