नई दिल्ली: जलवायु परिवर्तन (Climate Change) का असर अब दुनिया के हर कोने में साफ दिखाई दे रहा है। जहां एक ओर दक्षिण अमेरिका में हाड़ कंपा देने वाली सर्दी ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है, वहीं यूरोप और दक्षिण एशिया के कई हिस्सों में गर्मी की लहरें कहर बरपा रही हैं। पश्चिमी यूरोप, उत्तरी अफ्रीका, मध्य पूर्व और मध्य एशिया में तापमान सामान्य से कहीं अधिक दर्ज किया जा रहा है, जबकि दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों में ठंड ने ऐतिहासिक रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।
दक्षिण अमेरिका में असामान्य ठंड
चिली और अर्जेंटीना जैसे देश इस समय अभूतपूर्व ठंड की चपेट में हैं। विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण अमेरिका के दक्षिणी क्षेत्रों में तापमान शून्य से 15 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला गया है। यह स्थिति एक शक्तिशाली ध्रुवीय उच्च दबाव प्रणाली के कारण है, जिसने चिली, अर्जेंटीना, पैराग्वे और उरुग्वे जैसे देशों को अपनी चपेट में लिया है।
चिली के टेमुको में -8 डिग्री, प्योर्टो मोंट में -8.5 डिग्री और चिल्लान में -9.5 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया। अर्जेंटीना के पैटागोनिया और कुयो क्षेत्रों में तापमान -16 डिग्री तक गिर गया, जो सामान्य से 10-15 डिग्री कम है। इस ठंड की वजह से अर्जेंटीना के मार डेल प्लाटा जैसे शहर, जहां आमतौर पर सर्दियां हल्की होती हैं, भी प्रभावित हुए हैं। यहां प्राकृतिक गैस की आपूर्ति बाधित होने से हीटर का उपयोग मुश्किल हो गया, जिसके चलते स्कूल और सरकारी कार्यालयों को बंद करना पड़ा।
अटाकामा में दुर्लभ बर्फबारी
दुनिया के सबसे शुष्क रेगिस्तान, अटाकामा में 26 जून को हुई बर्फबारी ने सभी को हैरान कर दिया। चिली की एएलएमए वेधशाला, जो 2900 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स, सांता फे और कॉर्डोबा में येलो अलर्ट जारी किए गए हैं।
जनजीवन और कृषि पर प्रभाव
कड़ाके की ठंड और बर्फबारी ने चिली और अर्जेंटीना के कृषि क्षेत्रों को बुरी तरह प्रभावित किया है। सेंट्रल चिली और उत्तरी पैटागोनिया में फलों और रबी की फसलों को पाले से भारी नुकसान हुआ है। यातायात व्यवस्था भी बाधित हुई, और कई स्कूलों को बंद करना पड़ा। चिली के सैंटियागो, रानकागुआ और टाल्का जैसे शहरों में ठंडी और स्थिर हवाओं के कारण वायु गुणवत्ता खराब हो गई है। सरकार ने प्रभावित क्षेत्रों में चेतावनी जारी की है, लेकिन सटीक मौसम पूर्वानुमान के कारण अभी तक कोई जनहानि की खबर नहीं है।
यूरोप में गर्मी की मार
दूसरी ओर, यूरोप और दक्षिण एशिया में भीषण गर्मी ने हालात मुश्किल कर दिए हैं। पश्चिमी यूरोप, उत्तरी अफ्रीका और मध्य एशिया में तापमान सामान्य से काफी अधिक है। वैज्ञानिकों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम की यह चरम स्थिति और गंभीर होती जा रही है।