
आओ सीखें, पंच परमेश्वर बनने के गुर
पंच परमेश्वर मुंशी प्रेमचंद की कालजयी रचना है। इसकी सीख इतनी भर है कि इंसाफ के सामने दोस्ती, भाईचारा या किसी भी तरह का संबंध आड़े नहीं आने चाहिए। यह बड़ी जिम्मेदारी है कि इंसाफ करते वक्त हम हमेशा निष्पक्ष रहें। यह बात प्रेमचंद के दौर के लिए जितनी सच थी, आज भी उतनी ही सच है...
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