विशाल क्षुद्रग्रह ‘2025 एनजे’ आज पृथ्वी के निकट से गुजरेगा: NASA

नासा ने घोषणा की है कि एक छोटा क्षुद्रग्रह, जिसका नाम '2025 एनजे' है और जो आकार में एक हल्के विमान के बराबर है। आज 7 जुलाई 2025 को पृथ्वी के करीब से गुजरेगा। हालांकि, यह नग्न आंखों से दिखाई नहीं देगा

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नई दिल्ली: नासा (NASA) ने घोषणा की है कि एक छोटा क्षुद्रग्रह, जिसका नाम ‘2025 एनजे’ है और जो आकार में एक हल्के विमान के बराबर है, आज 7 जुलाई 2025 को पृथ्वी के करीब से गुजरेगा। हालांकि यह नग्न आंखों से दिखाई नहीं देगा, लेकिन वैज्ञानिक इसे महत्वपूर्ण मान रहे हैं और इसकी गतिविधियों पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। नासा का ग्रह रक्षा समन्वय कार्यालय हर महीने पृथ्वी के निकट आने वाली वस्तुओं (नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट्स) और संभावित खतरों से संबंधित अपडेट जारी करता है, जिसमें क्षुद्रग्रहों और धूमकेतुओं के बारे में नवीनतम जानकारी शामिल होती है।

2025 एनजे: विशेषताएं और दूरी
नासा के अनुसार, यह क्षुद्रग्रह लगभग 85 फीट चौड़ा है और 30,000 मील प्रति घंटे की रफ्तार से अंतरिक्ष में यात्रा कर रहा है। यह पृथ्वी से लगभग 22 लाख किलोमीटर की दूरी से गुजरेगा। यद्यपि यह दूरी सामान्य दृष्टिकोण से काफी अधिक लगती है, लेकिन खगोलीय मापदंडों के अनुसार यह पृथ्वी के लिए एक नजदीकी मुठभेड़ है। नासा ने स्पष्ट किया है कि यह क्षुद्रग्रह कोई खतरा नहीं पैदा करता, क्योंकि यह खतरनाक माने जाने वाले मानदंडों—74 लाख किलोमीटर से कम दूरी और 85 मीटर से अधिक चौड़ाई—को पूरा नहीं करता। फिर भी, वैज्ञानिक इसकी कक्षा पर नजर रख रहे हैं, क्योंकि इसमें छोटे बदलाव भविष्य में इसके मार्ग को प्रभावित कर सकते हैं।

एटेन समूह का हिस्सा
‘2025 एनजे’ एटेन समूह का हिस्सा है, जिसके क्षुद्रग्रहों की कक्षाएं अक्सर पृथ्वी की कक्षा को पार करती हैं। इस तरह की अंतरिक्षीय चट्टानें वैज्ञानिकों के लिए विशेष रुचि का विषय हैं, क्योंकि इनके अध्ययन से पृथ्वी की सुरक्षा के लिए बेहतर तकनीकों और रणनीतियों का विकास हो सकता है। इस क्षुद्रग्रह का अवलोकन नासा और अन्य अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसियों को ट्रैकिंग और संभावित खतरों से निपटने की प्रणालियों को मजबूत करने में मदद करेगा।

इसरो और वैश्विक सहयोग
भारत की अंतरिक्ष एजेंसी, इसरो, भी क्षुद्रग्रहों की निगरानी और अध्ययन में सक्रिय भूमिका निभा रही है। इसरो नासा, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए), और जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (जेएक्सए) के साथ मिलकर क्षुद्रग्रहों की ट्रैकिंग और उनके संभावित खतरों से निपटने के लिए रणनीतियां विकसित कर रहा है। इसरो भविष्य में क्षुद्रग्रहों पर उतरने वाले मिशनों की योजना बना रहा है, ताकि उनकी संरचना का अध्ययन किया जा सके और रक्षा रणनीतियों का परीक्षण हो सके।

निष्कर्ष
विशेषज्ञों का मानना है कि ‘2025 एनजे’ बिना किसी खतरे के पृथ्वी के पास से गुजर जाएगा। यह घटना हमें ब्रह्मांड की विशालता और उसमें मौजूद वस्तुओं की गतिशीलता की याद दिलाती है। क्षुद्रग्रहों की निगरानी और अध्ययन न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि पृथ्वी की सुरक्षा के लिए भी आवश्यक है। वैश्विक अंतरिक्ष एजेंसियों का सहयोग और तकनीकी प्रगति भविष्य में संभावित खतरों से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

Aprajita Sharan

aprajitasharan@gmail.com

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