नई दिल्ली: बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने चार जून को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दो पन्नों का पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने आरक्षण का दायरा बढ़ाकर 85 प्रतिशत करने की मांग की मुख्यमंत्री से की थी।
इसकी जानकादी देते हुए तेजस्वी यादव ने बताया कि नीतीश के पास उनके पत्र का जवाब ही नहीं है। उनके अधिकारी उनको पत्र दिखाते ही नहीं है।
तेजस्वी ने लिखा है, सामाजिक न्याय का ढोल पीटने वाले ऐसे दल, जिनके बलबूते मोदी सरकार चल रही है वो हमारी सरकार की तरफ से बढ़ाई गयी 65 फीसदी आरक्षण सीमा को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल कराने में असफल क्यों है? मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान, जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा को दलित, आदिवासी, पिछड़ा-अति पिछड़ा वर्गों की इस हकमारी के खिलाफ आरक्षण पर मुंह खोलना चाहिए। सिर्फ कुर्सी से चिपके रहने के लिए राजनीति नहीं होती है।
तेजस्वी ने आगे लिखा है, अगर प्रधानमंत्री से यह सब लोग इस छोटी सी मांग को भी पूरा नहीं करा सकते हैं, तो इनका अपनी राजनीति एवं ऐसे गठबंधन में रहना धिक्कार है। अगर नीतीश कुमार, प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के सामने इस विषय पर कुछ बोलने में असमर्थ है, तो उन्हें विधानसभा का एक दिन का विशेष सत्र बुलाना चाहिए फिर देखिए कैसे हम इसे लागू कराते हैं।
सीएम को हकमारी के खिलाफ मुंह खोलना चाहिए
पत्र में तेजस्वी यादव ने लिखा है कि केंद्र में मोदी सरकार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बलबूते ही मोदी सरकार चल रही है। पर नीतीश कुमार सिर्फ कुर्सी से चिपके रहने के लिए राजनीति करते है। पत्र में जदयू पर हमला बोलते हुए लिखा था कि दलित-आदिवासी, पिछड़ा-अति पिछड़ा वर्गों का वोट लेकर RSS-BJP की पालकी ढो रहे अवसरवादी सुविधाभोगी नेताओं को भी बिहार की न्यायप्रिय जनता के साथ अच्छे से समझेंगे।
चिराग व मांझी को भी नहीं छोड़ा
तेजस्वी यादव ने इस मामले में केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान, जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा को भी नहीं छोड़ा। उनके मुताबिक, इन लोगों को दलित, आदिवासी, पिछड़ा-अति पिछड़ा वर्ग की इस हकमारी के खिलाफ आरक्षण पर मुंह खोलना चाहिए।