कांग्रेस ने बुलाई आपात बैठक, चढ़ा सियासी पारा, बैठक में क्या बनेगी रणनीति ?

महागठबंधन की बैठक के दूसरे दिन कांग्रेस ने अपने विधायकों की आपात बैठक बुलाने का फैसला लिया। 15 जून की प्रस्तावित बैठक में प्रदेश प्रभारी समेत कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मौजूद रहेंगे। पढ़िए राहुल की इनसाइड स्टोरी...

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पटना: महागठबंधन की बृहस्पतिवार, 12 जून की बैठक के तत्काल बाद प्रदेश कांग्रेस ने आपात बैठक बुलाई है। 15 जून की बैठक बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरू व वरिष्ठ नेताओं के साथ सभी विधायक मौजूद रहेंगे। माना जा रहा है कि इसमें कांग्रेस खुद को चुस्त-दुरूस्त करने का फार्मूला तय करेगी। इसके सहारे उसकी कोशिश निजी तौर पर अपनी खोई जमीन वापस लाने की होगी।

कांग्रेस रणनीतिकारों का मानना है कि उनको अपने चुनावी वादों को ठीक से जनता के बीच ले जाना है। इसमें सबसे अहम माई बहिन योजना है। दूसरे राज्यों की तरह बिहार में भी पार्टी को महिला वोट बैंक में पूरी संभावना दिख रहा है। पार्टी रणनीतिकार इसे मास्टर स्ट्रोक के तौर पर देख रहे हैं, जिसके सहारे मजबूती से आगे बढ़ा जा सकेगा।

वहीं, दूसरी सामाजिक योजनाएं भी चुनावों में कांग्रेस की जमीन जमा सकती है। होटल मौर्या में होने वाली बैठक में विधायकों से इस पर विस्तार से चर्चा करके लोगों के बीच जाने की रणनीति बनाई जाएगी। आगे इस अभियान आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी दी जाएगी। हालांकि, पार्टी नेता अभी खुलकर इस बारे में बात करने को तैयार नहीं है।

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प्रदेश प्रभारी समेत वरिष्ठ नेता होंगे शामिल

होटल मौर्या में बैठक 15 जून, शाम 7 बजे से शुरू होगी। इसमें बिहार कांग्रेस के प्रभारी कृष्णा अल्लावरू सहित बिहार कांग्रेस इकाई के बड़े नेता रहेंगे मौजूद। इनके साथ कांग्रेस के सभी विधायक भी मौजूद रहेंगे। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी सभी नेताओं को चुनावी मैदान में सक्रिय भूमिका निभाने और जनता के बीच जाकर जमीन से जुड़ी समस्याओं को समझने का निर्देश दिया है।

महागठबंधन की बैठक में सीट शेयरिंग का फार्मूला तय नहीं

12 जून बृहस्पतिवार को बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के आवास पर महागठबंधन की बैठक में बिहार विधानसभा चुनाव कों लेकर बेशक रणनीति तैयार हुई हो, लेकिन अभी तक सीट शेयरिंग का ठोस फार्मूला तय नहीं हो सका है।

वहीं, सीएम के चेहरे को लेकर भी सभी नेता एक सुर में बोलने से बच रहे हैं। सियासी जानकार इस तरह के रुख को ‘न हां-न ना’ के बीच रखकर देख रहे हैं। अभी सभी दल अपनी मजबूत दिखाकर ज्यादा सीटें हासिल करने की कोशिश में है। कांग्रेस की बैठक का एक मकसद मजबूत होने के साथ खुद को मजबूत दिखाने का भी हो सकता है।

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बिहार में कांग्रेस की स्थिति

2020 में कांग्रेस को 70 सीट मिली थी। इसमें से 19 उम्मीदवार चुनाव जीते। बाद में दो विधायक बागी हो गए। इस वक्त कांग्रेस के 17 विधायक हैं। सभी को बैठक में मौजूद रहना है।इसमें विधायकों से पार्टी नेतृत्व फीडबैक भी लेगा।

पार्टी सूत्रों के अनुसार 12 जून कि महागठबंधन कि बैठक में सीट शेयरिंग पर चर्चा हुई। इसमें राजद चाहती है कांग्रेस 2020 के फार्मूले पर कम सीटों पर चुनाव लड़े। लेकिन कांग्रेस ने अपनी दावेदारी बढ़ा रखा है। जिस तरीके से राहुल गांधी बैक टू बैक बिहार दौरे कर रहे, उससे साफ है कि इस बार कांग्रेस कम सीटों पर समझौता नहीं करेगी।

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