नई दिल्ली। बिहार का सबसे ताकतवर सियासी परिवार विधानसभा चुनाव के पहले आपस में उलझ गया है। बुजुर्ग और बीमार लालू यादव बड़े बेटे तेज प्रताप यादव की वजह से चौतरफा हमला झेल रहे हैं। चुनावी साल में बड़े की गलती छोटे बेटे के सीएम बनने में रोड़ा नहीं बने, इसलिए लालू ने बड़ा फैसला लेते हुए तेज प्रताप यादव को पार्टी और परिवार से बाहर कर दिया है।
इन सबके पीछे बड़ी वजह ये है कि बिहार के पूर्व मंत्री तेज प्रताप यादव को एक लड़की से प्यार हो गया। उन्होंने फेसबुक पर एक पोस्ट लिखकर अपने प्रेम का इजहार किया। यही नहीं, उन्होंने इस रिश्ते को सार्वजनिक भी किया। तेज प्रताप ने बताया कि वह दोनों पिछले 12 सालों से एक दूसरे को जानते हैं और प्यार करते हैं। वह काफी समय से यह बात बताना चाहते थे, लेकिन अब हिम्मत करके बता रहे हैं।
सोशल मीडिया पर पोस्ट डालने के बाद बेशक वह बैकफुट पर आए हों। हैकिंग की बात कहते हुए वह पोस्ट हटा भी दी। लेकिन इससे राजद की किरकिरी हुई। राजद के लिए बेहद अहम बिहार विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने डैमेज कंट्रोल करते हुए तेज प्रताप यादव को पार्टी व परिवार से बेदखल करने का फैसला लिया। वह पार्टी सिंबल पर चुनाव नहीं लड़ सकेंगे।
मेरे सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म को हैक एवं मेरे तश्वीरो को गलत तरीके से एडिट कर मुझे और मेरे परिवार वालो को परेशान और बदनाम किया जा रहा है,मैं अपने सुभचिंतको और फॉलोवर्स से अपील करता हूं कि वे सतर्क रहें और किसी भी अफ़वाह पर ध्यान न दे….
— Tej Pratap Yadav (@TejYadav14) May 24, 2025
2019 लोक सभा चुनाव में पहुंचा नुकसान
तेज प्रताप यादव लोकसभा चुनाव 2019 में बेशक आरजेडी के साथ थे, लेकिन आरजेडी के कुछ बड़े नेताओं से तेज प्रताप की नाराजगी आखिरकार नुकसानदेह साबित हुई। तेज प्रताप यादव शिवहर और जहानाबाद से अपने नाम दिए हुए उम्मीदवार उतारना चाहते थे। लेकिन उनके दिए हुए नामों को आरजेडी नेताओं ने अनदेखा कर दिया था।
इससे नाराज तेज प्रताप ने इन दोनों सीटों पर अपने निर्दलीय उम्मीदवार खड़े कर दिए। साथ ही उनके लिए चुनाव प्रचार में भी उतरे थे। ऐसे में माना गया कि जहानाबाद में आरजेडी उम्मीदवार की हार तेज प्रताप यादव की वजह से हुई है। वहीं, मतों के आंकड़े भी यही कह रहे थे कि अगर तेज प्रताप यादव अपने उम्मीदवार नहीं उतारते तो शायद जहानाबाद में आरजेडी अपना परचम लहराने में कामयाब हो सकती थी।
जहानाबाद में तेज प्रताप यादव के उम्मीदवार चंद्र प्रकाश को 7714 मत मिले। जबकि आरजेडी उम्मीदवार सुरेंद्र प्रसाद यादव को 3,32,116 मत मिले। जबकि जेडीयू उम्मीदवार चंदेश्वर प्रसाद को 3,33,191 मत मिले। सुरेंद्र यादव महज 1075 वोटों से चंदेश्वर प्रसाद से हार गए। लेकिन अगर चंद्र प्रकाश के 7714 वोट इसमें जोड़ दिए जाएं तो आरजेडी शायद यहां से आसानी से जीत सकती थी।
अब आगे की यह बन रही संभावनाएं
यह बात 2019 लोकसभा चुनाव की हुई, जब तेजप्रताप यादव थोड़े दिन के लिए बागी हुए थे। तब राजद लोकसभा चुनाव में शून्य पर आउट हुई थी। अब औपचारिक तौर पर तेज प्रताप यादव को पार्टी से बाहर कर दिया गया है। ऐसे में तेजप्रताप यादव निश्चित एक पार्टी बनाकर राजद को चुनाव में नुकसान पहुंचाएंगे।
इसके लिए कई तरह की संभावनाएं जाहिर की जा रही हैं। तेज प्रताप यादव अपनी पार्टी बनाकर तेजस्वी के बराबर कद तो नहीं बना सकेंगे। लेकिन राजद जिस विधानसभा से राजद कार्यकर्ता को टिकट नहीं देगी, उसको तेज प्रताप यादव टिकट देकर राजद के वोट बैंक में सेंधमारी कर राजद को नुकसान पहुंचा सकते हैं। खासकर वह यादव बहुल विधानसभा का चयन करेंगे। जानकारों के अनुसार तेज प्रताप यादव 25 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं जिसमें वैशाली, गोपालगंज, समस्तीपुर जिले की अधिक विधानसभा है।
अगर इन 25 विधानसभा में जीत-हार की बात है तो खुद तेज प्रताप यादव अपनी सीट नहीं बचा पायेंगे। लेकिन 25 में से 10 सीटों पर राजद को नुकसान पहुंचा सकते हैं। मुकाबला नजदीकी होने पर तेजस्वी को मुख्यमंत्री की गद्दी से रोकने के लिए ये दस सीट काफी होंगी। इससे पहले 2020 विधानसभा चुनाव में ओवैसी ने राजद की 17 सीटों पर इसी तरह का खेला किया था। उसी 17 सीटों की हार से तेजस्वी मुख्यमंत्री बनते बनते रह गए थे।
तेजस्वी के लिए तेज प्रताप यादव को पार्टी और परिवार से हटाने का फैसला आसान हो सकता है, लेकिन आगे का राजनीतिक सफर आसान नहीं होगा। तेज प्रताप यादव की तीखी बयानबाजी तेजस्वी को परेशान करेगी। इससे मीडिया और विपक्ष को मसाला मिलेगा, लेकिन तेजस्वी को दर्द झेलना पड़ेगा।
निजी जीवन में नैतिक मूल्यों की अवहेलना करना हमारे सामाजिक न्याय के लिए सामूहिक संघर्ष को कमज़ोर करता है। ज्येष्ठ पुत्र की गतिविधि, लोक आचरण तथा गैर जिम्मेदाराना व्यवहार हमारे पारिवारिक मूल्यों और संस्कारों के अनुरूप नहीं है। अतएव उपरोक्त परिस्थितियों के चलते उसे पार्टी और परिवार…
— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) May 25, 2025
चुनाव को देखते हुए उठाया राजद ने सख्त कदम
बहरहाल, राजनीतिक जानकारों के अनुसार पूरी कार्रवाई चुनाव को लेकर की गई है। चुनाव में विपक्षी दल इसको खास मुद्दा बनाकर तेजस्वी को नहीं घेरे, इसलिए तेजस्वी के दबाव में लालू ने बड़ा फैसला लिया है। तेज प्रताप के संबंध को पूरा परिवार जानता था। बस परिवार के लोगों की उम्मीद थी ये चीजें तेज प्रताप यादव और ऐश्वर्या राय के बीच तलाक होने के बाद और विधानसभा चुनाव के बाद सामने आनी चाहिए थी। अभी ना तेजप्रताप यादव का तलाक हुआ है और ना ही चुनाव संपन्न हुआ है तो ऐसे में तेज प्रताप यादव ने परिवार का भरोसा तोड़ा है इसलिए ये कार्रवाई की गई है।