जिंदगीनामा: भाग्य भी कर्मयोगी का ही साथ देता है

आर्मी बैकग्राउंड के हर्षित कुमार शर्मा का सपना सेना में जाने का था। National Defence Academy (NDA) और Officers Training Academy (OTA) में चयन भी हुआ। लेकिन स्वास्थ्य कारणों से सेवा ज्वाइन नहीं कर सके। फिर, CAPF के लिए कमर कसी और पहले प्रयास में लक्ष्य को भी भेद दिया।

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  • मेरे हिसाब से कामयाबी में 90% योगदान मेहनत का और 10% किस्मत का है। लेकिन किस्मत भी उसी का साथ देती है, जो लगातार कोशिश करता है। कर्म पर भरोसा करना चाहिए, बाकी ईश्वर तय करता है…हर्षित कुमार शर्मा

सवाल: UPSC-CAPF का फाइनल एग्जाम क्रैक कर लेने से क्या आपको अपना भी फाइनल लक्ष्य मिल गया? कहने का मतलब यह कि आपकी जिंदगी का क्या लक्ष्य है, क्या पाना, हासिल करना चाहते हैं?

जवाब: CAPF परीक्षा उत्तीर्ण करना मेरे जीवन का एक महत्वपूर्ण पड़ाव था, लेकिन यह मेरे जीवन का अंतिम लक्ष्य नहीं है। मेरा मकसद देश की सेवा करना है-अनुशासन, समर्पण और नेतृत्व के माध्यम से। मैं चाहता हूं कि मेरी पहचान सिर्फ एक अफसर तक सीमित न रहे, बल्कि एक ऐसा व्यक्ति बनूं जो समाज और राष्ट्र के विकास में सकारात्मक योगदान देने वाला हो।

सवाल: जिंदगी के एक पड़ाव के तौर आपने इसी सेवा को क्यों चुना?

जवाब: मुझे लगता है कि मुझमें नेतृत्व की क्षमता है। संकट में शांत रहकर निर्णय ले सकता हूं। और अनुशासित जीवन जीने की आदत है। इन खूबियों ने मुझे वर्दी पहनकर सेवा देने के लिए प्रेरित किया। मैं हमेशा से एक ऐसा करियर चाहता था जिसमें सेवा, साहस और सम्मान एक साथ हो, और CAPF ने मुझे यह मंच दिया।

सवाल: जिंदगी को आप कैसे देखते हैं?

जवाब: मेरी नजर में जिंदगी एक अवसर है-सीखने का, समझने का और योगदान देने का। हर व्यक्ति का जीवन एक मकसद से जुड़ा होता है। युवा होने के नाते, मैं मानता हूं कि हमें अपनी ऊर्जा को सही दिशा में लगाना चाहिए। ताकि हम खुद भी बेहतर बनें और समाज के लिए योगदान दे सकें।

सवाल: कामयाबी को आप कैसे मापते हैं?

जवाब: मेरे लिए कामयाबी सिर्फ पद या पैसे से नहीं मापी जाती। असली कामयाबी तब होती है जब आप खुद से संतुष्ट हों और आपके होने से कुछ की जिंदगी बेहतर हो सके। यह आत्म सम्मान, संतुलन और समाज के प्रति उत्तरदायित्व का मेल है।

सवाल: आपने कब सोचा कि CAPF एग्जाम देना है?

जवाब: मेरा परिवार आर्मी बैकग्राउंड से है, तो देश सेवा का जज्बा बचपन से ही रहा है। मैंने सबसे पहले सेना में जाने का फैसला किया था। NDA और OTA दोनों में मेरा चयन हो चुका था, लेकिन मेडिकल वजहों से मैं इसे ज्वाइन नहीं कर सका। उस वक्त बहुत दुख हुआ, लेकिन मैंने हार नहीं मानी। मैंने CAPF के बारे में गंभीरता से सोचना शुरू किया। यह सेवा भी मुझे जमीनी स्तर पर देश के लिए कुछ करने का मौका देती है-ठीक उसी तरह जैसे मैंने सेना में सोचा था।

सवाल: CAPF का एग्जाम टफ, स्टडी तो बहुत करनी पड़ी होगी? क्या दिनचर्या थी?

जवाब: जी हां, दिनचर्या बहुत अनुशासित थी। सुबह जल्दी उठकर योग और वर्कआउट करता था ताकि मन और शरीर दोनों ऊर्जावान रहें। फिर 6-7 घंटे पढ़ाई करता था। इसमें अखबार पढ़ना, उत्तर लेखन अभ्यास, मॉक टेस्ट आदि शामिल थे। इसमें Consistency सबसे जरूरी थी।

सवाल: तैयारी के दौरान आपने कहीं और से भी मदद ली? मतलब कोचिंग की या किसी ने मार्ग दर्शन किया हो?

जवाब: जी हां, मैंने कुछ ऑनलाइन कोर्स और टेस्ट सीरीज का सहारा लिया। इसके अलावा कुछ अच्छे मेंटर्स मिले, जिनसे मार्गदर्शन मिला। सही दिशा में तैयारी करने से समय और ऊर्जा दोनों की बचत होती है।

सवाल: आप मानते हैं कि UPSC की परीक्षा क्रैक करना सिर्फ मेहनत से संभव होता है या किस्मत का भी कुछ कनेक्शन है इसमें?

जवाब: मेरे हिसाब से कामयाबी में 90 फीसदी योगदान मेहनत का और 10 फीसदी किस्मत का है। लेकिन किस्मत भी उसी का साथ देती है, जो लगातार कोशिश करता है। कर्म पर भरोसा करना चाहिए, बाकी ईश्वर तय करता है।

सवाल: जो एग्जाम क्रैक नहीं कर सके, उनको क्या कहना चाहेंगे?

जवाब: मैं बस यही कहना चाहूंगा कि असफलता अंत नहीं है, बल्कि नई शुरुआत का संकेत है। कई बार थोड़ा और धैर्य, थोड़ा और प्रयास हमें मंजिल तक पहुंचा सकता है। मेरे कुछ दोस्त बहुत काबिल थे, बस एक-आध नंबर से चूक गए। मैं उन्हें फिर से प्रयास करने के लिए प्रेरित करूंगा।

सवाल: आप अपने बारे में बताइए। घर, मम्मी-पापा, भाई-बहन कहां रहते हैं? क्या करते हैं?

जवाब: मेरा परिवार मध्य प्रदेश के सागर जिले से है। पापा आर्मी से रिटायर्ड हैं और मां गृहिणी हैं। मेरी एक बड़ी बहन हैं जो अपने क्षेत्र में कार्यरत हैं। मेरी सफलता का बड़ा श्रेय मेरे परिवार को जाता है। विशेष रूप से पापा के अनुशासन और मां की ममता ने मुझे हमेशा संतुलन सिखाया।

सवाल: पढ़ाई घर से, पापा-मम्मी के साथ रहकर की या घर छोड़ना पड़ा?

जवाब: शुरुआत में घर से पढ़ाई की, लेकिन बाद में बेहतर माहौल और फोकस के लिए कुछ समय के लिए बाहर भी रहा। घर से दूर रहना भावनात्मक रूप से चुनौतीपूर्ण था, लेकिन यह जरूरी था।

सवाल: पहली बार कब अकेले निकले? कैसा लगा था, परिवार से दूर होकर?

जवाब: कॉलेज के लिए पहली बार घर से बाहर गया था। शुरुआत में बहुत कुछ मिस किया-मां का खाना, घर पर रिश्तों की गर्माहट, पिता का मार्गदर्शन। लेकिन यही अनुभव मुझे आत्मनिर्भर भी बना गया। और हां, इस सफलता से कहीं न कहीं वह दूरी सार्थक हो गई।

सवाल: आपका आइडियल कौन है?

जवाब: मेरे आदर्श मेरे पिता हैं। उनका साहस, निर्णय लेने की क्षमता और देशभक्ति मुझे प्रेरित करती है। उन्होंने कठिन परिस्थितियों में भी कभी हार नहीं मानी।

मृत्यु हमें याद दिलाती है कि समय सीमित है। इसलिए हर दिन को उद्देश्यपूर्ण और सकारात्मक बनाना चाहिए। जीवन की असली सुंदरता इसी नश्वरता में है।

सवाल: क्या आप ईश्वर को मानते हैं?

जवाब: जी हां, मैं ईश्वर को मानता हूं। मेरा मानना है कि कोई न कोई अदृश्य शक्ति हमारे प्रयासों को दिशा देती है।

सवाल: तो किस रूप में?

जवाब: मैं ईश्वर को एक शक्ति के रूप में देखता हूं-जो हर जगह है। मैं धार्मिक कर्मकांड से ज्यादा आस्था और नैतिकता में विश्वास करता हूं।

सवाल: धार्मिक स्थल पसंद है या पर्यटन स्थल? कहां-कहां घूमना हुआ है अभी तक?

जवाब: दोनों ही पसंद हैं। धार्मिक स्थलों में शांति मिलती है और पर्यटन स्थलों पर प्रकृति से जुड़ने का मौका। अभी तक उज्जैन, वाराणसी, और नर्मदा किनारे कई जगह घूम चुका हूं। सबसे ज्यादा पसंद नर्मदा घाट पर बिताया समय रहा।

सवाल: मृत्यु जीवन का अंतिम सत्य है, कभी इस तरफ भी ध्यान गया है?

जवाब: जी, कभी-कभी सोचा है। मृत्यु हमें याद दिलाती है कि समय सीमित है, इसलिए हर दिन को उद्देश्यपूर्ण और सकारात्मक बनाना चाहिए। जीवन की असली सुंदरता इसी नश्वरता में है।

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