नई दिल्ली: सुबह की ताजगी में पेड़ों पर चहकते पक्षी, आकाश में रंग-बिरंगे पंखों का नजारा, और उनकी मधुर आवाजें—यह सब जल्द ही केवल यादों में रह सकता है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि अगले 100 वर्षों में 500 से अधिक पक्षी प्रजातियां धरती से हमेशा के लिए गायब हो सकती हैं।
यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक नए अध्ययन में खुलासा हुआ है कि जलवायु परिवर्तन (Climate Change), जंगलों की कटाई और मानवीय गतिविधियों के कारण पक्षियों की प्रजातियां अभूतपूर्व संकट का सामना कर रही हैं। यह अध्ययन, जो नेचर इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन जर्नल में प्रकाशित हुआ है, बताता है कि अगली सदी में पक्षियों की प्रजातियों का नुकसान पिछले 500 वर्षों में हुई विलुप्ति से तीन गुना अधिक हो सकता है।
पक्षियों की विविधता पर मंडराता खतरा
शोध के अनुसार, बेयर-नेक्ड अम्ब्रेलाबर्ड, हेलमेटेड हॉर्नबिल और येलो-बेली सनबर्ड जैसी अनोखी प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं। इनके गायब होने से न केवल पक्षियों की विविधता कम होगी, बल्कि पारिस्थितिक तंत्र भी प्रभावित होगा, क्योंकि ये प्रजातियां प्रकृति के कई महत्वपूर्ण कार्यों जैसे परागण और बीज प्रसार में योगदान देती हैं। शोधकर्ता केरी स्टुअर्ट ने बताया, “पक्षी प्रजातियों का इतना बड़ा नुकसान आधुनिक इतिहास में पहले कभी नहीं देखा गया। अगर हम अभी नहीं चेते, तो ये खूबसूरत प्रजातियां केवल किताबों और कहानियों में रह जाएंगी।”
संरक्षण के प्रयास नाकाफी
शोध में पाया गया कि अगर मानवजनित खतरों जैसे जंगल कटाई, अवैध शिकार और जलवायु परिवर्तन को पूरी तरह रोक भी दिया जाए, तब भी करीब 250 पक्षी प्रजातियां विलुप्त हो सकती हैं। इन्हें बचाने के लिए विशेष प्रयास जैसे प्रजनन कार्यक्रम, प्राकृतिक आवासों की बहाली और संरक्षण योजनाएं जरूरी हैं। स्टुअर्ट ने कहा, “सिर्फ नुकसान को कम करना काफी नहीं है। हमें संकटग्रस्त प्रजातियों के लिए सक्रिय कदम उठाने होंगे, जैसे उनके आवासों को पुनर्जनन और प्रजनन केंद्र स्थापित करना।”
बड़े पक्षी सबसे ज्यादा खतरे में
वैज्ञानिकों ने लगभग 10,000 पक्षी प्रजातियों का विश्लेषण कर पाया कि बड़े आकार के पक्षी, जैसे हॉर्नबिल, जलवायु परिवर्तन और शिकार के प्रति अधिक संवेदनशील हैं। वहीं, चौड़े पंखों वाले पक्षी, जैसे कुछ गौरैया प्रजातियां, जंगलों के विनाश और आवास हानि से ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। शोधकर्ता प्रोफेसर मैनुएला गोंजालेज-सुआरेज ने बताया कि संरक्षण के लिए लक्षित प्रयास जरूरी हैं। उन्होंने कहा, “अगर हम सिर्फ 100 सबसे अनोखी और संकटग्रस्त प्रजातियों को प्राथमिकता दें, तो पक्षियों की 68% विविधता को बचाया जा सकता है, जो पारिस्थितिक तंत्र के लिए बेहद जरूरी है।”
कैसे बचाई जाए प्रकृति की धरोहर?
शोध में सुझाव दिया गया है कि जंगलों और प्राकृतिक आवासों को संरक्षित करना सबसे प्रभावी तरीका है, जो अधिकांश पक्षी प्रजातियों को बचा सकता है। इसके साथ ही, शिकार और दुर्घटनावश होने वाली मौतों को रोकने से उन अनोखी प्रजातियों को बचाया जा सकता है, जो पारिस्थितिक तंत्र में विशेष भूमिका निभाती हैं। विशेष संरक्षण कार्यक्रम, जैसे प्रजनन केंद्र और आवास पुनर्जनन, भी महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं। अध्ययन चेतावनी देता है कि अगर तत्काल कदम नहीं उठाए गए, तो पक्षियों की चहचहाहट धीरे-धीरे खामोश हो जाएगी, और हमारी प्रकृति अपनी अनमोल धरोहर खो देगी।
अभी भी है समय
वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी भी कुछ समय बाकी है, लेकिन यह तेजी से कम हो रहा है। ठोस और त्वरित कदम उठाकर, जैसे उत्सर्जन में कमी, जंगलों का संरक्षण और संकटग्रस्त प्रजातियों के लिए विशेष योजनाएं लागू करके, हम इस संकट को कम कर सकते हैं। यह अध्ययन हमें प्रकृति के प्रति हमारी जिम्मेदारी की याद दिलाता है, ताकि आने वाली पीढ़ियां भी पक्षियों की मधुर आवाज और उनकी रंग-बिरंगी उड़ान का आनंद ले सकें।