Israel-Iran conflict: क्या है Strait of Hormuz? जो दुनिया के लिए बना हुआ है आर्थिक संकट का खतरा

ईरान ने चेतावनी दी है कि यदि इजराइल उस पर बड़े पैमाने पर सैन्य हमला करता है या अमेरिका नए प्रतिबंध लगाता है, तो वह होर्मुज जलडमरूमध्य (Strait Of Hormuz) को बंद कर सकता है। यह धमकी भारत के लिए गंभीर चिंता का कारण बन गई है, क्योंकि इस संकरे समुद्री मार्ग के बंद होने से भारत की अर्थव्यवस्था, ऊर्जा सुरक्षा और व्यापार पर गहरा असर पड़ सकता है।

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नई दिल्ली: ईरान और इजराइल (Israel-Iran conflict) के बीच बढ़ता तनाव अब वैश्विक स्तर पर चिंता का विषय बन रहा है। ईरान ने चेतावनी दी है कि यदि इजराइल उस पर बड़े पैमाने पर सैन्य हमला करता है या अमेरिका नए प्रतिबंध लगाता है, तो वह होर्मुज जलडमरूमध्य (Strait Of Hormuz) को बंद कर सकता है। यह धमकी भारत के लिए गंभीर चिंता का कारण बन गई है, क्योंकि इस संकरे समुद्री मार्ग के बंद होने से भारत की अर्थव्यवस्था, ऊर्जा सुरक्षा और व्यापार पर गहरा असर पड़ सकता है।

Strait Of Hormuz का महत्व

होर्मुज जलडमरूमध्य, जो ईरान और ओमान के बीच स्थित है, फारस की खाड़ी को अरब सागर और ओमान की खाड़ी से जोड़ता है। यह दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों में से एक है, जिसके जरिए वैश्विक कच्चे तेल का लगभग 20-25% हिस्सा और कतर से तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) की आपूर्ति होती है। 2023 के आंकड़ों के अनुसार, इस मार्ग से प्रतिदिन लगभग 1.7 करोड़ बैरल तेल का परिवहन होता है। सऊदी अरब, इराक, यूएई, कुवैत और ईरान जैसे देश इस मार्ग के जरिए तेल निर्यात करते हैं।

भारत पर क्या होगा असर?

भारत अपनी कच्चे तेल की जरूरतों का करीब 85% आयात करता है, जिसमें से अधिकांश हिस्सा फारस की खाड़ी के देशों से आता है। यदि होर्मुज जलडमरूमध्य बंद होता है, तो भारत को निम्नलिखित चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है:

ऊर्जा संकट और महंगाई:

तेल और गैस की आपूर्ति बाधित होने से भारत में पेट्रोल, डीजल और अन्य ईंधनों की कीमतें बढ़ सकती हैं। इससे परिवहन और विनिर्माण लागत बढ़ेगी, जिसका सीधा असर आम जनता पर पड़ेगा और महंगाई में उछाल आ सकता है। भारत के पास सीमित रणनीतिक तेल भंडार (Strategic Petroleum Reserves) हैं, जो लंबे समय तक आपूर्ति बाधा को संभाल नहीं पाएंगे।

आर्थिक नुकसान:

तेल की बढ़ती कीमतों और आपूर्ति की कमी से औद्योगिक उत्पादन प्रभावित होगा, जिससे भारत की आर्थिक वृद्धि दर पर असर पड़ सकता है। इसके अलावा, भारत का मध्य पूर्व के देशों के साथ व्यापार, जैसे टेक्सटाइल, फार्मास्यूटिकल्स और चावल का निर्यात, बाधित हो सकता है। आयात बिल बढ़ने से व्यापार घाटा भी बढ़ेगा।

वैकल्पिक मार्गों की चुनौती:

होर्मुज जलडमरूमध्य बंद होने पर भारत को फुजैराह (यूएई) जैसे वैकल्पिक बंदरगाहों पर निर्भर होना पड़ सकता है। ये मार्ग लंबे और महंगे हैं, जिससे शिपिंग लागत और समय बढ़ेगा। इससे उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि होगी और कार्बन उत्सर्जन भी बढ़ सकता है, जो भारत की पर्यावरणीय नीतियों के लिए नुकसानदायक होगा।

कूटनीतिक चुनौतियां:

भारत, जो मध्य पूर्व में तटस्थ नीति अपनाता है, को ईरान, सऊदी अरब और इजराइल जैसे देशों के साथ अपने संबंधों को संतुलित करने में मुश्किल हो सकती है। क्षेत्रीय तनाव बढ़ने से भारत की कूटनीतिक स्थिति जटिल हो सकती है।

भारत के पास क्या विकल्प?

इस संकट से निपटने के लिए भारत कुछ कदम उठा सकता है:  

रणनीतिक तेल भंडार का उपयोग: भारत अपने सीमित तेल भंडार का इस्तेमाल कर सकता है, लेकिन यह केवल अल्पकालिक राहत देगा।  

वैकल्पिक आपूर्तिकर्ता: रूस, नाइजीरिया और वेनेजुएला जैसे देशों से तेल आयात बढ़ाया जा सकता है, हालांकि ये मार्ग भी महंगे और समय लेने वाले हैं।  

नवीकरणीय ऊर्जा पर जोर: सौर और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय स्रोतों में निवेश बढ़ाकर भारत अपनी तेल निर्भरता को कम कर सकता है।  

कूटनीतिक प्रयास: भारत को क्षेत्रीय तनाव को कम करने के लिए मध्य पूर्व के देशों के साथ सक्रिय कूटनीति अपनानी होगी।

होर्मुज जलडमरूमध्य का बंद होना भारत के लिए ऊर्जा संकट, महंगाई और आर्थिक मंदी का कारण बन सकता है। इस स्थिति से बचने के लिए भारत को तत्काल और दीर्घकालिक रणनीतियों पर काम करना होगा। साथ ही, वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए कूटनीतिक प्रयासों को और मजबूत करना होगा।

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