नई दिल्ली: वैश्विक स्तर पर ओजोन प्रदूषण (Ozone Pollution) एक गंभीर पर्यावरणीय चुनौती बन चुका है, जो मानव स्वास्थ्य, कृषि उत्पादन और जलवायु संतुलन के लिए खतरा पैदा कर रहा है। यह न केवल फसलों को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि ग्लोबल वार्मिंग को भी तेज करता है। आमतौर पर ओजोन के निर्माण के लिए मानवजनित प्रदूषकों को जिम्मेदार माना जाता है, लेकिन हाल के एक शोध में मिट्टी से होने वाले उत्सर्जन को भी इसका प्रमुख स्रोत बताया गया है।
हांगकांग पॉलिटेक्निक यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने 1980 से 2016 तक मिट्टी से निकलने वाले नाइट्रस एसिड (HONO) उत्सर्जन का विश्लेषण किया और इसे एक रसायन-जलवायु मॉडल में शामिल कर यह पता लगाया कि मिट्टी से होने वाला HONO उत्सर्जन वायुमंडल में ओजोन की मात्रा बढ़ाने और वनस्पतियों पर इसके नकारात्मक प्रभाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
मिट्टी में मौजूद सूक्ष्मजीवों की गतिविधियां और कृषि में उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग मिट्टी से विभिन्न गैसों को वायुमंडल में छोड़ता है। शोध के अनुसार, मिट्टी से निकलने वाला HONO वायुमंडल में इसके कुल मिश्रण अनुपात का लगभग 80% हिस्सा बनाता है।
HONO अन्य प्रदूषकों के साथ मिलकर ओजोन के रासायनिक निर्माण को बढ़ावा देता है और अपने पूर्ववर्ती नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) की मात्रा को बढ़ाकर ओजोन उत्पादन को और तेज करता है। शोधकर्ताओं ने विश्व के विभिन्न पारिस्थितिकी तंत्रों से मिट्टी के HONO उत्सर्जन का एक विस्तृत डेटासेट तैयार किया और इसके प्रभाव को मापने के लिए एक पैरामीटरीकरण मॉडल विकसित किया।
इस मॉडल में मिट्टी का तापमान, नमी, उर्वरकों का प्रकार, खाद की मात्रा, सूक्ष्मजीवों की गतिविधियां, भूमि उपयोग और मिट्टी की संरचना जैसे कारकों को शामिल किया गया।
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मिट्टी से HONO उत्सर्जन में वृद्धि
शोध में पाया गया कि मिट्टी से HONO उत्सर्जन 1980 में 9.4 टेराग्राम नाइट्रोजन से बढ़कर 2016 में 11.5 टेराग्राम नाइट्रोजन हो गया। रसायन-जलवायु मॉडल के जरिए इसका प्रभाव जांचने पर पता चला कि वैश्विक सतह ओजोन मिश्रण अनुपात में सालाना औसतन 2.5% की वृद्धि हुई, कुछ क्षेत्रों में यह वृद्धि 29% तक पहुंच गई। इस बढ़ोतरी से वनस्पतियों का ओजोन के संपर्क में आने का खतरा बढ़ता है, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र और खाद्य फसलों पर बुरा असर पड़ता है।
कम प्रदूषण वाले क्षेत्रों पर अधिक प्रभाव
शोध के अनुसार, मिट्टी से HONO उत्सर्जन का ओजोन मिश्रण अनुपात पर प्रभाव उन क्षेत्रों में अधिक है, जहां मानवजनित उत्सर्जन कम होता है। इसका कारण यह है कि ओजोन का निर्माण NOx और वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (VOCs) की मात्रा पर निर्भर करता है।
कम मानवजनित उत्सर्जन वाले क्षेत्रों में VOCs की मात्रा अधिक और NOx की मात्रा कम होती है, जिससे ये क्षेत्र NOx-सीमित हो जाते हैं। ऐसे में NOx की बढ़ोतरी से ओजोन का स्तर तेजी से बढ़ता है। नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित इस शोध में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन और उर्वरकों के बढ़ते उपयोग से मिट्टी के HONO उत्सर्जन में लगातार वृद्धि होगी, जो मानवजनित उत्सर्जन में कमी से होने वाले लाभ को कम कर सकती है। सतत विकास के लिए मिट्टी के उत्सर्जन को नियंत्रित करना जरूरी है।
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उन्नत मॉडलिंग और डेटासेट का उपयोग
शोधकर्ताओं ने मजबूत पैरामीटरीकरण मॉडल विकसित करने के लिए उन्नत मॉडलिंग तकनीकों और 110 प्रयोगशाला प्रयोगों से प्राप्त डेटासेट का उपयोग किया। इसमें मेर्रा-2 डेटा और अमेरिका के राष्ट्रीय वायुमंडलीय अनुसंधान केंद्र के सामुदायिक वायुमंडल मॉडल (COM-CHEM) का भी सहारा लिया गया।
शोध में सुझाव दिया गया है कि भविष्य में मिट्टी के HONO उत्सर्जन के लिए वैश्विक अवलोकन नेटवर्क का विस्तार और सूक्ष्मजीवों की भूमिका को बेहतर समझने पर ध्यान देना चाहिए। इससे ओजोन और अन्य द्वितीयक प्रदूषकों के प्रभाव का सटीक आकलन संभव होगा।
यह शोध वायु प्रदूषण नियंत्रण रणनीतियों में मिट्टी के HONO उत्सर्जन को शामिल करने की आवश्यकता पर बल देता है। जलवायु परिवर्तन और कृषि पद्धतियों के कारण बढ़ते उत्सर्जन को प्रबंधित करना पर्यावरण और खाद्य सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
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