नई दिल्ली: मैक की स्थापना कारगिल युद्ध के बाद 2001 में की गई है। इसकी सिफारिश कारगिल समीक्षा समिति और मंत्रियों के समूह ने की थी। केंद्र में मैक के साथ राज्यों में सहायक मल्टी एजेंसी सिस्टम काम कर रहे हैं। इसमें रक्षा सुरक्षा एजेंसी (डीआईए), रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ), इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी), सशस्त्र बल, राज्य पुलिस समेत करीब 28 संगठन शामिल हैं। सभी सुरक्षा एजेंसियां रीयल टाइम इंटेलिजेंस इनपुट साझा करती हैं। हर दिन इसकी बैठक होती है। इसमें 24 घंटे की खुफिया जानकारी साझा करनी होती है। इसके आधार पर आगे की रणनीति तैयार होती है।
स्थापना के बाद से मैक की क्षमता लगातार बेहतर हो रही है। शुक्रवार केंद्र सरकार ने इसी दिशा में एक कदम आगे बढ़ाया है। आईबी में स्थित नए मैक ने इंटेलिजेंस, सुरक्षा, कानूनों के प्रवर्तन व जांच एजेंसियों को आपस में जोड़ा है। करीब 500 करोड़ रुपये की लागत से तैयार मैक नेटवर्क में मात्रात्मक के साथ गुणात्मक बदलाव किए गए हैं। अब देश के कोने-कोने तक इसको विस्तार मिला है। देश के द्वीपीय हिस्से, उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र और ऊंचे पहाड़ी क्षेत्र भी शामिल हैं। दूसरे किसी भी नेटवर्क से अलग होने (standalone secure network) से यह पूरी तरह सुरक्षित है। वहीं, देश के दूरदराज हिस्से की जिला पुलिस का भी इसके पास इनपुट है।

नया केंद्र आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग समेत सभी अत्याधुनिक तकनीकों से लैस है। इससे मैक व जीआईएस सर्विस के डेटाबेस का इस्तेमाल हो सकेगा। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि केंद्रीय एजेंसियों के पास जो भी डाटाबेस हैं, उनका इस प्लेटफार्म से जोड़ा जाना चाहिए। इससे मैक के पास मौजूद एडवांस डाटा एनालिटिक्स का फायदा उठाया जा सकेगा। अमित शाह के मुताबिक, इस तरह से मैक नेटवर्क पर पैदा की गई डाटा एनालिटिक्स की गुणवत्ता बेहतर होगी। वहीं, ट्रेंड का विश्लेषण सटीक होगा। हॉट स्पॉट की मैपिंग भी संभव होगी। नया मैक प्लेटफार्म पूरे आतंकी परिवेश से लड़ने में कारगर साबित होगा। इसमें आतंकवाद, उग्रवाद, संगठित अपराध और साइबर अटैक सरीखे गंभीर खतरे शामिल हैं।
छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा के कर्रेगुट्टा पहाड़ी में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की तरफ से चलाए गए नक्सल विरोधी ऑपरेशन सुरक्षाबलों के बेहतरीन तालमेल को जाहिर करते हैं। इसी तरह का समन्वय ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी देखने को मिला। इससे पता चलता है कि हमारी खुफिया एजेंसियों तथा तीनों सशस्त्र सेनाओं द्वारा कार्य को अंजाम देने की प्रक्रिया और सोच में काफी बेहतर समन्वय है।
– अमित शाह, केंद्रीय गृह मंत्री, भारत सरकार