युद्ध… जो मानवता को बर्बर ​स्थिति में पहुंचा सकता है

इजराइल-ईरान युद्ध में अमेरिका की इंट्री से युद्ध क्षेत्र का विस्तार हो गया है। ईरान ने भी सोमवार जवाबी हमला किया है। हालात तीसरे विश्व युद्ध सरीखे बन रहे हैं। इस संबंध में एक पत्र मौजूं हो जाता है, जो महात्मा गांधी ने कभी हिटलर को लिखा था। हालांकि, वह पत्र हिटलर को मिल नहीं सका था।

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इस पत्र के बहाने हमें गांधीजी के लिए गांधीजी को नहीं याद रखना है, हमें अपने, अपनी आने वाली पीढि़यों के लिए गांधीजी को याद रखना है। मौजूदा दौर में तो और भी, जब युद्ध जनित त्रासदी हम देख रहे हैं। और दुनिया तीसरे विश्व युद्ध के मुहाने पर आ खड़ी हुई है। संकट पूरी मानवता पर आन पड़ा है।

आते हैं गांधीजी ने पत्र पर, जिसे उन्होंने अपने मित्रों के कहने पर लिखा था। इसका जिक्र वह अंग्रेजी में लिखे मूल पत्र की शुरुआती लाइन में ही कर देते हैं। 1939 में पत्र लिखने के एक महीने के अंदर एक सितंबर को जर्मनी ने पोलैंड पर हमला बोल दिया था। और आगे दुनिया दूसरे विश्व युद्ध की तपिश में झुलसी थी।

  • हिटलर को लिखा पूरा पत्र पढ़ें

प्रिय दोस्त,

मेरे मित्र मुझसे गुजारिश करते हैं कि मैं मानवता के वास्ते आपको खत लिखूं। लेकिन मैं उनके अनुरोध को टालता रहा हूं। वह यूं कि मुझे लगता है कि मेरी ओर से कोई पत्र भेजा गुस्ताखी होगी।

हालांकि, कुछ ऐसा है, जिसकी वजह से मुझे लगता है कि मुझे हिसाब-किताब नहीं करना चाहिए और आपसे यह अपील करनी चाहिए, चाहे इसका जो भी महत्व हो।

यह बिल्कुल साफ है कि इस वक्त दुनिया में आप ही एक शख्स हैं, जो उस युद्ध को रोक सकते हैं, जो मानवता को बर्बर ​स्थिति में पहुंचा सकता है। चाहे वो लक्ष्य आपको कितना भी मूल्यवान प्रतीत हो, क्या आप उसके लिए यह कीमत चुकाना चाहेंगे?

क्या आप एक ऐसे शख्स की अपील पर ध्यान देना चाहेंगे, जिसने किसी उल्लेखनीय सफलता के बावजूद जगजाहिर तौर पर युद्ध के तरीके को खारिज किया है? बहरहाल, अगर मैंने आपको खत लिखकर गुस्ताखी की है तो मैं आपसे क्षमा की अपेक्षा करता हूं।

आपका दोस्त

एमके गांधी

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