नई दिल्ली: तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) TTP, जो लंबे समय से पाकिस्तान में आतंकी गतिविधियों के लिए कुख्यात है, अब बांग्लादेश में अपनी जड़ें जमा रहा है। इस आतंकी संगठन का विस्तार भारत के लिए एक नई और गंभीर सुरक्षा चुनौती बनकर उभर रहा है। भारत, जो पाकिस्तान और बांग्लादेश दोनों के साथ अपनी सीमाएं साझा करता है, इस बढ़ते खतरे से प्रभावित हो सकता है। खुफिया सूत्रों के अनुसार, टीटीपी बांग्लादेश में नए आतंकियों की भर्ती में सक्रिय रूप से जुटा हुआ है, जिससे क्षेत्रीय स्थिरता पर खतरा मंडरा रहा है।
बांग्लादेश में टीटीपी की गतिविधियां
हाल के महीनों में टीटीपी के बांग्लादेश में सक्रिय होने के पुख्ता सबूत सामने आए हैं। खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कम से कम दो टीटीपी रिक्रूटर्स बांग्लादेश से अफगानिस्तान की ओर पाकिस्तान के रास्ते जाते हुए पकड़े गए। इनमें से एक को अप्रैल में पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने मुठभेड़ में मार गिराया। इसके अलावा, जून में मलेशिया ने 36 बांग्लादेशी नागरिकों को आतंकी संगठनों से संबंध रखने के आरोप में हिरासत में लिया, जिसने टीटीपी के बांग्लादेश में बढ़ते प्रभाव की आशंकाओं को और बल दिया।
मूल रूप से टीटीपी का संचालन पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा क्षेत्र से होता है, जहां से यह पाकिस्तान में विस्फोट और अन्य आतंकी हमलों को अंजाम देता है। अब यह संगठन बांग्लादेश में अपनी मौजूदगी बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, जिससे भारत की सुरक्षा के लिए खतरे की घंटी बज रही है।
बांग्लादेश में बढ़ता उग्रवाद
पिछले साल अगस्त में शेख हसीना की सरकार के सत्ता से हटने के बाद बांग्लादेश में उग्रवादी गतिविधियों में वृद्धि देखी गई है। जुलाई में बांग्लादेश की एंटी-टेररिज्म यूनिट (एटीयू) ने दो संदिग्धों, शमीम महफूज और मोहम्मद फोजल, को गिरफ्तार किया, जिनके टीटीपी से संबंध होने का आरोप है। बांग्लादेशी समाचार पत्रों के अनुसार, स्थानीय पुलिस और खुफिया एजेंसियां उन्नत तकनीकों और सूचनाओं के आधार पर ऐसे खतरों को नियंत्रित करने के लिए सक्रिय अभियान चला रही हैं। मई में एक बांग्लादेशी डिजिटल पोर्टल की रिपोर्ट ने खुलासा किया था कि कम से कम आठ बांग्लादेशी नागरिक वर्तमान में अफगानिस्तान में टीटीपी के सक्रिय सदस्य के रूप में काम कर रहे हैं। यह जानकारी बांग्लादेश में टीटीपी के बढ़ते प्रभाव का स्पष्ट संकेत देती है।
भारत के लिए खतरा
भारत, जो बांग्लादेश और पाकिस्तान दोनों के साथ लंबी सीमाएं साझा करता है, टीटीपी की गतिविधियों से सीधे तौर पर प्रभावित हो सकता है। यदि टीटीपी बांग्लादेश में अपनी पकड़ मजबूत कर लेता है, तो यह भारत के पूर्वोत्तर राज्यों और अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा दे सकता है। इसके अलावा, बांग्लादेश में अस्थिरता और उग्रवाद का बढ़ना क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा बन सकता है।
बांग्लादेश की प्रतिक्रिया
बांग्लादेश की एटीयू, जो 2017 में स्थापित की गई थी, आतंकवाद के खिलाफ उन्नत खुफिया रणनीतियों का उपयोग कर रही है। हाल की गिरफ्तारियां और सक्रिय अभियान इस बात का सबूत हैं कि बांग्लादेश सरकार इस खतरे को गंभीरता से ले रही है। फिर भी, टीटीपी जैसे संगठनों की गतिविधियों को पूरी तरह रोकने के लिए क्षेत्रीय सहयोग और मजबूत खुफिया तंत्र की आवश्यकता है।
टीटीपी का बांग्लादेश में विस्तार भारत और पूरे दक्षिण एशिया के लिए एक गंभीर चेतावनी है। भारत को अपनी सीमाओं की सुरक्षा बढ़ाने, खुफिया निगरानी को और मजबूत करने और क्षेत्रीय सहयोग को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। बांग्लादेश में उग्रवाद के बढ़ने और टीटीपी के प्रभाव को रोकने के लिए तत्काल और समन्वित कार्रवाई आवश्यक है, ताकि क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनी रहे।