HIV रोकथाम में नया अध्याय, लेनाकापाविर को मिली FDA स्वीकृति

यह इंजेक्शन, जो साल में दो बार लिया जाता है, वयस्कों और किशोरों में एचआईवी वायरस को रोकने में सक्षम है। इस मंजूरी ने एचआईवी/एड्स के खिलाफ जंग में एक नया और प्रभावी विकल्प जोड़ा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसे एक ऐतिहासिक कदम बताते हुए इसकी सराहना की है।

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नई दिल्ली: एचआईवी (HIV) की रोकथाम में एक बड़ी सफलता के रूप में, अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने गिलियड साइंसेज की दवा लेनाकापाविर को मंजूरी दी है। यह इंजेक्शन, जो साल में दो बार लिया जाता है, वयस्कों और किशोरों में एचआईवी वायरस को रोकने में सक्षम है। इस मंजूरी ने एचआईवी/एड्स के खिलाफ जंग में एक नया और प्रभावी विकल्प जोड़ा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसे एक ऐतिहासिक कदम बताते हुए इसकी सराहना की है।

2024 के परीक्षणों ने जगाई उम्मीद

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, यह स्वीकृति 2024 में हुए पहले और दूसरे चरण के वैज्ञानिकों के शानदार परिणामों के बाद मिली है। इन्होंने विभिन्न समूहों में लेनाकापाविर की प्रभावशीलता और सुरक्षा को प्रदर्शित किया। येजट्यूगो नाम से बिकने वाली इस दवा ने गिलियड द्वारा समर्थित तीसरे चरण के दो परीक्षणों में एचआईवी के जोखिम को लगभग समाप्त कर दिया। परीक्षण में 99.9% प्रतिभागी इस इंजेक्शन के बाद एचआईवी से सुरक्षित रहे। साइड इफेक्ट्स मामूली थे, जैसे इंजेक्शन स्थल पर हल्की सूजन या दर्द। अन्य पीआरईपी उपचारों की तुलना में यह दवा अधिक प्रभावी साबित हुई। 2024 में साइंस पत्रिका ने इसे ‘वर्ष की क्रांतिकारी खोज’ का दर्जा दिया।

पीआरईपी क्या है?

प्री-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस (पीआरईपी) एक निवारक दवा है जो एचआईवी के जोखिम वाले लोगों को वायरस से बचाती है। यह खासकर उन लोगों के लिए है जो इंजेक्शन ड्रग्स का उपयोग करते हैं। एफडीए ने दो मौखिक पीआरईपी दवाओं और एक लंबे समय तक असर करने वाले इंजेक्शन को मंजूरी दी है। 2012 से अमेरिका में पीआरईपी का उपयोग हो रहा है, जिसमें रोजाना गोली (ट्रुवाडा) या हर दो महीने में इंजेक्शन (एप्रेट्यूड) शामिल हैं। लेनाकापाविर अमेरिका में पहला द्विवार्षिक पीआरईपी विकल्प है, जो बार-बार दवा लेने की जरूरत को कम करता है।

वित्तीय बाधाओं के बीच प्रगति

यह मंजूरी तब आई है जब अमेरिका में एचआईवी वैक्सीन अनुसंधान के लिए फंडिंग में कटौती की खबरें हैं। फिर भी, लेनाकापाविर को एक गेम-चेंजर माना जा रहा है। एमोरी यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर कार्लोस डेल रियो ने कहा कि यह इंजेक्शन पीआरईपी के उपयोग को बढ़ावा दे सकता है, खासकर उन लोगों में जो रोजाना दवा लेने में असमर्थ हैं। साल में दो बार का यह उपचार अनुपालन को सरल बनाता है और एचआईवी महामारी को खत्म करने की दिशा में एक मजबूत कदम है।

एचआईवी की वर्तमान स्थिति

2023 में, अमेरिका में हर दिन 100 से अधिक लोग एचआईवी से प्रभावित हुए। सीडीसी के आंकड़ों के मुताबिक, 25 लाख अमेरिकी वयस्कों को पीआरईपी की जरूरत है, लेकिन केवल एक तिहाई को ही यह उपलब्ध हो पाती है। लेनाकापाविर इस कमी को दूर करने में महत्वपूर्ण हो सकता है। यह दवा न केवल विकसित देशों बल्कि विकासशील देशों में भी एचआईवी के खिलाफ लड़ाई में कारगर साबित हो सकती है, जहां स्वास्थ्य संसाधन सीमित हैं।

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