जिंदगीनामा: खुद पर यकीन रखो, हार कभी मत मानो

वर्दी का जुनुन अलग लेवल का होता है। इसके सामने हर चीज छोटी हो जाती है। जिंदगीनामा में बात इसी तरह की शख्सियत के धनी प्रतीक वर्मा की, जिन्होंने एक मल्टीनेशनल कंपनी के बेहतरीन कैरियर को ठोकर मार दी। और दो बार की नाकामी के बाद इस बार UPSC-CAPF क्रैक करने में कामयाब रहे। यह भी उनकी जिंदगी का एक पड़ाव मिला है, सफर अभी जारी है।

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  • मृत्यु का विचार मुझे हर दिन मकसद विशेष के साथ जीने की प्रेरणा देता है। मैं हर दिन को आखिरी मानकर पूरी ऊर्जा से जीने की कोशिश करता हूं…. प्रतीक वर्मा

सवाल: UPSC-CAPF का फाइनल एग्जाम तो क्रैक हो गया। इससे आपको अपना फाइनल लक्ष्य भी मिला क्या?

जवाब: पूरी तरह नहीं। CAPF क्रैक करना अहम पड़ाव है, लेकिन मेरा अंतिम लक्ष्य देश की सेवा करना है। ईमानदारी और जिम्मेदार अधिकारी व नागरिक के तौर पर आगे बढ़ना है। मैं इस वर्ष UPSC सिविल सेवा परीक्षा भी देने वाला हूं।

सवाल: तो आपने अभी इस सेवा को क्यों चुना?

जवाब: मुझमें हमेशा से अनुशासन, उद्देश्यपूर्ण जीवन और जनसेवा का भाव रहा है। CAPF मेरी इस सोच व क्षमता से मेल खाता है। इसी वजह से मैंने ओडिशा में वेदांता एल्युमिनियम एंड पावर में असिस्टेंट मैनेजर की अपनी नौकरी छोड़ दी। इसमें वेतन बहुत अच्छा था, लेकिन आत्मसंतोष नहीं मिल रहा था।

सवाल: आप जीवन को कैसे देखते हैं?

जवाब: जीवन एक अवसर है-सीखने का, योगदान देने का और खुद को विकसित करने का। चुनौतियां इसी अवसर को हासिल करने का जरिया हैं। मैंने यह परीक्षा अपने तीसरे प्रयास में पास की है। मैं ‘कभी हार मत मानो’ के सिद्धांत में यकीन करता हूं।

सवाल: आपके कामयाबी को कैसे परिभाषित करते हैं?

जवाब: सफलता केवल भौतिक उपलब्धियों में नहीं है। इससे बढ़कर मेरे हिसाब से यह आत्म-संतुष्टि में है। मेरे लिए यह मतलब रखता है कि हम कितना सार्थक कार्य करते हैं और नैतिकता के साथ जीवन जीते हैं। हर वह व्यक्ति जो समाज में सकारात्मक प्रभाव डालता है, वह अपने क्षेत्र में सफल है।

सवाल: आपने CAPF परीक्षा देने का निर्णय कब लिया?

जवाब: मैंने इसके बारे में अपने काम के दौरान दोस्तों और शोध के माध्यम से जाना। मेरी मां उत्तर प्रदेश पुलिस में कार्यरत हैं। और उनसे ही मुझे वर्दी पहन लेने की प्रेरणा भी ली। उन्होंने इसके लिए मार्ग दर्शन भी किया।

सवाल: इसकी तैयारी किस तरह की?

जवाब: मेरा रूटीन बहुत अनुशासित व निरंतरता भरा था। इसमें मैं हर दिन 6-8 घंटे की पढ़ाई करता था। इस दौरान इसका खास ख्याल था कि हर पढ़ी चीज का नियमित रिवीजन हो। मॉक टेस्ट दिया। और थकान रोकने के लिए संतुलित ब्रेक भी इसका हिस्सा था। मैं रोजाना दो घंटे शारीरिक फिटनेस पर भी देता था। मैंने 75 हार्ड चैलेंज भी किया, ताकि फिजिकल राउंड की तैयारी में मैं पूरी तरह फिट हो सकूं।

सवाल: क्या आपने कोचिंग भी ली?

जवाब: जी हां, मैंने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स और मेंटर्स से मदद ली थी। द हेल्पिंग हैंड नाम की नि:शुल्क पहल मेरे पर्सनालिटी टेस्ट की तैयारी में बेहद सहायक रही।

  • हिम्मत मत हारिए। परीक्षा आपके मूल्य को परिभाषित नहीं करती। इससे सीखिए। खुद को सुधारिए और या तो अगली बार और मजबूती से आइए या किसी अन्य राह को पूरे जुनून से अपनाइए।

सवाल: कामयाबी में मेहनत और किस्मत को कैसे देखते हैं?

जवाब: मेहनत सबसे जरूरी है, लेकिन किस्मत भी थोड़ा योगदान देती है। फिर भी, लगातार प्रयास ही सबसे अहम होता है और उसकी कोई जगह नहीं ले सकता।

सवाल: जो लोग परीक्षा में सफल नहीं हो सके, उनके लिए आप क्या कहना चाहेंगे?

जवाब: हिम्मत मत हारिए। परीक्षा आपके मूल्य को परिभाषित नहीं करती। इससे सीखिए। खुद को सुधारिए और या तो अगली बार और मजबूती से आइए या किसी अन्य राह को पूरे जुनून से अपनाइए। मुझे भी दो बार असफलता के बाद लोग असफल कहने लगे थे, लेकिन मैंने खुद पर विश्वास रखा और बाहरी शोर को बंद कर दिया।

सवाल: अपने परिवार के बारे में बताइए?

जवाब: मेरा परिवार मेरी रीढ़ है। मेरे पिता स्वरोजगार में हैं और मेरी मां उत्तर प्रदेश पुलिस में रेडियो सब-इंस्पेक्टर के पद पर सीतापुर जिले में कार्यरत हैं।

सवाल: आपने घर से पढ़ाई की या बाहर रहकर?

जवाब: शुरुआत में घर से की। फिर फोक्स्ड तैयारी और बेहतर संसाधनों के लिए बाहर चला गया। लेकिन इसी बीच कोविड आ गया और मुझे अपने माता-पिता की देखभाल के लिए वापस अपने गृहनगर आना पड़ा।

सवाल: आपका आदर्श कौन है?

जवाब: सब-इंस्पेक्टर गीता समोता-वह पहली CISF अधिकारी बनीं हैं, जिन्होंने माउंट एवरेस्ट फतह किया। वह धैर्य और साहस की जीती-जागती मिसाल हैं।

सवाल: क्या आप ईश्वर में विश्वास करते हैं?

जवाब: हां, मैं ईश्वर में विश्वास करता हूं।

सवाल: किस रूप में?

जवाब: किसी विशेष रूप में नहीं-बल्कि एक उच्च शक्ति या नैतिक बल के रूप में, जो हमें सही राह दिखाता है। मैंने पहली बार माता वैष्णो देवी के दर्शन के दौरान अनुभव किया। उस अनुभव ने जीवन के प्रति मेरी सोच बदल दी।

सवाल: धार्मिक स्थल पसंद हैं या पर्यटक स्थल?

उत्तर: दोनों। धार्मिक स्थलों से मानसिक शांति मिलती है। वहीं, नए स्थानों पर जाना, नई संस्कृतियों और प्राकृतिक सुंदरता को देखना जीवन को नया दृष्टिकोण देता है। मुझे अपनी बाइक पर अकेले नए स्थानों पर जाना बहुत पसंद है।

सवाल: जीवन का अंतिम सत्य मृत्यु है, इस तरफ कभी ध्यान गया है?

जवाब: जी हां, इसका विचार मुझे हर दिन मकसद के साथ जीने की प्रेरणा देता है। मैं हर दिन को अंतिम मानकर पूरी ऊर्जा से जीने की कोशिश करता हूं। श्रीभगवदगीता में कहा गया है;

जातस्य हि ध्रुवो मृत्युर्ध्रुवं जन्म मृतस्य च।

तस्मादपरिहार्येऽर्थे न त्वं शोचितुमर्हसि।।

मतलब यह कि जो जन्मा है, उसकी मृत्यु निश्चित है। और जो मर गया है उसका जन्म भी निश्चित है। इसलिए अनिवार्य चीजों के लिए शोक नहीं करना चाहिए।

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