मासूमियत पर भारी मेहनत: Child Labour की चपेट में 14 करोड़ मासूम

इनमें से 5.4 करोड़ बच्चे ऐसे खतरनाक कार्यों में लगे हैं, जो उनकी सेहत, सुरक्षा और भविष्य को खतरे में डाल रहे हैं। ये बच्चे खेतों, कारखानों, खदानों या सड़कों पर कठिन परिस्थितियों में काम करने को मजबूर हैं।

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नई दिल्ली: मौजूदा समय में दुनिया भर में करीब 14 करोड़ बच्चे बाल मजदूरी (Child Labour) की मार झेल रहे हैं, जिनमें से 5.4 करोड़ बच्चे ऐसे खतरनाक कार्यों में लगे हैं जो उनकी सेहत, सुरक्षा और भविष्य को खतरे में डाल रहे हैं। ये बच्चे खेतों, कारखानों, खदानों या सड़कों पर कठिन परिस्थितियों में काम करने को मजबूर हैं।

यह चौंकाने वाला खुलासा अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) और यूनिसेफ की हालिया रिपोर्ट ‘बाल श्रम: वैश्विक अनुमान 2024, रुझान और भविष्य की दिशा‘ में सामने आया है, जो विश्व बाल श्रम निषेध और अंतरराष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर जारी की गई।

रिपोर्ट के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में बाल मजदूरी में कमी आई है। लेकिन, 2025 तक इसे पूरी तरह समाप्त करने का वैश्विक लक्ष्य अभी भी दूर है। आंकड़ों पर नजर डालें तो, 2020 के बाद से बाल मजदूरों की संख्या में 2.2 करोड़ की गिरावट देखी गई है। यह 2016-2020 के बीच हुई वृद्धि को कुछ हद तक नियंत्रित करने में कामयाब रही है। लेकिन, फिर भी यह प्रगति अपेक्षित लक्ष्यों से काफी पीछे है।

वर्ष 2000 में जहां 24.6 करोड़ बच्चे बाल मजदूरी में थे, वहीं अब यह संख्या घटकर 13.8 करोड़ हो गई है। हालांकि, यह कमी सकारात्मक है, लेकिन लाखों बच्चे आज भी पढ़ाई, खेल और बचपन के हक से वंचित हैं, जो उनके शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बड़ा खतरा है।

यह रिपोर्ट सुधार की उम्मीद जगाती

आईएलओ के महानिदेशक गिल्बर्ट एफ हॉन्गबो ने कहा, यह रिपोर्ट सुधार की उम्मीद जगाती है, लेकिन अभी बहुत कुछ करना बाकी है। बच्चों का स्थान स्कूलों में है, न कि काम पर। जब तक माता-पिता को सम्मानजनक रोजगार और सामाजिक सुरक्षा नहीं मिलेगी, तब तक वे मजबूरी में अपने बच्चों को काम पर भेजते रहेंगे। हमें ऐसी व्यवस्था बनानी होगी कि परिवार अपने बच्चों को पढ़ाने में सक्षम हों, न कि उन्हें खेतों या बाजारों में काम के लिए भेजें।”

कृषि क्षेत्र में सबसे ज्यादा बाल मजदूर

रिपोर्ट बताती है कि बाल मजदूरी में लगे 14 करोड़ बच्चों में से लगभग 61% कृषि कार्यों में जुटे हैं। 27% बच्चे सेवा क्षेत्र में, जैसे घरेलू काम या दुकानों में, मेहनत कर रहे हैं, जबकि 13% खनन और निर्माण जैसे जोखिम भरे उद्योगों में काम कर रहे हैं। कुछ बच्चे तपती धूप में खेतों में पसीना बहाते हैं, तो कुछ खदानों में पत्थर तोड़ते या कचरे के ढेर में जीविका की तलाश करते हैं।

क्षेत्रीय प्रगति और चुनौतियां

रिपोर्ट के अनुसार, एशिया-प्रशांत क्षेत्र में बाल मजदूरी में उल्लेखनीय कमी आई है। वहां बाल श्रम की दर 5.6% से घटकर 3.1% हो गई है, और बाल मजदूरों की संख्या 4.9 करोड़ से घटकर 2.8 करोड़ रह गई है। लैटिन अमेरिका और कैरेबियन क्षेत्र में भी 8% की कमी दर्ज की गई है, और बाल मजदूरों की संख्या में 11% की गिरावट आई है।

हालांकि, उप-सहारा अफ्रीका की स्थिति सबसे चिंताजनक है, जहां 8.7 करोड़ बच्चे बाल मजदूरी में हैं, जो वैश्विक आंकड़े का दो-तिहाई हिस्सा है। वहां बाल श्रम की दर 23.9% से घटकर 21.5% हुई है, लेकिन जनसंख्या वृद्धि के कारण यह प्रगति कमजोर पड़ रही है। यूनिसेफ की प्रमुख कैथरीन रसेल ने कहा, बाल मजदूरी रोकने के लिए सख्त कानून, बेहतर सामाजिक सुरक्षा, मुफ्त शिक्षा और वयस्कों के लिए सम्मानजनक रोजगार जरूरी हैं। अगर वैश्विक फंडिंग में कमी आई, तो अब तक की प्रगति खतरे में पड़ सकती है।

समाधान की राह

आईएलओ और यूनिसेफ ने सरकारों से आग्रह किया है कि वे बाल मजदूरी उन्मूलन के लिए ठोस कदम उठाएं। इसके लिए कमजोर परिवारों को सामाजिक सुरक्षा और बच्चों को यूनिवर्सल बेनिफिट्स प्रदान किए जाएं, ताकि वे काम पर न भेजे जाएं। शिक्षा तक मुफ्त और गुणवत्तापूर्ण पहुंच, खासकर ग्रामीण और संकटग्रस्त क्षेत्रों में, सुनिश्चित की जाए।

साथ ही, वयस्कों और युवाओं को सम्मानजनक रोजगार और संगठन बनाने की स्वतंत्रता दी जाए। सप्लाई चेन में बच्चों के शोषण पर सख्ती और कानूनों का कड़ाई से पालन भी जरूरी है। यह खबर बच्चों के बचपन को बचाने की जरूरत को रेखांकित करती है, ताकि उनकी मासूमियत मेहनत की भेंट न चढ़े।

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