Ceasefire… भारी पड़ रहा Israel-Iran Conflict

इजराइल और ईरान के बीच जारी युद्ध इजराइल के लिए आर्थिक और सामरिक रूप से बेहद महंगा साबित हो रहा है। एक ओर जहां इजराइली हथियार और संसाधन नष्ट हो रहे हैं, वहीं दूसरी ओर ईरान के ड्रोन और मिसाइलों को निष्क्रिय करने में हर दिन अरबों रुपये खर्च हो रहे हैं।

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नई दिल्ली: इजराइल-ईरान संघर्ष के 12वें दिन मंगलवार इजराइली सरकार ने कहा कि वह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के युद्ध विराम के प्रस्ताव पर सहमत है। साथ में युद्ध विराम के उल्लंघन का इजराइल पुरजोर जवाब देगा।

इससे पहले राष्ट्रपति ट्रंप ने सोशल मीडिया पर इजराइल-ईरान के बीच के बीच युद्ध विराम की घोषणा की। दूसरी पोस्ट में उन्होंने लिखा, अब युद्ध विराम हो गया है। कृपया इसका उल्लंघन न करें।

राष्ट्रपति ट्रंप की घोषणा के बाद ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरागजी ने कहा, अभी क किसी भी तरह का संघर्ष विराम या सैन्य कार्रवाई रोकने का कोई समझौता नहीं हुआ है। लेकिन अगर इजराइली हुकूमत ईरानी समय के अनुसार सुबह 4 बजे तक ईरान के ​खिलाफ अपनी गैरकानूनी जंग रोक देती है तो हमारा जवाबी हमला जारी रखने का कोई इरादा नहीं है।

महंगी पड़ी जंग

इस सबके बीच युद्ध इजराइल के लिए आर्थिक और सामरिक रूप से महंगा साबित हुआ है। एक ओर जहां इजराइली हथियार और संसाधन नष्ट हो रहे हैं, वहीं दूसरी ओर ईरान के ड्रोन और मिसाइलों को निष्क्रिय करने में हर दिन अरबों रुपये खर्च हो रहे हैं। सबसे बड़ी चुनौती यह है कि इजराइल के पास इतनी वायु रक्षा मिसाइलें नहीं हैं कि वह लंबे समय तक इस युद्ध को जारी रख सके। इस संकट के बीच अमेरिका ने एक बार फिर इजराइल की मदद की है और 14 कार्गो विमानों के जरिए हथियारों की आपूर्ति की है।

हर हमले और बचाव के साथ इजराइल पर आर्थिक बोझ बढ़ता जा रहा है। वायु रक्षा प्रणाली पर रोजाना करीब 17 अरब रुपये का खर्च हो रहा है। इजराइल की ‘एरो’ मिसाइल की कीमत लगभग 16 करोड़ रुपये और ‘डेविडस्लिंग’ मिसाइल की कीमत करीब 8 करोड़ रुपये है। ईरान के सस्ते ड्रोन और बैलिस्टिक मिसाइलों को रोकने के लिए इन महंगी मिसाइलों का इस्तेमाल इजराइल की अर्थव्यवस्था पर भारी पड़ रहा है।

गाजा के बाद ईरान युद्ध ने बढ़ाया खर्च

पिछले साल 2024 में गाजा अभियान पर इजराइल ने 67 अरब डॉलर खर्च किए थे। अब ईरान के साथ युद्ध में हर दिन लगभग 6,000 करोड़ रुपये का खर्च हो रहा है। इसमें ईंधन और हथियारों पर रोजाना 2,500 करोड़ रुपये से अधिक की लागत शामिल है। इजराइल के वित्त मंत्रालय के अनुसार, जब एक लाख सैनिक तैनात होते हैं, तो उनके वेतन और अन्य जरूरतों पर प्रतिदिन 270 करोड़ रुपये खर्च होते हैं। इस भारी खर्च के कारण इजराइल में वायु रक्षा मिसाइलों की भारी कमी हो गई है।

अमेरिका और जर्मनी से हथियारों की आपूर्ति

इस कमी को पूरा करने के लिए अमेरिका और जर्मनी ने इजराइल को हथियारों की नई खेप भेजी है। हाल ही में 14 कार्गो विमान इजराइल पहुंचे हैं, जो हथियारों से लदे थे। गाजा अभियान शुरू होने के बाद से अब तक 800 से अधिक कार्गो विमान इजराइल में हथियार पहुंचा चुके हैं। हालांकि, इन विमानों में कौन से हथियार हैं, इसकी विस्तृत जानकारी नहीं दी गई है, लेकिन माना जा रहा है कि वायु रक्षा प्रणाली को मजबूत करने पर जोर दिया जा रहा है।

अमेरिकी रिपोर्ट्स के मुताबिक, इजराइल अपनी ‘एरो-3’ मिसाइलों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल कर रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर युद्ध लंबा खिंचा, तो इन मिसाइलों की कमी इजराइल के लिए गंभीर समस्या बन सकती है। ईरान की बैलिस्टिक मिसाइलों को रोकने की क्षमता कम हो सकती है। अमेरिका ने इस खतरे को देखते हुए अपनी नौसेना की तैनाती बढ़ाई है, ताकि इजराइल को हवाई सुरक्षा प्रदान की जा सके।

ड्रोन हमलों से बढ़ी मुश्किल

ईरान के सस्ते ड्रोन हमलों ने इजराइल की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। इन ड्रोनों को नष्ट करने के लिए इजराइल फाइटर जेट और हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों का इस्तेमाल कर रहा है। अगर ईरान ड्रोन हमले जारी रखता है, तो इजराइल के पास इन मिसाइलों की भी कमी हो सकती है। इस युद्ध ने न केवल इजराइल की सैन्य तैयारियों को चुनौती दी है, बल्कि उसकी आर्थिक स्थिरता को भी खतरे में डाल दिया है।

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