भारत की कूटनीतिक जीत: TRF आतंकी संगठन घोषित

यह फैसला भारत की कूटनीतिक ताकत का प्रतीक है, जिसने वैश्विक मंचों पर टीआरएफ की गतिविधियों को उजागर किया। यह कदम पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका है, जो आतंकवाद को 'कश्मीरी प्रतिरोध' के रूप में पेश करने की कोशिश करता रहा है।

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नई दिल्ली: पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) TRF, जिसने पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों पर क्रूर हमला किया था। उसे अमेरिका ने अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन घोषित कर दिया है। यह फैसला भारत की कूटनीतिक ताकत का प्रतीक है, जिसने वैश्विक मंचों पर टीआरएफ की गतिविधियों को उजागर किया। यह कदम पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका है, जो आतंकवाद को ‘कश्मीरी प्रतिरोध’ के रूप में पेश करने की कोशिश करता रहा है।

वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ भारत की मजबूत रणनीति
22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 भारतीय नागरिकों की जान गई, ने दुनिया का ध्यान खींचा था।टीआरएफ ने इस हमले की जिम्मेदारी ली, लेकिन बाद में अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण अपना बयान वापस ले लिया। भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत टीआरएफ और पाकिस्तान के बीच संबंधों के ठोस सबूत अमेरिका और अन्य देशों के सामने पेश किए।
इसके परिणामस्वरूप, अमेरिकी विदेश विभाग ने टीआरएफ को लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का मुखौटा संगठन करार देते हुए इसे विदेशी आतंकी संगठन (एफटीओ) की सूची में शामिल किया। अमेरिकी विदेश मंत्री जेम्स स्मिथ ने अपने बयान में कहा, टीआरएफ को आतंकी संगठन घोषित करना आतंकवाद के खिलाफ हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह भारत के साथ हमारी रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करता है। इस फैसले से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में टीआरएफ पर प्रतिबंध लगाने की प्रक्रिया भी आसान हो जाएगी।

भारत का स्वागत, जयशंकर का बयान
भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस कदम का स्वागत करते हुए इसे आतंकवाद के खिलाफ भारत की ‘शून्य सहिष्णुता’ नीति की जीत बताया। उन्होंने कहा, “यह फैसला भारत और अमेरिका के बीच आतंकवाद विरोधी सहयोग का एक मजबूत उदाहरण है। हम वैश्विक समुदाय के साथ मिलकर आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।” भारत ने पहले ही 5 जनवरी 2023 को गैरकानूनी गतिविधि (निवारण) अधिनियम (यूएपीए) के तहत टीआरएफ को आतंकी संगठन घोषित किया था।

टीआरएफ: पाकिस्तान की साजिश का नया चेहरा
खुफिया एजेंसियों के अनुसार, टीआरएफ की स्थापना 2019 में लश्कर-ए-तैयबा ने पाकिस्तानी सेना और आईएसआई के समर्थन से की थी। यह कदम जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद उठाया गया, ताकि आतंकी गतिविधियों को ‘स्थानीय विद्रोह’ का रूप दिया जा सके। टीआरएफ के आतंकी सामान्य नागरिकों की तरह दिखते हैं, लेकिन गुप्त रूप से अल्पसंख्यकों, सुरक्षा बलों और गैर-कश्मीरी नागरिकों को निशाना बनाते हैं। भारत ने हथियारों की खेप, फंडिंग के रास्तों और पाकिस्तान से जुड़े प्रशिक्षण शिविरों के सबूत अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने रखे, जिसके बाद यह कार्रवाई संभव हुई।

पाकिस्तान पर बढ़ेगा दबाव
अमेरिका के इस फैसले से टीआरएफ की वित्तीय और परिचालन क्षमता पर गहरी चोट पहुंचेगी। फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) अब टीआरएफ के वित्तीय नेटवर्क की जांच करेगा, जिससे पाकिस्तान पर फंडिंग रोकने का दबाव बढ़ेगा। अगर पाकिस्तान ने इस दिशा में कदम नहीं उठाए, तो उसे एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में वापस धकेला जा सकता है, जिससे उसकी अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर पड़ेगा। इसके अलावा, टीआरएफ से जुड़े व्यक्तियों की विदेश यात्रा पर प्रतिबंध और उनके बैंक खातों को सीज करने की प्रक्रिया शुरू होगी।

पाकिस्तान की चाल नाकाम
पाकिस्तान ने लंबे समय से आतंकवाद को नए नामों और संगठनों के जरिए बढ़ावा देने की कोशिश की है।टीआरएफ को ‘कश्मीरी प्रतिरोध’ के रूप में पेश करना भी ऐसी ही एक साजिश थी। हालांकि, भारत की कूटनीतिक पहल ने इस चाल को बेनकाब कर दिया। भारत ने 32 देशों में अपने दूतों के जरिए टीआरएफ की सच्चाई उजागर की और वैश्विक मंचों पर इसके खिलाफ कार्रवाई की मांग की। अमेरिका का यह कदम भारत की इस लड़ाई की सफलता का सबूत है।

आगे की राह
टीआरएफ को बेशक आतंकी संगठन घोषित करना एक बड़ा कदम है, लेकिन भारत का लक्ष्य अब अन्य देशों और यूएनएससी से भी इसे मान्यता दिलाना है। साथ ही, पाकिस्तान पर दबाव बनाना होगा कि वह लश्कर-ए-तैयबा और हाफिज सईद जैसे आतंकियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करे। भारत की कूटनीति ने यह साबित कर दिया है कि आतंकवाद को कोई भी नाम दे, उसकी सच्चाई को छिपाया नहीं जा सकता। यह फैसला न केवल पहलगाम हमले के पीड़ितों को न्याय दिलाने की दिशा में एक कदम है, बल्कि वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ भारत की मजबूत स्थिति को भी रेखांकित करता है।

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