नई दिल्ली: एनजीटी ने 2024 में केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि पेड़ों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मजबूत नियम बनाया जाए। इसके लिए इसके लिए केंद्र सरकार ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के विशेष सचिव और वन महानिदेशक की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ कमेटी बनाई। इसने सिफारिश की है कि देश के गैर वन क्षेत्र में पेड़ों की सुरक्षा, छंटाई, कटाई और प्रत्यारोपण के लिए एक राष्ट्रीय नीति बनाई जाए। इसमें इसके लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश हों।
इसके साथ ही समिति ने यह भी साफ किया है कि जिन राज्यों में कानून नहीं हैं, वहां इसको तैयार किया जाए। वहीं, जहां कानून हैं, वहां उन्हें बेहतर और समावेशी बनाया जाए। निगरानी और सामुदायिक भागीदारी के लिए राज्यों को नई तकनीकों (जैसे जीआईएस, रिमोट सेंसिंग) का इस्तेमाल करने को कहा है।
इससे पहले समिति ने सभी राज्यों की स्थिति की जांच-पड़ताल व मौजूदा नियमों की समीक्षा के बाद समिति ने एक अपनी रिपोर्ट तैयार की है। इसमें कानून निर्माण से लेकर तकनीकी निगरानी और ट्री अथॉरिटी यानी वृक्ष प्राधिकरण जैसे संस्थागत ढांचे पर जोर दिया है।
अधिकारियों व विशेषज्ञों से बनेगा प्राधिकरण
प्रस्तावित वृक्ष प्राधिकरण का अध्यक्ष राज्य वन विभाग या शहरी विकास प्राधिकरण का शीर्ष अधिकारी होना जरूरी है। इसमें वन विभाग, शहरी योजना, स्वास्थ्य और पर्यावरण के विशेषज्ञों के साथ साथ प्रमाणित पेड़ विशेषज्ञ, नगर निकाय और समुदाय प्रतिनिधि के अलावा गैर सरकारी संगठन एवं निजी क्षेत्र से प्रतिनिधि (सीएसआर पहल के लिए) शामिल किए जा सकते हैं। इनके अलावा प्रत्येक राज्य को स्थानीय स्तर पर ट्री ऑफिसर यानी पेड़ अधिकारी की नियुक्ति होनी चाहिए, जिसे पेड़ों की कटाई की अनुमति देने का अधिकार भी प्राप्त हो।
तीन राज्यों में पेड़ प्रत्यारोपण का नियम
समिति को देश के 32 राज्यों में गैर वन क्षेत्र को लेकर सुरक्षा अधिनियम मिला। लेकिन जमीन पर इसका खास असर नहीं।वहीं, 21 राज्यों में पेड़ों के विकास, 30 में पेड़ों की कटाई और छह राज्यों में पेड़ों की छंटाई के नियम कायदे हैं। दिल्ली, गोवा और महाराष्ट्र ऐसे राज्य हैं, जहां पेड़ों के प्रत्यारोपण के लिए कानून है। फिर भी पेड़ों को भारी नुकसान हो रहा है।
समिति ने जांच में पाया कई राज्यों में वृक्षारोपण से जुड़े विभागों में कर्मचारी और संसाधनों की भारी कमी है। इसलिए राज्यों से तत्काल इन विभागों में रिक्त पदों की समीक्षा करने और उन्हें भरने की सलाह दी है। समिति ने राज्यों से कहा है कि पर्याप्त वित्तीय और मानव संसाधन उपलब्ध कराएं।
शहरों के लिए इसलिए जरूरी स्मार्ट ट्री
एक अकेला पेड़ प्रदूषक पीएम 2.5 और पीएम 10 जैसे खतरनाक कणों को फिल्टर करता है। इसी तरह इससे तापमान में पांच से 10 डिग्री तक कमी आती है। पेड़ जलभराव रोकने के साथ भूजल रिचार्ज करता है। शहर में जैव विविधता इससे बढ़ती है। स्मार्ट पेड़ से अधिकतम इको सर्विस मिलती है। कुल मिलाकर यह जीवंत इको-सिस्टम इंजन है।
पेड़ों की छटाई-कटाई का बने नियम
समिति ने कहा है कि गैर वन क्षेत्रों जैसे शहरी इलाके, खेत, सड़क किनारे सहित दूसरी जगहों में पेड़ों के संरक्षण, छंटाई, कटाई और प्रत्यारोपण के लिए भारत में एक देश एक नीति लागू होना आवश्यक है। इसके लिए तत्काल प्रयास शुरू होने चाहिए। एनजीटी ने इस समिति को पेड़ों की वृद्धि, सुरक्षा, छंटाई और प्रबंधन के लिए दिशा-निर्देशों का निर्माण, पेड़ों की कटाई, प्रत्यारोपण समेत दूसरे कामों के लिए एसओपी तैयार करने के आदेश दिए थे।
ट्री एम्बुलेंस जैसी पहल
बीमार या क्षतिग्रस्त पेड़ों की देखभाल के लिए प्रत्येक राज्य को सभी जिलों में एक टीम गठित करनी चाहिए। इसमें वृक्ष विशेषज्ञ भी शामिल होने चाहिए। इनको प्रशिक्षित और प्रमाणित करने की आवश्यकता है। इससे पेड़ों की वैज्ञानिक देखभाल हो सके। इसके अलावा, शहरी क्षेत्रों में वृक्ष विशेषज्ञ तैनात होने चाहिए। इन्हें आम भाषा में पेड़ों के लिए डॉक्टर कह सकते हैं, जो छंटाई, बीमारी की पहचान, मिट्टी की जांच और सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। भारत में यह एक उभरता हुआ लेकिन अत्यधिक आवश्यक पेशा है।