नई दिल्ली: बिहार आने के साथ ही कन्हैया कुमार यात्रा पर निकल पड़े थे। पलायन रोको और नौकरी दो यात्रा की सफलता के बाद कन्हैया ने एक और यात्रा प्लान की। वह निकले भी, लेकिन एक दिन में ही इसे स्थगित कर दिया है। यह बात 15 मई की है। इसके बाद से वह बिहार की राजनीति से दूर हैं। यहां तक कि राहुल गांधी के बिहार दौरे के दौरान वह नहीं दिखे। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कन्हैया बिहार से गायब क्यों हैं?
15 मई को राहुल गांधी शिक्षा न्याय यात्रा के क्रम में दरभंगा आए हुए थे। इस दिन कन्हैया उनके साथ नजर भी आए थे। इसके बाद से 25 दिनों से उनकी कोई खोज-खबर नहीं है। दरभंगा की यात्रा के दौरान, जिस तरह से स्थानीय पुलिस ने राहुल गांधी को रोका, उससे जिला स्तरीय कार्यक्रम राष्ट्रीय स्तर का बन गया था। इससे लग रहा था कन्हैया आर-पार लड़ाई लड़ने के लिए मैदान में उतरेंगे। कयास यह भी लगाए गए कि कांग्रेस बिहार विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने की तैयारी में है। लेकिन इसी के बाद से कन्हैया की शिक्षा न्याय यात्रा स्थगित है।
कांग्रेस ने तेजस्वी की मानी!
सियासी चर्चा इस बात की है कि बिहार में इंडिया गठबंधन के चुनाव की कमान विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के हाथ में है। तेजस्वी नहीं चाहते थे कि कन्हैया बिहार के चुनाव प्रचार में एक्टिव हों। इसीलिए न चाहते हुए भी कन्हैया कुमार को कांग्रेस ने बिहार से अलग रखा है। मतलब, कांग्रेस ने तेजस्वी की बात मान ली है। इससे यह स्पष्ट है कि कम से कम कांग्रेस और राजद महागठबंधन से अलग नहीं होंगी।
राजद के दम पर बढ़ेगी कांग्रेस
कन्हैया कुमार का बिहार के सियासी सीन से गायब होना यह साबित करता है कि अभी भी कांग्रेस, राजद के दम पर ही आगे बढ़ेगी। बेशक प्रदेश संगठन में व्यापक फेरबदल हो रहे हैं। लेकिन नए प्रदेश अध्यक्ष का बनना, अखिलेश प्रसाद सिंह को पार्टी में नई भूमिका में लाना इसमें राजद की भूमिका है इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता। अचानक बिहार की राजनीति से कन्हैया कुमार का गायब हो जाना भी राजद या कहिए तेजस्वी यादव के इसी राजनीति का एक हिस्सा हो सकता है।
राहुल के दौरे पर नहीं दिखे कन्हैया
लोक सभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी बीते शुक्रवार को बिहार दौरे पर थे । गया में उन्होंने माउंटेन मैन दशरथ मांझी के परिजनों से मुलाकात की। फिर, राजगीर में संविधान सुरक्षा सम्मेलन में हिस्सा लिया। पूरे दौरे पर कन्हैया कुमार को कहीं नहीं देखा गया। इससे पहले जब भी बिहार में राहुल गांधी आते थे, तो कन्हैया हमसाये की तरह राहुल गांधी के साथ रहते थे।
जेएनयू अध्यक्ष चुने जाने पर बनी पहचान
बताते चलें कि कन्हैया कुमार की पहचान जेएनयू के छात्र संघ चुनाव में अध्यक्ष के पद पर जीत हासिल की। उन पर उस दौरान देशद्रोह का आरोप भी लगा। कन्हैया कुमार की गिनती अच्छे वक्ताओं में की जाती है। युवाओं एवं छात्रों के बीच वह बेहतर संवाद स्थापित करते हैं। यही कारण है कि कांग्रेस में आने के बाद राहुल गांधी ने उनको एनएसयूआई के राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर की जिम्मेदारी दी। लोक सभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने उनको दिल्ली की उत्तर पूर्वी दिल्ली संसदीय सीट से भाजपा सांसद मनोज तिवारी के खिलाफ उतारा था, लेकिन उनको हार का सामना करना पड़ा था।