मोतिहारी से 21 सीटों पर पीएम का निशाना.. ताकि गढ़ में पकड़ रहे मजबूत

मोतिहारी से करीब 7200 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं का ऐलान महागठबंधन के लिए चुनौती साबित हो सकता है। यह घोषणाएं इस क्षेत्र की करीब 21 सीटों पर प्रभावित कर सकती है।

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मोतिहारी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 18 जुलाई को बिहार के मोतिहारी का दौरा सियासी नजरिए से अहम है। विकास प्रोजेक्ट ने अगर असर डाला तो एनडीए का गढ़ माने जाने वाले इस क्षेत्र में पकड़ मजबूत रहेगी। यहां की 21 विधानसभा सीटों का सियासी समीकरण एनडीए के हक में जा सकता है। खास तौर पर, पूर्वी चंपारण की 12 और पश्चिमी चंपारण की 9 सीटों पर एनडीए की मजबूत पकड़ को और मजबूती देगी। इसका असर न केवल चंपारण, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज और सीतामढ़ी जैसे पड़ोसी जिलों की कुछ सीटों पर भी पड़ेगा। भाजपा और एनडीए इस रैली को अपने पक्ष में माहौल बनाने और महागठबंधन को चुनौती देने के अवसर के रूप में देख रहे हैं।

पीएम मोदी का मिशन चंपारण
बिहार में बीजेपी का सबसे मजबूत गढ़ चंपारण बेल्ट माना जाता है। इस पर अपनी मजबूत पकड़ को बनाए रखने के लिए हर संभव कोशिश में जुटी है। एक बात साफ है कि पीएम मोदी के मोतिहारी दौरे का सियासी असर पूर्वी और पश्चिमी चंपारण दोनों ही जिलों पर पड़ेगा, क्योंकि दोनों ही जिले एक दूसरे से सटे हुए हैं।
बीजेपी ने पिछले विधानसभा चुनाव में चंपारण क्षेत्र में विपक्ष का पूरी तरह से सफाया कर दिया था और अपना एकक्षत्र राज कायम करने में सफल रही थी। बीजेपी 2025 में 2020 की तरह ही चुनावी नतीजा दोहराने के फिराक में है। इसे देखते हुए पीएम मोदी खुद मिशन-चंपारण को फतह करने के लिए उतर गए हैं।

पूर्वी चंपारण की 12 सीटें अहम
पूर्वी चंपारण जिले में 12 सीटें है। इसमें मोतिहारी, ढाका, चिरैया, मधुबन, पिपरा, गोविंद राज, हरसिद्धि, रक्सौल और केसरिया सीट एनडीए जीती थी। सुगौली, नरकटिया और कल्याणपुर सीट आरजेडी जीतने में सफल रही। वहीं, पश्चिमी चंपारण जिले में कुल 9  सीटें आती हैं। इसमें वाल्मीकि नगर, बेतिया, लौरिया, रामनगर, नरकटियागंज, बगहा, नवतन, चनपटिया और सिकटा सीट शामिल हैं।

चंपारण बेल्ट का सियासी समीकरण
चंपारण के दोनों जिलों को मिलाकर 21 विधानसभा की सीटें आती हैं। इसमें पूर्वी चंपारण में 12 विधानसभा की सीटें हैं जबकि पश्चिम चंपारण में 9 विधानसभा सीटें हैं। वर्ष 2020 के चुनाव में चंपारण क्षेत्र की 21 सीटों में से 17 सीट एनडीए और चार सीट महागठबंधन ने जीती थी। एनडीए में बीजेपी ने 15 और जेडीयू 2 सीटें जीती थी जबकि महागठबंधन को चार सीटें मिली थी, जिसमें से तीन आरजेडी और एक सीट सीपीआई माले ने जीती थी।
पूर्वी चंपारण के 12 विधानसभा सीटों में से 9 पर एनडीए का कब्जा है जबकि तीन विधानसभा सीट पर महागठबंधन के विधायक है। एनडीए के नौ विधानसभा सीटों में से 8 बीजेपी का है और एक जेडीयू का है.। वहीं, महागठबंधन के तीनों सीट पर आरजेडी के विधायक हैं। पश्चिम चंपारण जिले की 9 सीटों में से 8 सीटें एनडीए ने जीती थी। बीजेपी ने सात और एक सीट जेडीयू ने जीती थी जबकि महागठबंधन को मिली एक सीट माले के हिस्से में गई थी।

मोतिहारी से चंपारण साधने का प्लान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दौरा मोतिहारी में हो रहा है, ऐसे में हारी हुई चार सीट पर भी नजर होगी। साथ ही बीजेपी अपने कब्जे वाली सीटों पर पकड़ मजबूत बने की एनडीए की कोशिश है। यही वजह है कि पीएम मोदी चंपारण बेल्ट की सीटों पर बीजेपी की पकड़ मजबूत बनाए रखने के लिए उतरे हैं। पीएम मोदी बिहार में चुनावी साल में यह पांचवां दौरा है। मोतिहारी इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पूर्वी चंपारण और पश्चिमी चंपारण दोनों जुड़ा हुआ है। प्रधानमंत्री के दौरे से इन सब क्षेत्र पर काफी असर पड़ेगा।
बीजेपी के दिग्गज नेता राधा मोहन सिंह इसी क्षेत्र से सांसद हैं और पूर्वी चंपारण से ही लगातार चुनाव जीतते रहे हैं। वहीं, पश्चिमी चंपारण से संजय जायसवाल भी लोकसभा का चुनाव जीतते आ रहे हैं। पिछले चुनाव में नीतीश कुमार के एनडीए में रहने का बीजेपी को लाभ मिला था जबकि 2015 में जेडीयू के अलग होने  से नुकसान उठाना पड़ा था।

नीतीश के साथ होने का नफा-नुकसान
वर्ष 2020 के चुनाव में नीतीश कुमार के एनडीए में होने का लाभ बीजेपी को मिला था, लेकिन वर्ष 2015 में उनके अलग होने का खामियाजा भाजपा को चंपारण बेल्ट में उठाना पड़ा था। साल 2015 के चुनाव में नीतीश कुमार एनडीए के साथ नहीं थे तो पूर्वी चंपारण की 12 विधानसभा सीटों में से एनडीए के खाते में 5 सीटें आई थी और महागठबंधन को 7 सीटें मिली थी। इसी तरह पश्चिम चंपारण की 9 सीटों में से एनडीए को 5 और महागठबंधन के हिस्से में चार सीटें आई थी। सीटें ही नहीं बल्कि वोट प्रतिशत में भी बीजेपी की गिरावट आई थी।

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