बिहार विधानसभा चुनाव: ताड़ी के नाम पर आगे बढ़ी चुनावी गाड़ी

सत्ता में आने पर पाबंदी हटाने का नेताओं का दावा

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पटना । विधानसभा चुनाव से पहले बिहार में ताड़ी के नाम पर राजनीतिक दलों की गाड़ी आगे बढ़ने लगी है। तभी प्रदेश में लागू शराबबंदी के बीच ताड़ी को शराब की श्रेणी से बाहर रखने की जुबानी कवायद चल पड़ी है। इसमें अलग-अलग दलों के नेता एक-दूसरे से होड़ लेते नजर आ रहे हैं। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव ने इसे समुदाय की आजीविका का इकलौता साधन बताया है। वहीं, केंद्रीय मंत्री एवं लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने ताड़ी को ‘प्राकृतिक उत्पाद’ बताते हुए इसे शराब की श्रेणी से बाहर रखने की बात कही है। नेताओं का दावा है कि आगामी विधानसभा चुनावों में सत्ता में आने पर इससे बने उत्पादों को शराब की श्रेणी से बाहर कर दिया जाएगा।

केंद्रीय मंत्री एवं लोजपा (रामविलास) चिराग पासवान ने बीते दिनों कहा है कि ‘ताड़ी’ एक प्राकृतिक उत्पाद है। इसे शराब नहीं माना जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ताड़ी का व्यवसाय प्रदेश में परंपरागत रूप से पासवान समुदाय से जुड़ा रहा है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन(राजग) के सहयोगी के तौर पर मेरी पार्टी राज्य में सरकार का समर्थन कर रही है, लेकिन वह स्थानीय शासन का हिस्सा नहीं है। ताड़ी का कारोबार, प्रदेश में परंपरागत रूप से पासवान समुदाय से जुड़ा रहा है, इसलिए सभी दलों की कोशिश इसे साधने की है।

दूसरी तरफ राजद नेता तेजस्वी यादव ने हाल ही में पासी सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा था कि शराबबंदी का असर इस समुदाय पर पड़ा है। वह इसलिए किउनके लिए ताड़ी, आजीविका का एकमात्र साधन था। पासी समुदाय के लोग, पीढ़ियों से यह काम कर रहे हैं। उनके पास आजीविका के लिए कोई और कौशल या कृषि योग्य भूमि नहीं है। दोबारा सत्ता में आने पर राजद ने ताड़ी को शराबबंदी कानून से अलग करके उद्योग का दर्जा देने की बात की है। उन्होंने निशाना साधते हुए कहा, शराबबंदी की वजह से दलित और पिछड़ों को जेल में बंद किया जा रहा है। अभी भी 14 लाख से अधिक लोग जेलों में बंद हैं।

तेजस्वी यादव के बयान पर केंद्रीय मंत्री, जीतन राम मांझी ने स्पष्ट करते हुए कहा, नीतीश कुमार ने शराबबंदी कानून के तहत ताड़ी को पहले ही मुक्त कर दिया है। उन्होंने कहा, शराबबंदी बुरी नहीं है और नीति की समीक्षा करने और जुर्माना भरने के बाद शराब पीने वाले नाबा‍ल‍िगों को रिहा करने की इजाजत देने के लिए मुख्यमंत्री की सराहना करते हुए हैं। हालांकि, जुर्माना नहीं भरने वाले को जेल में डाल दिया जाता है।

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Ashutosh Mishra

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