नई दिल्ली: वैश्विक स्तर पर बुजुर्गों में त्वचा कैंसर के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है। चीन की चोंगकिंग मेडिकल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक हालिया अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है। शोध के अनुसार, यह वृद्धि मुख्य रूप से बढ़ती उम्रदराज आबादी के कारण है। विशेष रूप से, पुरुषों में यह बीमारी महिलाओं की तुलना में लगभग दोगुना प्रभाव डाल रही है।
1990 से 2021 तक के आंकड़ों का विश्लेषण
अध्ययन जर्नल जामा डर्मेटोलॉजी में प्रकाशित किया गया है। शोधकर्ताओं ने ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज डेटाबेस का उपयोग करते हुए 1990 से 2021 तक के आंकड़ों का विश्लेषण किया। इसका उद्देश्य यह समझना था कि मेलानोमा, स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा और बेसल सेल कार्सिनोमा जैसे त्वचा कैंसर 65 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों को विश्व स्तर पर कैसे प्रभावित कर रहे हैं। त्वचा कैंसर पहले से ही इलाज के लिहाज से सबसे महंगे कैंसरों में से एक है।
पराबैंगनी किरणों का बढ़ता खतरा
जैसे-जैसे वैश्विक आबादी में बुजुर्गों की संख्या बढ़ रही है, सूरज की पराबैंगनी (UV) किरणों से होने वाला नुकसान भी बढ़ रहा है। पूर्व के शोध बताते हैं कि त्वचा कैंसर के नए मामलों में लगभग 75% मरीज 65 वर्ष से अधिक उम्र के होते हैं। हालांकि, इस आयु वर्ग में बीमारी के बढ़ते रुझान को लेकर वैश्विक आंकड़े अभी भी सीमित हैं।
204 देशों में अध्ययन, चौंकाने वाले नतीजे
शोध में 204 देशों और क्षेत्रों को शामिल किया गया। आंकड़ों से पता चला कि 2021 में केवल बुजुर्गों में त्वचा कैंसर के लगभग 44 लाख नए मामले दर्ज किए गए। अध्ययन में यह भी सामने आया कि स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा के मामले 1990 से हर साल औसतन 2% की दर से बढ़े हैं, यानी 35 वर्षों में यह दर लगभग दोगुनी हो गई। इसी तरह, बेसल सेल कार्सिनोमा और मेलानोमा के मामलों में भी लगातार वृद्धि देखी गई। 2021 में त्वचा कैंसर के लाखों नए मामले सामने आए, जिसके कारण हजारों लोगों ने अपने स्वस्थ जीवन के वर्ष खो दिए।
स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा से बुजुर्गों को सबसे ज्यादा नुकसान
शोध के आंकड़ों के अनुसार, 2021 में त्वचा कैंसर के तीन प्रमुख प्रकारों में स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा ने सबसे अधिक क्षति पहुंचाई। प्रति लाख लोगों में इस बीमारी के लगभग 237 मामले सामने आए। मृत्यु दर की बात करें तो यह 6.16 प्रति लाख रही। इसके अलावा, इस रोग के कारण प्रति लाख लोगों में 95.5 स्वस्थ जीवन वर्षों का नुकसान दर्ज किया गया।
बेसल सेल कार्सिनोमा का प्रसार सर्वाधिक
बेसल सेल कार्सिनोमा के मामले सबसे अधिक देखे गए, जिसमें प्रति लाख आबादी में लगभग 372 नए मामले सामने आए। अध्ययन में यह भी पाया गया कि त्वचा कैंसर का प्रभाव पुरुषों में महिलाओं की तुलना में दोगुना है। इसके अलावा, सामाजिक-आर्थिक रूप से विकसित देशों में इस बीमारी के मामले सबसे अधिक दर्ज किए गए। शोधकर्ताओं ने बताया कि पिछले तीन दशकों में त्वचा कैंसर के मामलों में वृद्धि का कारण केवल उम्रदराज आबादी ही नहीं, बल्कि कुल आबादी में वृद्धि भी है।