गुजरात: प्रदेश की महिला डेयरी समितियां महिला सशक्तिकरण की नजीर बन रही हैं। 2025 में विभिन्न दुग्ध संघ बोर्ड में बतौर 82 निदेशक, 25 फीसदी महिलाएं हैं। इसके साथ ही महिला संचालित दुग्ध समितियों का दुग्ध संग्रह 39 फीसदी से बढ़कर 57 लाख एलपीडी तक पहुंचा गया है। वहीं, महिला दुग्ध समितियों की सालाना आय 9,000 करोड़ के पार है।
गुजरात सरकार ने राज्य में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन को दिया है। प्रदेश सरकार का कहना है कि पीएम मोदी का सदैव यह विश्वास रहा है कि महिलाओं को आर्थिक व सामाजिक रूप से आत्मनिर्भर बनाकर ही भारत को संपूर्ण आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महिला नेतृत्व को सशक्त बनाने के लिए सहकारी मॉडल को प्राथमिकता दी। इसी विजन को केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने हकीकत में तब्दील किया है। गुजरात में शुरू हुआ कोऑपरेटिव मॉडल देश भर में महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में मानक तय कर रहा है। मजेदार बात यह है कि 36 लाख दुग्ध उत्पादक सदस्यों में से लगभग 12 लाख महिला सदस्य हैं।
महिला संचालित दुग्ध समितियों का दुग्ध संग्रह 39 फीसदी बढ़कर 57 लाख एलपीडी तक पहुंचा
गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड (जीसीएमएम एफ) के आंकड़ों के अनुसार, महिला संचालित दुग्ध सहकारी समितियों का मिल्क प्रोक्योरमेंट 2020 में 41 लाख लीटर प्रति दिन से 39 फीसदी से बढ़कर 2025 में 57 लाख लीटर प्रति दिन हो गया है। यह वर्तमान समय में राज्य के कुल मिल्क प्रोक्योरमेंट का करीब 26 फीसदी है।
यह हैं आंकड़े
पिछले पांच वर्षों में (2020 से 2025 के बीच) महिला नेतृत्व वाली डेयरी सहकारी समितियां 21 फीसदी बढ़कर 3,764 से 4,562 हो गई है। दुग्ध संघों में 25 फीसदी महिला बोर्ड सदस्य् और लगभग 12 लाख उत्पादक महिला सदस्य हैं। वहीं, दुग्ध संघों में भी महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है। 2025 में दुग्ध संघों के बोर्ड में 82 निदेशकों के रूप 25 प्रतिशत सदस्य महिलाएं हैं।
गुजरात की डेयरी सहकारी समितियों में महिलाओं की सदस्यता लगातार बढ़ रही है। पांच सालों में ग्रामीण स्तर की सहकारी समितियों की प्रबंधन समितियों में भी महिलाओं की भागीदारी 14 फीसदी बढ़ी है। इनमें महिलाओं की संख्या 70,200 से बढ़कर 80,000 हो गई है। बताया जाता है कि गुजरात में महिला संचालित दुग्ध सहकारी समितियों द्वारा मिल्क प्रोक्योरमेंट 2020 में 41 लाख लीटर प्रति दिन से 39 फीसदी से बढ़कर 2025 में 57 लाख लीटर प्रतिदिन हो गया है। यह प्रदेश के कुल मिल्क प्रोक्योरमेंट का लगभग 26 फीसदी है।