नई दिल्ली: ईरान और इजरायल (Israel-Iran War) के बीच रविवार अमेरिका द्वारा ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर किए गए हमलों के बाद तनाव और बढ़ गया है। इसके जवाब में ईरान ने सोमवार (23 जून 2025) को इजरायल पर बड़े पैमाने पर मिसाइल हमले किए, जबकि इजरायल ने तेहरान सहित ईरान के कई शहरों पर जवाबी हमले किए। इस बीच, चीन ने अमेरिकी हमलों की कड़ी निंदा की है और सभी पक्षों से तनाव कम करने की अपील की है। साथ ही, चीन ने अमेरिका को चेतावनी दी है कि इन हमलों के गंभीर वैश्विक परिणाम हो सकते हैं। चीन को ईरान का समर्थक माना जाता है, और रूस व उत्तर कोरिया भी इस मामले में ईरान के पक्ष में हैं।
इसी दौरान, चीन में सोशल मीडिया पर चीनी बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम HQ-29 को लेकर चर्चा तेज हो गई है। खबरों के मुताबिक, यह उन्नत प्रणाली जल्द ही सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित की जा सकती है। एक वायरल वीडियो में छह पहियों वाले ट्रक पर दो बड़े मिसाइल कनस्तरों को बीजिंग की ओर ले जाते हुए देखा गया, जिनका व्यास लगभग 1.5 मीटर है। माना जा रहा है कि यह सिस्टम द्वितीय विश्व युद्ध की 80वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में सितंबर 2025 में बीजिंग की सैन्य परेड में पहली बार प्रदर्शित हो सकता है।
HQ-29 डिफेंस सिस्टम क्या है?
HQ-29 (जिसे HQ-26 के नाम से भी जाना जाता है) एक अत्याधुनिक एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम है, जिसे चीन ने विकसित किया है। यह प्रणाली अन्य चीनी मिसाइल रक्षा प्रणालियों, जैसे HQ-19, से कहीं अधिक उन्नत मानी जाती है। इसकी तुलना अमेरिका के टर्मिनल हाई एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस (THAAD) सिस्टम से की जाती है।
HQ-29 की खासियत इसकी एंटी-सैटेलाइट क्षमता है, जो इसे मिसाइलों और निम्न-कक्षा (लो ऑर्बिट) उपग्रहों, दोनों को निशाना बनाने में सक्षम बनाती है। यह सिस्टम 500 किलोमीटर से अधिक ऊंचाई पर पृथ्वी के वायुमंडल के बाहर लक्ष्यों को भेद सकता है। हालांकि, चीनी अधिकारियों ने अभी तक इस सिस्टम की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है, लेकिन यह माना जा रहा है कि यह चीन की अंतरिक्ष और जमीनी रक्षा क्षमताओं को एकीकृत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
पृथ्वी के वायुमंडल के बाहर लक्ष्य भेदने की क्षमता
विश्लेषकों का कहना है कि HQ-29 को विशेष रूप से मध्य-मार्ग (मिड-कोर्स) इंटरसेप्शन के लिए डिज़ाइन किया गया है, यानी यह बैलिस्टिक मिसाइलों को उनके उड़ान पथ के मध्य चरण में, वायुमंडल के बाहर नष्ट कर सकता है। सैन्य विशेषज्ञों के अनुसार, इसकी दोहरे-कैनिस्टर डिज़ाइन और उच्च गति वाली मिसाइलें इसे अमेरिका के ग्राउंड-बेस्ड इंटरसेप्टर और रूस के न्यूडोल सिस्टम के समकक्ष बनाती हैं। यह सिस्टम छोटी और मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों से लेकर अंतरिक्ष में मौजूद खतरों को नष्ट करने में सक्षम है। चीन ने 2010 से लगातार मिड-कोर्स इंटरसेप्शन का परीक्षण किया है, जो उसकी रणनीतिक ताकत को दर्शाता है।
चीन की त्रि-स्तरीय मिसाइल रक्षा प्रणाली
चीन की मिसाइल रक्षा प्रणाली तीन स्तरों पर काम करती है:
एक्सोएटमॉस्फेरिक परत: डीएन-1 और डीएन-2 जैसे गतिज इंटरसेप्टर इस परत को संभालते हैं, जो वायुमंडल के बाहर खतरों को नष्ट करते हैं।
मध्य परत: HQ-19 और HQ-26 इस स्तर पर मिसाइलों को रोकते हैं।
टर्मिनल परत: HQ-9B और HQ-29 जैसी प्रणालियां निचले स्तर पर मिसाइलों को नष्ट करती हैं।
चीन में HQ-29 की चर्चा क्यों?
ईरान-इजरायल युद्ध और अमेरिकी हस्तक्षेप के बीच HQ-29 की चर्चा का बढ़ना इस बात का संकेत है कि चीन अपनी रक्षा क्षमताओं को प्रदर्शित कर वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति मजबूत करना चाहता है। यह सिस्टम न केवल बैलिस्टिक मिसाइलों, बल्कि अंतरिक्ष-आधारित खतरों को भी नष्ट करने में सक्षम है, जो इसे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बनाता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह सिस्टम क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा गतिशीलता को प्रभावित कर सकता है, खासकर तब जब तनावग्रस्त क्षेत्रों में मिसाइल और अंतरिक्ष युद्ध की संभावना बढ़ रही है। चीन की यह रणनीति न केवल उसकी रक्षा क्षमताओं को मजबूत करती है, बल्कि वैश्विक शक्ति संतुलन में उसकी स्थिति को भी रेखांकित करती है।