पटना: बिहार विधान सभा चुनाव से पहले महागठबंधन में आपसी तालमेल बेपटरी होता दिख रहा है। इसमें कांग्रेस का हर सियासी मूव सहयोगी राष्ट्रीय जनता दल से दूरी बढ़ा है। अभी तक कांग्रेस और राजद अलग-अलग प्लेटफार्म पर खड़े नजर आ रहे हैं। दोनों दलों की घोषणाएं एक-दूसरे को पीछे धकेल रही हैं।
बुधवार एक बार फिर इसी तरह की तस्वीर सामने आई। कांग्रेस ने तेजस्वी की माई बहिन योजना को हाईजैक करते हुए एलान किया कि चुनाव जीतने के बाद वह हर माह महिलाओं को 2500 रुपये देगी। कांग्रेस महिला प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय अध्यक्ष अलका लांबा ने बताया कि महागठबंधन की सरकार बनते ही बिहार में हमारी सरकार हर महीने 2500 रुपये देगी।
बिहार की महिलाओं के लिए कांग्रेस की गारंटी
— Congress (@INCIndia) May 21, 2025
✅ महिलाओं को हर महीने 2,500 रुपए pic.twitter.com/yLQQgaWo38
दिलचस्प यह कि अभी कुछ दिन पहले तेजस्वी यादव और उनकी पार्टी राजद ने माई बहिन मान योजना की बात कही थी। इसके लिए राजद की तरफ से कोई घोषणा अभी तक नहीं हुई है। इससे पहले ही अलका लांबा और प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार ने ‘माई बहिन मान योजना’ कैंपेन की औपचारिक शुरुआत भी की। इसका विधिवत पोस्टर भी जारी किया गया।

अलका लांबा ने कहा कि बिहार में इसके लिए अभियान चलेगा। इसके तहत कांग्रेस राज्य की सभी महिलाओं से गारंटी फॉर्म भरवायेगी। बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद हर जरूरतमंद महिला के खाते में हर महीने 2500 रुपये की सम्मान राशि सीधे उनके खाते में भेजी जाएगी। हालांकि, कांग्रेस के तरफ से बताया गया है कि यह योजना महागठबंधन की है, लेकिन बैनर और पोस्टर पर सिर्फ कांग्रेस नेताओं की फोटो थी।
बिहार की महिलाओं के लिए कांग्रेस की गारंटी
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✨ माई बहिन मान योजना ✨
महिलाओं को हर महीने 2,500 रुपए pic.twitter.com/wQbvrRNT9j
दलित सम्मेलन में भी आगे निकलने की कोशिश
यह पहली बार नहीं है जब कांग्रेस ने तेजस्वी के प्लान में सेंधमारी की है। तेजस्वी और राजद की राजनीति दलित और पिछड़ों पर आधारित है। कांग्रेस ने इसमें भी सेंध लगाने की कोशिश की। राहुल गांधी ने बिहार दौरे में दलितों के हक की बात की। वह नालंदा में दलित सम्मेलन भी करने जा रहे हैं।
जातीय जनगणना में श्रेय की होड़
इससे पहले तेजस्वी हर मंच से बिहार मे हुए जातीय जनगणना करवाने का श्रेय लेते थे। इसी बीच राहुल गांधी ने बिहार में जातीय जनगणना को गलत बताया था। इससे तेजस्वी काफी असहज हो गए थे। कांग्रेस ने राजद से अलग होकर चुनाव लड़ने का भी टोटका आजमाया है। 2010 में यह फलदायी साबित हुआ। सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद उसे केवल चार सीटों पर सफलता मिली। अंतत: 2015 में वह राजद गठबंधन में शामिल हुई। उसे 27 सीटों पर सफलता मिली।
कांग्रेस नहीं दिख रही अभी मजबूत
बेशक कांग्रेस अलग-अलग स्तर पर अकेले काम कर रही है, लेकिन जमीन पर सियासी मजबूती नहीं दिख रही है। इसमें अपवाद कांग्रेस नेता कन्हैया के कार्यक्रम हैं। इनमें अच्छी तादाद में लोगों की मौजूदगी रहती है। इसके अलावा यह नहीं कहा जा सकता है कि कांग्रेस प्रदेश में इतनी मजबूत हो गई है कि वह अकेले चुनाव लड़े और इतनी सीटें जीत जाए। फिर भी, राजनीति संभावनों का खेल है। इसमें आखिर तक एक-दूसरे पर हावी होने की कोशिश राजनीतिक दल करते आए हैं।