आइये, किचन गार्डन से कम करें घर का खर्च

लॉन या गमलों में सब्जियां उगाकर आप सेहत का भी ख्याल रख सकते हैं। थोड़ी सी मेहनत के बाद शरीर को भरपूर पोषक तत्व मिलने का रास्ता खुल जाता है। इसमें खर्च भी ज्यादा नहीं आता। वरिष्ठ पत्रकार पंकज तोमर किचन गार्डन के आधुनिक तरीके पर बात कर रहे हैं। आइए, समझते हैं...

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नई दिल्ली: यदि आप गार्डनिंग का शौक रखते हैं तो यह खबर आपके लिए बेहद लाभकारी साबित हो सकती है। वह इसलिए कि मामूली सी मेहनत आपकी सेहत भी दुरुस्त रखती है, घर का खर्च भी इससे कम हो जाता है। किचन गार्डन से शरीर को भरपूर पोषक तत्व मिलने शुरू हो जाएंगे। अप्रत्याशित रूप से आपको अपने अंदर परिवर्तन नजर आएगा।

जी हां, हम बात कर रहे हैं घर के लॉन या गमलों में सब्जियां उगाने की। बेमौसम की सब्जियां भी आपकी थाली के जायके को बढ़ा देंगी। मंडियों में मिलने वाली ज्यादातर सब्जियां हाइब्रिड होती हैं, जिन्हें जल्दी से जल्दी लेने के लिए अंधाधुंध केमिकल और खाद डाला जाता है। इससे न सिर्फ सब्जियों के पोषक तत्व लगभग खत्म हो जाते हैं, बल्कि आपकी सेहत पर भी गंभीर दुष्प्रभाव पड़ता है।

मिट्टी का सही चयन जरूरी

घर में सब्जियां उगाने से पहले मिट्टी का सही चयन करना बेहद जरूरी है। यदि आपके घर के आसपास खाली जमीन या अंदर लॉन है तो वहां सब्जियां उगाई जा सकती है। बड़े गमलों में भी इनकी उपज की जा सकती है। सबसे पहले ध्यान देना होगा कि मिट्टी ज्यादा दलदली, ठोस या रेतीली न हो। भुरभुरी मिट्टी सब्जियों के लिए वरदान साबित होती है। पौध लगाने से पहले मिट्टी में पानी देना चाहिए और दो दिन बाद उसे फावड़े की मदद से खोदना जरूरी है। मिट्टी को भुरभुरी करने के लिए पाटा लगाया जाए। इसके बाद गोबर या केंचुए की खाद डाली जाए।

बेमौसमी सब्जियां बढ़ाती हैं जायका

अपने घर के किचन गार्डन में साल में डेढ़ दर्जन से अधिक सब्जियां उगाते हैं। फिलहाल उनकी क्यारी में शिमला मिर्च, पत्ता गोभी, फूल गोली, पुदीना, करी पत्ता, धनिया, बैंगन, टमाटर, हरी मिर्च, लौकी, तुरई, सीताफल, प्याज और लहसुन है। कुछ दिन पहले उन्होंने आलू की भी फसल ली। अक्सर गर्मी के सीजन में गाजर व मूली नहीं मिलती है, लेकिन उनकी क्यारी में फिलहाल ये दोनों भी है। यानी बेमौसमी सब्जी जायका बढ़ा रही है।

सप्ताह में सिर्फ दो घंटे की मेहनत

इन सब्जियों को वह सप्ताह में दो घंटे देते हैं। उनके बीच उगने वाली घास उखाड़ते हैं और पानी देते हैं। सब्जियों का सही उत्पादन लेने के लिए धूप का होना बेहद जरूरी है। जब तक पौधों को धूप नहीं लगेगी तो सब्जियां भी नहीं आएगी। इसलिए किचन गार्डन बनाते समय धूप का भी ध्यान रखें।

हर माह तीन हजार रुपये तक की बचत

किचन गार्डन से घर में सब्जियों का बजट अलग से होता था। एक माह में तीन हजार से ज्यादा रुपये की सब्जियां आती थीं और वह भी हाईब्रिड वाली, लेकिन अब सब्जियों का खर्च लगभग शून्य हो गया है। मनपसंद सब्जियां घर में ही उगने से परिवार भी खुश रहता है। उनके लिए यह खेती मनोरंजन का साधन भी है। अक्सर सुबह-शाम परिजन किचन गार्डन में समय बिताकर सुकून का अहसास करते हैं।

जहरीली सब्जियों से मिली मुक्ति

इससे जहरीली सब्जियों से पूरी तरह मुक्ति मिल गई है। किसान खेती को जल्द से जल्द लेने के लिए तमाम तरह के कीटनाशकों का उपयोग करते हैं, जिससे जहर के अंश सब्जियों में भी चले जाते हैं। उन्हें कितना भी धो लें, लेकिन वह अंश जायके को बिगाड़ देते हैं। घर में सब्जियां होने से स्वाद भी कई गुना बढ़ गया है।

आमदनी का जरिया

सब्जियां उगाना आमदनी का भी अच्छा स्रोत है। पिछले साल जब प्याज 100 रुपये प्रति किलो से ज्यादा बिक रहा था उस समय उनके पास तीन कुंतल प्याज हुए थे। उन्होंने अपनी जरूरत का प्याज रखकर बाकी बेच दिया, जिससे उन्हें अच्छी आय भी मिल गई। इसी तरह टमाटर, गोभी और आलू महंगा हुआ था तो उन्होंने बिना रुपये खर्च किए इनका स्वाद लिया।

एक पौधे से 5 से 10 किलो तक टमाटर

एक पौधे से 5 से 10 किलो तक टमाटर लिए हैं। किसी भी सब्जी को उगाने के लिए गोबर और केंचुए की खाद का इस्तेमाल किया जाए। इससे उत्पादन अच्छा होता है और पोषक तत्व भी भरपूर मिल जाते हैं। यदि खाली जमीन नहीं है तो गमलों में भी टमाटर, शिमला मिर्च, हरी मिर्च के पौधे लगाए जा सकते हैं। तुरई और ककड़ी की बेल भी गमलों में हो जाती है।

20 फीट से ऊंचा मनी प्लांट

घर में सुख-समृद्धि के लिए लोग मनी प्लांट को लगाते हैं, लेकिन इसकी ऊंचाई 20 फीट से अधिक है। करीब छह का यह मनी प्लांट खजूर के पेड़ की चोटी तक चढ़ा हुआ है। दावा किया कि इतना बड़ा मनी प्लांट उन्होंने कभी नहीं देखा।

अमरूद, पत्थर बेल और जामुन भी

किचन गार्डन में अमरूद, पत्थर बेल और जामुन के भी पेड़ हैं। बड़ेपेड़ों को दीमक आदि से बचाने के लिए वह हर तीन माह में कीटनाशक दवा का छिड़काव करते हैं। बाकी किसी भी सब्जी पर कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।

तुलसी और मरुआ का इस्तेमाल

तुलसी और मरुआ जैसे औषधीय पौधे खांसी, जुकाम, ऐंठन, अवसाद, उदर विकार आदि रोगों को ठीक करने के लिए इन पौधों के पत्तों की चटनी का इस्तेमाल करते हैं। तुलसी के पत्ते वाली चाय की चुस्कियां भी लेते हैं।

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Suman

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