28,000 किमी की रफ्तार से अंतरिक्ष में यात्रा कर रहे शुभांशु

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से अंतरिक्ष में ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला से बातचीत की। इस मौके पर पीएम ने कई सारे सवाल किए। दिलचस्प यह कि शुभांशु शुक्ला एक दिन में पृथ्वी की 16 परिक्रमा कर रहे हैं। उनका कहना है कि अंतरिक्ष से देशों की सीमाएं नहीं दिखाई पड़ती।

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नई दिल्ली: अंतरिक्ष में 28,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से यात्रा कर रहे भारत से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के पहले यात्री शुभांशु शुक्ला से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से लंबी बातचीत की। इस दौरान प्रधानमंत्री ने अपनी ओर से देश भर के लोगों की उत्सुकता के साथ-साथ उन सवालों को भी शुभांशु से जानने का प्रयास किया, जिसका आने वाले भविष्य में भारत और दुनिया को लाभ मिलने वाला है।
प्रधानमंत्री मोदी ने शुभांशु शुक्ला से कहा कि भले ही आप वर्तमान में भारतीय मातृभूमि से सबसे दूर हैं, लेकिन आप सभी भारतीयों के दिलों के सबसे निकट हैं। शुभांशु ने बताया कि वह अंतरिक्ष स्टेशन पर पूरी तरह से स्वस्थ हैं। उनको जो प्यार मिल रहा है, उससे और भी सकारात्मकता मिल रही है। शुभांशु शुक्ला ने अपने बचपन का स्मरण करते हुए पीएम मोदी से कहा कि उन्होंने कभी अंतरिक्ष यात्री बनने की कल्पना नहीं की थी, लेकिन आज आपके (प्रधानमंत्री) के नेतृत्व में, भारत ने ऐसे सपनों को साकार किया है। शुभांशु ने इसे एक बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा कि उन्हें अंतरिक्ष में अपने देश का प्रतिनिधित्व करने में बहुत गर्व का अनुभव हो रहा है।
शुभांशु से बातचीत के दौरान पीएम मोदी ने बल देकर कहा कि भारत को मिशन गगनयान के साथ आगे बढ़ना चाहिए। यही नहीं, अपना अंतरिक्ष स्टेशन बनाने के साथ चंद्रमा पर एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री की लैंडिंग का लक्ष्य हासिल करना चाहिए। अंतरिक्ष में शुभांशु का अनुभव भविष्य के इन मिशनों के लिए बहुत उपयोगी होगा।
भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु दो दिन पहले 26 जून को इंटरनेशनल स्पेस सेंटर पहुंचे हैं। वे 41 साल बाद स्पेस में जाने वाले भारतीय हैं। वे एक्सियम मिशन 4 के तहत 25 जून को दोपहर करीब 12 बजे सभी एस्ट्रोनॉट के साथ आईएसएस के लिए रवाना हुए थे।

एक दिन में पृथ्वी की 16 परिक्रमाएं कर रहे शुभांशु
प्रधानमंत्री मोदी ने शुभांशु से पूछा कि इस समय पृथ्वी के किस भाग की परिक्रमा कर रहे हैं। शुभांशु ने इसका उत्तर देते हुए कहा कि इस समय सटीक स्थान की जानकारी तो नहीं है, लेकिन कुछ देर पहले, खिड़की से देखा था कि किसी हवाई द्वीप के ऊपर से गुजर रहे थे।
शुभांशु ने बताया कि वे एक दिन में पृथ्वी की 16 परिक्रमाएं पूरी करते हुए – अंतरिक्ष से 16 सूर्योदय और 16 सूर्यास्त देखते हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में लगभग 28,000 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से यात्रा कर रहे हैं, लेकिन अंतरिक्ष यान के अंदर यह गति दिखाई या अहसास नहीं कराती है।

अंतरिक्ष से किसी देश की सीमा नहीं दिखती
शुभांशु ने पीएम मोदी को बताया कि अंतरिक्ष से, कोई भी सीमाओं को नहीं देख सकता है। राष्ट्रों के बीच कोई दिखाई देने वाली सीमाएं नहीं हैं और जो सबसे अलग है वह पृथ्वी ग्रह की संपूर्ण एकता है। उन्होंने कहा कि जब हम नक्शों को देखते हैं, तो हम भारत सहित देशों के आकार की तुलना करते हैं, और आम तौर पर एक विकृत तस्वीर देखते हैं क्योंकि हम कागज पर एक त्रि-आयामी दुनिया को समतल रूप में देखते हैं। शुभांशु ने कहा कि अंतरिक्ष से भारत पैमाने और भावना में वास्तव में भव्य और प्रभावशाली दिखाई देता है।

अपने पैरों को बांधना पड़ता है नीचे
अंतरिक्ष यात्री शुभांशु ने बताया किया कि शून्य गुरुत्वाकर्षण और पहले से प्रयोगों की प्रकृति के बारे में जानने के बावजूद, कक्षा में वास्तविकता पूरी तरह से अलग है। उन्होंने कहा कि मानव शरीर गुरुत्वाकर्षण का इतना आदी हो जाता है कि माइक्रोग्रैविटी में सबसे छोटे कार्य भी अप्रत्याशित रूप से जटिल हो जाते हैं। उन्होंने हास्य करते हुए बताया कि, उन्हें अपने पैरों को नीचे बांधना पड़ा-अन्यथा, वह बस तैर रहे थे।
शुभांशु ने कहा कि पानी पीना या सोना अंतरिक्ष में महत्वपूर्ण चुनौतियां बन जाती हैं। उन्होंने बताया कि कोई छत पर, कोई दीवारों पर, या कहीं भी सो सकता है – क्योंकि अनुकूलन तरल हो जाता है। इस बदले हुए वातावरण में समायोजित करने में एक या दो दिन लगते हैं।

स्टेम सेल कोशिकाओं और मांसपेशियों की मजबूती पर काम शुरू किया
पीएम मोदी ने शुभांशु से पूछा कि क्या अंतरिक्ष संबंधी प्रयोगों से भविष्य में कृषि या स्वास्थ्य क्षेत्र को लाभ होगा? शुभांशु शुक्ला ने बताया कि प्रयोग, स्टेम कोशिकाओं पर केंद्रित है। गुरुत्वाकर्षण की अनुपस्थिति में, शरीर मांसपेशियों के नुकसान का अनुभव करता है। ऐसे में इस अध्ययन के परिणाम पृथ्वी पर बुजुर्ग लोगों की सीधे तौर पर सहायता कर सकते हैं जो उम्र से संबंधित मांसपेशियों के बिगड़ने का सामना करते हैं।
शुभांशु ने आगे कहा कि एक अन्य प्रयोग सूक्ष्मजीव के विकास पर केंद्रित है। उन्होंने कहा कि हालांकि सूक्ष्मजीव आकार में छोटे होते हैं लेकिन वे अत्यधिक पौष्टिक होते हैं। उन्होंने कहा कि यदि अंतरिक्ष में निष्कर्षों के आधार पर उन्हें बड़ी मात्रा में विकसित करने के लिए तरीके विकसित किए जाएं तो यह पृथ्वी पर खाद्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण सहायता कर सकता है।

अंतरिक्ष में ले रहे गाजर के हलवे का आनंद
शुभांशु अपने साथ गाजर का हलवा, मूंग दाल का हलवा और आम रस के साथ-साथ कई पारंपरिक भारतीय व्यंजन लेकर अंतरिक्ष गए हैं जिसे उन्होंने अपने साथी अंतरिक्ष यात्रियों के साथ भी साझा किया। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के अपने सहयोगियों को भारत की समृद्ध भोजन की विरासत का स्वाद चखाया।
शुभांशु ने प्रधानमंत्री को बताया कि उन सभी लोगों ने एक साथ बैठ कर व्यंजनों का आनंद लिया, जो सभी को बहुत पसंद आए। उनके साथी अंतरिक्ष यात्रियों ने भारतीय व्यंजनों की बहुत प्रशंसा की और कुछ लोगों ने तो भविष्य में भारत आकर भारतीय सरजमीं पर इन व्यंजनों का आनंद लेने की इच्छा भी जताई है।

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