सुनामी का असर तभी महसूस होगा, जब भूकंप का अधिकेंद्र समुद्री में हो और भूकंप की तीव्रता बहुत अधिक हो। सुनामी अपने आप में भूकंप नहीं है, यह वास्तव में समुद्र की लहरें हैं, जो भूकंपीय तरंगों से पैदा होती हैं।
बहरहाल, नाम व गुण बेशक इनके अलग हैं, लेकिन जो चीज कॉमन है वह यह कि इनसे स्थल की आकृति बदल जाती है। वहीं, तीव्रता ज्यादा होने पर इनसे जन व धन का बड़ा नुकसान होता है।
ऐसा भी नहीं कि दुनिया के सभी भागों में तेज भूकंप ही आते हैं। जो क्षेत्र भ्रंश के नजदीक है, वहीं तेज झटके ज्यादा लगते हैं। अमूमन देखा गया है कि रिक्टर स्केल पर 8 से अधिक तीव्रता वाले भूकंप के आने की संभावना बहुत ही कम होती है जो 1-2 वर्षो में एक ही बार आते हैं। जबकि भूकंप के हल्के झटके तकरीबन हर मिनट धरती के किसी न किसी भाग में महसूस किए जाते हैं।
भारत में भूकंप के चार जोन
अपने देश में भूकंप के खतरे को भांपकर चार जोन बनाए गए हैं। जोन-2, जोन-3, जोन- 4 और जोन- 5। हिमालयी क्षेत्र को काफी संवेदनशील है। इन जोन में जोन- 5 के क्षेत्र हैं, जहां पर भूकंप आने का खतरा सबसे अधिक है। देश के पूर्वोत्तर इलाकों के अलावा, जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्से, लद्दाख के कुछ हिस्से, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात, उत्तर बिहार के कुछ हिस्से आदि इसमें शामिल किए गए हैं।
इसके बाद भूकंप के लिहाज से सबसे अधिक संवेदनशील इलाके जोन-4 के अंतर्गत रखे गए हैं। इनमें दिल्ली, उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्से और बिहार, पश्चिम बंगाल जैसे राज्य आते हैं।
आखिर में…..