पटना: बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले भारत निर्वाचन आयोग ने मतदाता सूची को अपडेट और सटीक बनाने के लिए विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान शुरू किया है। इस मुहिम के तहत मतदाताओं को 25 जुलाई 2025 तक अपने दस्तावेज जमा करने का मौका दिया गया है।
चुनाव आयोग के अनुसार, सभी योग्य मतदाताओं को गणना प्रपत्र भरकर जमा करना अनिवार्य है। आयोग ने स्पष्ट किया है कि 1 जुलाई 1987 से पहले जन्मे मतदाताओं को केवल अपना जन्म प्रमाण पत्र देना होगा। जबकि एक जुलाई 1987 से दो दिसंबर 2004 के बीच जन्मे लोगों को अपने और माता-पिता में से किसी एक का दस्तावेज जमा करना होगा।
मतदाता गणना प्रपत्र को ऑनलाइन या ऑफलाइन जमा कर सकते हैं। ऑनलाइन प्रक्रिया के लिए एप का उपयोग किया जा सकता है। बूथ लेवल ऑफिसर घर-घर जाकर प्रपत्र बांट रहे हैं और इसे भरने में सहायता प्रदान कर रहे हैं।
यदि कोई मतदाता 25 जुलाई तक दस्तावेज जमा नहीं कर पाता, तो उनके पास एक अगस्त से एक सितंबर 2025 तक दावा-आपत्ति अवधि के दौरान दस्तावेज जमा करने का अवसर होगा। अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर 2025 को प्रकाशित की जाएगी।
चुनाव आयोग ने अफवाहों पर ध्यान न देने की सलाह दी है और सभी मतदाताओं से समय पर अपने दस्तावेज जमा करने की अपील की है ताकि वे आगामी विधानसभा चुनाव में अपने मताधिकार का उपयोग कर सकें। साथ ही सलाह दी है कि वे अपने नजदीकी मतदाता सेवा केंद्र से संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए टोल-फ्री नंबर 1950 पर कॉल करें।
21 फीसदी ने जमा किया फार्म
मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के तहत रविवार की शाम 6 बजे तक 1,69, 49, 208 गणना फॉर्म एकत्र किए गए, जो कुल 7,89,69,844 (लगभग 7.90 करोड़) मतदाताओं का 21.46 प्रतिशत है। पिछले 24 घंटे में 65,32,663 गणना फॉर्म एकत्र किए गए है। अभी गणना फॉर्म जमा करने की अंतिम तिथि में 19 दिन बाकी है। वहीं, 7.25 प्रतिशत गणना फॉर्म को ईसीआई नेट पर अपलोड किया था।
आयोग ने स्पष्ट किया कि एक अगस्त, 2025 को जारी किए जाने वाले प्रारूप मतदाता सूची में उन व्यक्तियों के नाम शामिल होंगे, जिनके गणना फॉर्म प्राप्त हुए हैं। चुनाव आयोग के अनुसार मतदाता 25 जुलाई 2025 से पहले किसी भी समय अपने दस्तावेज जमा या प्रस्तुत कर सकते हैं।
प्रारूप मतदाता सूची के प्रकाशन के बाद यदि कोई दस्तावेज अपूर्ण है, तो निर्वाचन पदाधिकारी दावा आपत्ति की अवधि में जांच के दौरान मतदाताओं से उन दस्तावेजों को प्राप्त कर सकते हैं, जिनके नाम प्रारूप मतदाता सूची में शामिल है। आयोग के मुताबिक, मौजूदा मतदाताओं को दस्तावेजीकरण पूरा करने में सुविधा प्रदान करने के लिए सभी उपाय किए जा रहे हैं। इन मौजूदा मतदाताओं को पहले अपने गणना फॉर्म जमा करने के बाद भी दस्तावेज जमा करने का समय मिलेगा।
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला, सुनवाई 10 जुलाई को
विरोध के बीच विपक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया है। शीर्ष अदालत ने मतदाता सूची पुनरीक्षण पर अंतरिम रोक लगाने से इंकार कर दिया है। मामले की अगली सुनवाई बृहस्पतिवार होगी। इस मामले में वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी, शादाब फरासत और गोपाल शंकर नारायणन से तत्काल सुनवाई की मांग अदालत से की थी। इस पर अदालत ने कहा कि अभी तक चुनाव की घोषणा नहीं हुई है। ऐसे में समय सीमा की कोई वैधता नहीं है।
मतदाता सूची पुनरीक्षण पर राष्ट्रीय जनता दल ने उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर चुनाव आयोग के उस निर्णय को चुनौती दी है, जिसमें आयोग ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष सघन पुनरीक्षण यानी स्पेशल इंटेन्सिव रिविजन को तुरंत लागू करने का निर्देश दिया है। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता और सांसद डॉ. मनोज झा ने यह याचिका दायर की है। उन्होंने याचिका में कहा गया है कि एसआईआर के कुछ प्रावधानों से पार्टी के हित प्रभावित हो सकते हैं, और इस पर तत्काल रोक लगाने की आवश्यकता है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में जल्द सुनवाई की उम्मीद है।
डॉ. झा ने याचिका में यह भी तर्क दिया कि एसआईआर से संबंधित मुद्दों पर व्यापक विचार-विमर्श की जरूरत है, ताकि किसी भी पक्ष को अनुचित नुकसान न हो। राजद का कहना है कि यह कदम पार्टी के कार्यकर्ताओं और समर्थकों के हित में उठाया गया है। चुनाव आयोग ने यह आदेश विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले जारी किया है, जिससे राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। अब सभी की नजरें सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकी हैं।
मतदाता सूची पुनरीक्षण में लापरवाही, दो बीएलओ निलंबित
बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के पुनरीक्षण कार्य में लापरवाही बरतने का मामला सामने आया है। संबंधित बूथ लेवल अफसर (बीएलओ) पर मतदाता सूची में गलतियां सुधारने और नए मतदाताओं का पंजीकरण करने में ढिलाई बरतने का आरोप है। मामला संज्ञान में आने पर जिला निर्वाचन अधिकारियों ने जांच की और दोनों अधिकारियों को दोषी पाया।
जिलाधिकारी-सह-जिला निर्वाचन पदाधिकारी डॉ. त्यागराजन एसएम ने कहा है कि निर्वाचन कार्यों में किसी प्रकार की शिथिलता, लापरवाही या अनियमितता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण एक अति महत्वपूर्ण एवं समयबद्ध कार्य है, जिसमें सभी सरकारी कर्मियों की सक्रिय भागीदारी अनिवार्य है।
डीएम कार्यालय के अनुसार जिले में चल रहे मतदाता सूची पुनरीक्षण कार्य के दौरान बाल विकास परियोजना कार्यालय, पटना सदर–2 में कार्यरत आंगनबाड़ी सेविका तरन्नुम परवीन द्वारा मीडिया में दिए गए एक बयान से असमंजस की स्थिति उत्पन्न हुई थी।
प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि तरन्नुम परवीन ने स्वयं राज्य सरकार द्वारा निर्गत पहचान पत्र का उपयोग करते हुए अपना गणना प्रपत्र भर दिया है। सभी सरकारी कर्मी केंद्र/राज्य सरकार या सार्वजनिक उपक्रमों (पीएसयू) से निर्गत पहचान पत्र का उपयोग आवश्यक दस्तावेज के रूप में कर गणना प्रपत्र भर रहे हैं। दोनों बीएलओ को खुद से फार्म भरना था, लेकिन इन्होंने ऐसा नहीं किया।
मतदाता सूची पुनरीक्षण कार्य में उदासीनता, कम प्रपत्र प्रविष्टि, विशेष अभियान दिवस पर अनुपस्थिति, और वरिष्ठ अधिकारियों के आदेशों की अवहेलना जैसे गंभीर आरोपों के चलते पटना जिला निर्वाचन कार्यालय ने निर्वाचन क्षेत्र दानापुर में कार्यरत 2 बीएलओ और 2 डाटा एंट्री ऑपरेटर से स्पष्टीकरण मांगा है। संतोषजनक उत्तर नहीं मिलने पर उनके विरुद्ध भी जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी।
इनमें विनोद कुमार विकास, सहायक सांख्यिकी पदाधिकारी, नगर परिषद दानापुर निजामत और मो. जफर इकबाल, प्रखंड सांख्यिकी पदाधिकारी, दानापुर शामिल हैं। इनके विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं और इनके प्रशासनिक प्रभाग को इन्हें निलंबित करने की अनुशंसा की गई है।