पटना: यह पहली बार है कि मढ़ौरा के रेल इंजन कारखाने में बना रेल इंजन भारतीय रेलवे इंजन निर्यात कर रहा है। भारत से गिनी तक पहुंचेगा। इस फैक्ट्री के 150 दमदार इंजन अफ्रीका महाद्वीप के गिनी देश में चलाए जाएंगे। ये इंजन सिमंडौ लौह अयस्क प्रोजेक्ट में काम आएंगे।
सारे इंजन एक साथ नहीं भेजे जाएंगे। पहले साल यहां से 37 इंजन गिनी पहुंचेगे। जबकि दूसरे साल इनकी संख्या 82 और तीसरे साल 31 होगी। तीन साल में सभी इंजनों की आपूर्ति कर दी जाएगी।
सभी इंजन आधुनिक तकनीक से लैस
अफ्रीका जाने वाले हर इंजन में 4,500 हॉर्स पावर की ताकत है। एसी प्रणोदन सिस्टम, रिजनरेटिव ब्रेकिंग टेक्नोलॉजी, माइक्रो प्रोसेसर-आधारित कंट्रोल सिस्टम, फायर डिटेक्शन सिस्टम साथ ही यह इतने अत्याधुनिक है कि इसमें ड्राइवर के लिए माइक्रो वेव, फ्रिज और टॉयलेट जैसी सुविधाएं भी दी गई हैं।
मढ़ौरा कारखाने से बढ़ेगा रोजगार का अवसर
रेलवे के अनुसार, विदेश में निर्यात शुरू होने से मढ़ौरा कारखाने में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। अभी इसमें 285 लोग सीधे काम कर रहे हैं। जबकि अप्रत्यक्ष तौर पर 1,215 लोगों को रोजगार मिल रहा है। विदेश भेजने का अवसर बनने के बाद यह कारखाना इंजन निर्यात का बड़ा केंद्र बनेगा। मांग के हिसाब से इससे कारखाने स्थानीय स्तर पर रोजगार का सृजन होगा। साथ ही तकनीकी विशेषज्ञों की भी मांग बढ़ेगी। यह इंजन गिनी के सबसे बड़े लौह अयस्क प्रोजेक्ट के लिए रेल परिवहन का बुनियादी ढांचा बनाने में मददगार होगा। साथ ही भारत-गिनी के बीच द्विपक्षीय व्यापार बढ़ेगा।

बिहार में बने इंजन से लौह खदानों की होगी माल की ढुलाई
बिहार के मढ़ौरा रेल इंजन निर्यात कारखाने में बने इंजन गिनी में लोहे की खदानों से माल ढोने के काम आएंगे। मढ़ौरा का कारखाना पब्लिक-प्राइवेट-पार्टनरशिप (PPP) मॉडल पर बना है। इसे अमेरिकी कंपनी वाबटेक और भारतीय रेलवे मिलकर चलाते हैं। गिनी ने एक ग्लोबल टेंडर निकाला था। बोली के आधार पर कांटेक्ट इसी कारखाने को मिला। यह 4,500 हॉर्स पावर के इंजन हैं।