नई दिल्ली: शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की रक्षा मंत्रियों की बैठक में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से साफ इंकार कर दिया। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस फैसले का पुरजोर समर्थन करते हुए भारत के आतंकवाद के खिलाफ कड़े रुख को रेखांकित किया।
जयशंकर ने बताया कि SCO का गठन ही आतंकवाद से लड़ने के उद्देश्य से हुआ था, लेकिन एक देश ने संयुक्त बयान में 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जिक्र शामिल करने से मना कर दिया, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी। राजनाथ सिंह ने स्पष्ट किया कि अगर बयान में आतंकवाद का उल्लेख नहीं होगा, तो भारत इसे स्वीकार नहीं करेगा।
SCO में सर्वसम्मति की जरूरत
जयशंकर ने कहा कि SCO सभी फैसले सर्वसम्मति से लेता है। एक देश ने आतंकवाद का जिक्र रोकने की कोशिश की, लेकिन भारत ने इस पर कड़ा रुख अपनाया। जयशंकर ने बिना किसी देश का नाम लिए कहा कि यह वही देश हो सकता है, जिसका अंदाजा लोग लगा सकते हैं। संयुक्त बयान में पहलगाम हमले को नजरअंदाज करने और बलूचिस्तान में उग्रवादी घटनाओं को शामिल करने की कोशिश को भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी नीति को कमजोर करने वाला माना। इस दोहरे रवैये को खारिज करते हुए भारत ने बयान पर हस्ताक्षर नहीं किए, जिसके चलते SCO बैठक बिना संयुक्त बयान के खत्म हुई।
ऑपरेशन सिंदूर और आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस
पहलगाम हमले का जिम्मेदार लश्कर-ए-तैयबा की सहयोगी शाखा ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) थी। इसके जवाब में भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया, जिसके तहत सीमा पार आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया। जयशंकर ने कहा कि इस कार्रवाई ने साबित किया कि आतंकवाद को पनाह देने वाले अब सुरक्षित नहीं हैं। राजनाथ सिंह ने SCO मंच पर भारत की नीति दोहराई कि आतंकवाद को किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और इसे प्रायोजित करने वालों को जवाबदेह ठहराना जरूरी है।
कूटनीति से ज्यादा राष्ट्रीय सुरक्षा
जयशंकर ने जोर देकर कहा कि भारत का यह कदम केवल कूटनीतिक विरोध नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और सिद्धांतों की रक्षा का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद और शांति साथ-साथ नहीं चल सकते। SCO जैसे संगठनों को उन देशों की खुलकर आलोचना करनी चाहिए जो आतंकवाद को अपनी नीति का हिस्सा बनाते हैं। भारत के इस दृढ़ रुख ने SCO में उसकी स्थिति को और मजबूत किया, यह दिखाते हुए कि वह आतंकवाद के खिलाफ अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं करेगा।